Type Here to Get Search Results !

भारतीय संविधान दिवस जनसंवाद में शासकीय हाई स्कूल देवहार के छात्राओं ने किए प्रस्तावना की वाचन

भारतीय संविधान दिवस जनसंवाद में शासकीय हाई स्कूल देवहार के छात्राओं ने किए प्रस्तावना की वाचन


अखिलेश वरकड़े, संवाददाता
नारायणगंज। गोडवाना समय।

विकासखंड नारायणगंज के जनपद सभागृह में भारतीय संविधान दिवस के जनसंवाद में शासकीय हाई स्कूल देवहार के छात्राओं के द्वारा भारतीय संविधान के प्रस्तावना के साथ डॉ भीमराव अंबेडकर जी के चलचित्र में माल्यार्पण करते हुए भीमराव अंबेडकर जी को नमन करते हुए संविधान समारोह संपन्न किया गया।

बाबा साहब ने महिलाओं के कल्याण से जुड़े कई प्रस्ताव रखे थे

छात्राओं ने बताया विकासखंड स्तर जनसंवाद में शासकीय हाई स्कूल देवहार के प्राचार्य जयदेव मार्को के निर्देश अनुसार जनसंवाद में सहभागिता देने का अवसर प्राप्त हुआ। जिसमें छात्राएं संविधान के प्रस्तावना को वाचन करते हुए संविधान के हक अधिकारों के भीमराव अंबेडकर जी के जीवनी पर भी प्रकाश डाला।
                जिसमें वाष्णी सारथी, अंशिका परस्ते, शिवानी मार्को ने जनसंवाद में कहा बाबा साहब ने संविधान में लिखा कि 'किसी भी महिला को सिर्फ महिला होने की वजह से किसी अवसर से वंचित नही रखा जाएगा और ना ही उसके साथ लिंग के आधार पर कोई भेदभाव किया जा सकता है।'
                भारतीय संविधान के निर्माण के वक्त भी बाबा साहब ने महिलाओं के कल्याण से जुड़े कई प्रस्ताव रखे थे। इसके अलावा महिलाओं की खरीद-फरोख्त और शोषण के विरुद्ध भी बाबा साहब ने कानूनी प्रावधान किए।

महिलाओं को पिता और पति की संपत्ति में हिस्सेदारी देना

महिलाओं को पिता और पति की संपत्ति में हिस्सेदारी देना तलाक का अधिकार और बच्चे गोद लेने का अधिकार भी बाबा साहब ने ही उन्हें दिलाया। हिंदू ग्रन्थों के अनुसार ऐसी मान्यता थी कि अगर महिला अपने घर से डोली पर निकलती है तो वापस उसकी अर्थी उठती है और विवाहित स्त्रियों का अपने पिता के घर वापस आना पाप माना जाता था लेकिन बाबा साहब ने महिलाओं के लिए क्रांति की शुरूआत कर दी थी।

आज कामकाजी महिलाएं 26 हफ्तों की मैटरनिटी लीव ले सकती हैं

वहीं छात्रों द्वारा जनसंवाद में यह भी बताया की आज कामकाजी महिलाएं 26 हफ्तों के मेटरनिटी लीव ले सकती हैं जिसकी शुरूआत बाबा साहब डॉ आंबेडकर ने ही की थी। 10 नवंबर 1938 को बाबा साहब अंबेडकर ने बॉम्बे लेजिसलेटिव असेंबली में महिलाओं की समस्या से जुड़े मुद्दों को जोरदार तरीकों से उठाया। इस दौरान उन्होंनें प्रसव के दौरान महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं पर अपने विचार रखे।
            क्या आप जानते हैं कि 1942 में सबसे पहले मैटरनिटी बेनेफिट बिल डॉ. अंबेडकर द्वारा लाया गया था ? इसके बाद 1948 के एम्पलाई स्टेट के जरिए भी महिलाओं को मातृत्व अवकाश की व्यवस्था की गई। बाबा साहब ने ये काम उस वक्त कर दिया था जब उस जमाने के सबसे ताकतवर मुल्क भी इस मामले में बहुत पीछे थे। महिलाओं और बच्चों के लिए राज्यों को विशेष कदम उठाने की इजाजत भी दी।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.