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डॉ. हीरा लाल अलावा किसी पार्टी का गुलाम नही

 डॉ. हीरा लाल अलावा किसी पार्टी का गुलाम नही

आदिवासी युवा छात्र संगठन के महासम्मेलन में सम्मिलित होने राजस्थान, मध्यप्रदेश के आदिवासी विधायक पहुंचे बस्तर

क्रांतिकारियों पर निबंध, आदिवासी चित्रकला, भाषण, गीत प्रतियोगिता का किया गया आयोजन

आदिवासी देश के मालिक हैं मगर दुख इस बात का है कि मूल मालिक जेलो में है


दुर्गाप्रसाद ठाकुर/ राज्य ब्यूरो प्रमुख
जगदलपुर/छत्तीसगढ़। गोंडवाना समय। 

आदिवासी युवा छात्र संगठन जिला-बस्तर के तत्वाधान पर बास्तानार के बड़े किलेपाल में दो दिवसीय आदिवासी युवा छात्र संगठन का महासम्मेलन किया गया।
            


महासम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यह था कि छत्तीसगढ़ के सभी आदिवासी समुदाय के विभिन्न जनजाति के युवा-युवती, छात्र-छात्राओं के आपस में मेल - मिलाप (मिलन) कर संघर्ष में नई ऊर्जा पैदा करना, जिसमे सभी युवा मिलकर समाज को और आदिवासी युवा छात्र संगठन के विचार - धारा को किस तरह से जन-जन तक पहुँचाना है और कैसे प्रकार से कार्य करना है, सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य रहा।

आज पूरे देश के आदिवासी समुदाय को मिल-झुलकर कार्य करने की जरूरत है-राजकुमार रोत 


महासम्मेलन की शुरूआत पेनपुरखाओ की सेवा अर्जी के साथ हुआ। आदिवासी युवा छात्र संगठन के सदस्यों के द्वारा पारंपरिक आदिवासी नृत्य प्रस्तुत किया और महासम्मेलन के मुख्य अतिथि राजकुमार रोत ने कहा कि मेरे लिए सौभाग्य की बात है मेरे कभी से इच्छा थी हमे बस्तर जाना है। 

            


बस्तर की धरती को समझना है बस्तर की संस्कृति को जानना है। मैं आज आपके सामने एक विधायक के तौर पर आज यहां पर उपस्थित हूं तो आज राजस्थान के 200 विधायकों में से सबसे कम उम्र का युवा विधायक मैं हूं। मैं एक बार अपने 84 विधानसभा क्षेत्र के जनता को धन्यवाद करता हूं कि जिन्होंने मुझे चुनकर इस लायक बनाया कि आज मैं राजस्थान से बस्तर में आ कर अपनी बात रख सकूं। आज पूरे देश के आदिवासी समुदाय को मिल-झुलकर कार्य करने की जरूरत है। 

समाज का नमक खाकर विधायक सांसद बनकर संसद में अनुसूची 5 और 6 को लेकर नहीं बोलना धिक्कार है


मध्यप्रदेश के विधायक डॉक्टर हीरालाल अलावा ने अपने उद्बोधन में कहा कि वास्तव में बस्तर को जिस प्रकार से परिभाषित किया गया है बस्तर तो नक्सलवाद का गढ़ है यहां तो मरने और मारने की जैसी पेसकस की आती है। उन्होंने कहा कि मैं पूरे देश से कहना चाहता हूं बस्तर का भारत में एक ऐसा स्थान है जहां पर आदिवासियों तो जिंदा है ही लेकिन यहां रहने वालों के दिलों में दरियादिली भी जिंदा है। 

        


पूरे क्रांतिकारियों की यादों में किसी न किसी कारण से आज किसी ने किसी मुसीबत में है लेकिन आज इस पवित्र धरा पर युवाओं को आगे आकर कुछ कर गुजरने का जज्बा आज हम युवाओं में है। आजाद भारत में जो शोषण अन्याय बर्बरता जो हुई उस विधानसभा में घुसकर कैसे अपनी आवाज बुलंद करनी है इस पर हमने 4 सालों में कार्य किया। 

        हमने हमेशा आम जनप्रतिनिधियों के लिए बिगुल फूंका है जिन्होंने समाज का नमक खाया जो समाज के नाम से विधायक सांसद बने अगर वह विधानसभा या संसद में जाकर अनुसूची 5 और 6 के बारे में नहीं बोला उनको हम लोगों ने खुला चैलेंज किया है। समाज के नाम से नेता बनने का ऐसे लोगों का कोई मतलब नहीं है। 

आदिवासी समाज के छात्र-छात्राओं को समाज सुधारक में हिस्सा लेना अति आवश्यक है-डॉ. हीरा अलावा


जयस संगठन सोशल मीडिया से ही तैयार हुआ था लेकिन आज हमने जयस के मध्यम से सभी को जय आदिवासी बोलना सीखा दिया। डॉ. हीरा अलावा ने आगे कहा कि आज बढ़ा दुख इस बात का होता है भारत आजाद हुआ हमे 5वी और 6वी अनुसूचित में परिभाषित किया 6वी छठी अनुसूची क्षेत्र में जो आसाम, मेघालय, तिरूपुरम किसी भी राज्य के राज्यो में 5वी अनुसूचित में लागू नहीं किया गया। हम देश के मालिक है बोलते है मगर दुख इस बात का होता है मूल मालिक जेलो में है। डॉक्टर हीरा लाल अलावा किसी पार्टी का गुलाम नही। आदिवासी समाज के छात्र-छात्राओं को समाज सुधारक में हिस्सा लेना अति आवश्यक है।

आज लड़कियों को पापा की परी नहीं बल्कि पापा की शेरनी बनकर संघर्ष करने की जरूरत है-साधना उइके


साधना उइके ने कहा कि बस्तर की संस्कृति के बारे में सिर्फ सुना था और सोशल मीडिया के माध्यम से देखा था कि गोंडवाना के कोई चोरों की संस्कृति आज भी बस्तर में जिंदा है लेकिन आज मुझे बहुत खुशी और गौरव है कि मैं आज आप सभी के बीच में यहां पर आकर इस चीज को देख रही हूं। जिन्होंने अपनी संस्कृति रीति रिवाज जो को संजो कर रखा है हमारे शहरों में आज भी कहीं भी गमले गांव कस्बों से दूर हो कर रखा है अपनी संस्कृति को छोड़ दिया है और दूसरे दूसरों की संस्कृतियों को धारण कर लिया है।
                 

कम से कम 100 में से 95% लोग दूसरों के संस्कृति को अपना चुके हैं लेकिन हम जैसे कुछ युवा जो जागरूक होकर इस हमारी संस्कृति को बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है और जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए कटिबद्ध हो रहे हैं। यह आज की हमारी युवा पीढ़ी कर रही है आज कहीं न कहीं हमारा समाज जागरूकता की ओर है।
             हम अपने हक अधिकारों से आज भी वंचित हैं आप सभी ने देखा होगा कि हमारे क्रांतिकारी पुर खोलें अपने हक अधिकारों के लिए जल जंगल जमीन को बचाने के लिए संघर्ष किया था और हम आज ही संघर्ष को जीवित रखना चाहते हैं। आज लड़कियों को पापा की परी नहीं बल्कि पापा की शेरनी बनकर संघर्ष करने की जरूरत है महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है उसके लिए हमे पहले से सतर्क रहने की जरूरत है।

हमे डिग्री हासिल करने के लिए पढ़ाई और मान सम्मान पाने के लिए कड़ी मेहनत करना होगा-लक्ष्मण बघेल 


बस्तर के द्वारा बास्तानार स्कूलों में प्रतियोगिता रखा गया था जिसमे बस्तर के क्रांतिकारियों पर निबंध, आदिवासी समुदाय के ऊपर चित्रकला, भाषण, गीत आदि विषयों पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस महासम्मेलन में हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के युवाओं, गांव के सियान, आदिवासी समाज के लोग काफी संख्या में शामिल  होकर इस सम्मेलन का भरपूर आनंद लिया और समुदाय की रीति-नीति, संस्कृति की जानकारी प्राप्त किया।
            कार्यक्रम में शामिल युवाओं का कहना है कि सम्मेलन में आकर हमे बहुत से चीजों की जानकारी हुई। जैसे- बच्चे को हमेशा शिक्षा की ओर अग्रसर रखना, समाज में किस प्रकार से अपने आप को ढालना की जरूरत है। आदिवासी युवा छात्र संगठन बस्तर जिलाध्यक्ष लक्ष्मण बघेल द्वारा सभी को आभार प्रकट करते हुए कहा गया की युवाओं को अपने रीति नीति, संस्कृति को बचाने के लिए सभी को सामने आकर खड़े होने की जरूरत है। सभी स्टूडेंट्स को पढ़ाई का महत्व बताते हुए कहा कि हमे डिग्री हासिल करने के लिए पढ़ाई और मान सम्मान पाने के लिए कड़ी मेहनत करना होगा। 

महासम्मेलन में ये रहे मौजूद


दो दिवसीय आदिवासी युवा छात्र संगठन का महासम्मेलन में आदिवासी युवा छात्र संगठन के जिला-बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, कोंडागांव, कांकेर, नारायणपुर और दुर्ग सम्भाग, रायपुर संभाग, सरगुजा संभाग, छत्तीसगढ़ राज्य के सभी जगह से सम्मिलित हुए। आदिवासी समाज के सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग के उपाध्यक्ष सारदा कश्यप, बस्तर जिलाध्यक्ष-गंगा नाग, युवा प्रभाग अध्यक्ष सन्तु मौर्य, नारायण मौर्य, बलदेव मौर्य, हिड़मो मंडावी, हेमंत बस्तरिया, हिड़मो वट्टी, पटवारी संघ के अध्यक्ष आनंद कश्यप, पीतांबर कवासी, बसंत कश्यप, बलदेव मंडावी आदि गांव के बुजुर्ग मौजूद थे।

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