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बाबा साहेब अम्बेडकर ने कहा था कि मुझे अपने समाज के पढ़े-लिखे लोगों ने ही धोखा दिया

बाबा साहेब अम्बेडकर ने कहा था कि मुझे अपने समाज के पढ़े-लिखे लोगों ने ही धोखा दिया

अगर इस देश में सम्मान से जीना है तो हर घर में एक अंबेडकर पैदा करो



आपके विचार दैनिक गोंडवाना समय अखबार
लेखिका-विचारक
संतोषी ठाकुर
प्रदेश उपाध्यक्ष महिला प्रभाग
सर्व आदिवासी समाज
छत्तीसगढ़

आज हमारे समाज में ऐसे व्यक्तिव की आवश्यकता है जो समाज की तकदीर व तस्वीर दोनों ही बदल दे। आज संविधान निमार्ला की याद रह-रहकर आ रही है। जिन्होंने एससी, एसटी, ओबीसी समाज की तकदीर ही बदल दी लेकिन हम उनकी कुर्बानियों को याद कर श्रद्धा के दो फूल भी अर्पित नहीं कर रहे हैं, आखिर क्या कारण है।                             


संविधान के अधीन हम आरक्षण का फायदा तो ले रहे हैं लेकिन फायदा लेने के उपरांत जिनसे हमें रोशनी मिली उन्हीं को भुला दिया एवं उनके आदर्शों को ठुकरा दिया। आज हमें उनकी कुबार्नी, उनकी शहादत को जागृत करने की आवश्यकता है। जिसके माध्यम से समाज में विकास की लहर, जरूर आएगी। आवश्यकता है हमें सिर्फ संघर्ष करने की, संगठित रहने की एवं शिक्षित बनने की।

बाबा साहेब अम्बेडकर बचपन से ही समझदार बुद्धिमान और काफी इंटेलिजेंट थे 

बाबा साहेब अम्बेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। बाबा साहेब अम्बेडकर बचपन से समझदार बुद्धिमान और काफी इंटेलिजेंट थे। यही वजह है कि बाबा साहेब अम्बेडकर भारत के मूलनिवासियों की समस्याओं को गहराई से समझते थे।
                बाबा साहेब अम्बेडकर किन-किन -परिस्थितियों में और राजनैतिक विरोध बावजूद अपनी बातों को मनवाकर भारत के मूलनिवासी एससी, एसटी, ओबीसी के लिए संविधान को लागू करवाया। यह बात शायद भारत के मूलनिवासी समझ नहीं सकते।
                    यही वजह है कि आजादी के 74 साल बाद भी आरक्षित वर्ग के लोग अपने अधिकारों को ना हीं जान पाए और ना ही प्राप्त कर पाए हैं। इसलिए बाबा साहेब अम्बेडकर ने कहा था कि मुझे अपने समाज के पढ़े-लिखे लोगों ने ही धोखा दिया, यह कटु सत्य है।

बाबा साहेब 1908 में वंचित वर्ग से कॉलेज में दाखिला लेने वाले पहले व्यक्ति थे 

बाबा साहेब अंबेडकर 1908 में वंचित वर्ग से कॉलेज में दाखिला लेने वाले पहले व्यक्ति थे। 1912 में उन्होंने एलफिन्स्टन कालेज मुंबई से स्नातक की पढ़ाई पूर्ण की थी और 1913 में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ के महल में लेफ्टिनेंट की नौकरी की। जून 1924 में मुम्बई उच्च न्यायालय में वकालत प्रारंभ की।
            जून 1928 में गवर्मेंट लॉ कॉलेज कॉलेज में उन्होंने प्रोफेसर के रुप में कार्य प्रारंभ किया और फिर बाद में बम्बई लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल बनें। बाबा साहेब अम्बेडकर ये जान गए की मनुस्मृति भारत के मूलनिवासी एससी, एसटी, ओबीसी के लिए कितना घातक है। इसलिए बाबा साहेब अम्बेडकर ने 1927 में मनुस्मृति जलाई और भारत के संविधान का निर्माण किया। 

हर घर में एक अंबेडकर पैदा करो 

इसलिए कहना चाहती हूं

कर सको तो अपनी बॉडी में वह असर पैदा करो, 

जो हवाओं का रुख मोड़ दे वो हुनर पैदा करो। 

अगर इस देश में सम्मान से जीना है तो हर घर में एक अंबेडकर पैदा करो।




लेखिका-विचारक
संतोषी ठाकुर
प्रदेश उपाध्यक्ष महिला प्रभाग
सर्व आदिवासी समाज
छत्तीसगढ़


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