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टुकड़ों में बंटे वंचित शोषित समाज के सामाजिक व राजनैतिक नेतृत्वकर्ताओं के सहारे कैसे होगा डॉ आंबेडकर जी का मिशन पूरा

टुकड़ों में बंटे वंचित शोषित समाज के सामाजिक व राजनैतिक नेतृत्वकर्ताओं के सहारे कैसे होगा डॉ आंबेडकर जी का मिशन पूरा 

ऐसी स्थिति में वंचित व शोषित वर्ग का शोषण निरंतर बढ़ता जायेगा उनपर अन्याय, अत्याचार भी निरंतर बढेंÞगे


विशेष संपादकीय
विवेक डेहरिया
संपादक दैनिक गोंडवाना समय

बाबा साहेब डॉ आंबेडकर जी के नाम पर या उनके मिशन के नाम पर अनेकों संगठन बनाकर सभी डॉ आंबेडकर जी के विचारों, मिशन व सिद्धांतों पर चलते हुये वंचित वर्ग का नेतृत्व करने वाले सामाजिक मुखियागण समाज का विकास, कल्याण, उत्थान करने की बात सभी करते है।
                


हजारों की संख्या में टुकड़ों में बंटकर अपने ही जाति समाज का विभाजन कर अपने स्वार्थ के लिये पद लोलुपता, कुर्सी का मोह के लिये शिक्षित व बुद्धिजीवि वर्ग अपने ही शोषित व वंचित समाजिकजनों को आपस को बांटकर अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे है। ऐसी स्थिति में कैसे डॉ आंबेडकर जी का मिशन पूरा हो पायेगा यह गँभीर चिंतन का विषय है। 

भीम के लगते जिगर आधे इधर, आधे उधर 

डॉ आंबेडकर जी की जयंति के अवसर पर एक ही शहर में अनेकों स्थानों पर अलग-अलग वंचित वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले सामाजिक संगठनों के द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह अपने आप में स्पष्ट दर्शाता है कि भीम के लगते जिगर आधे इधर, आधे उधर अर्थात आपस में बंटे हुये वह भी सिर्फ अपने स्वार्थ के लिये न कि समाज हित में कार्य करने के लिये बंटे हुये है।
                वंचित वर्ग का प्रितनिधित्व करने वाले सभी सामाजिक संगठनों का कहना है कि हमारा उद्देश्य समाज का विकास, उत्थान, कल्याण, तरक्की उन्नति करना है। हम सभी सामाजिक संगठन वंचित वर्ग को उनके हक अधिकार दिलाने के लिये इसी दिशा में कार्य कर रहे है सबकी मंजिल एक है लेकिन सभी के रास्ते अलग-अलग है। 

यही कारण है कि वंचित वर्ग के समाज पर  होने वाला शोषण, अन्याय, अत्याचार निरंतर बढ़ते जा रहा है 

यही कारण है कि वंचित वर्ग के समाज पर  होने वाला शोषण, अन्याय, अत्याचार निरंतर बढ़ते जा रहा है। इसके लिये समाजिक संगठन के प्रमुख भी कहीं न कहीं जिम्मेदार है। सामाजिक संगठनों में पद लेकर समाज के नाम पर अपना रूतबा सब बता रहे है लेकिन सामाजिक सदस्य के प्रताड़ित होने पर साथ देने के लिये सड़क में उतरने में अपने कदम पीछे हटा लेते है।
                 बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर जी ने कहा था कि शिक्षित बनों, संगठित रहो, संघर्ष करो यह समाज के हित, समाज के कल्याण उत्थान के साथ साथ समाज के साथ होने वाले अन्याय-अत्याचार, शोषण के खिलाफ संगठित होकर संघर्ष करने के लिये शिक्षितों को नेतृत्व करने को कहा था।
               अधिकांशयत: यह देखा जाता है कि वंचित, शोषत वर्ग के सामाजिक सदस्य के साथ यदि अन्याय, अत्याचार, शोषण होता है तो उसका साथ देने के लिये वंचित समाज के शिक्षितों द्वारा सड़क से लेकर शासन प्रशासन तक संघर्ष करने के लिये साथ नहीं दिया जाता है। वरन ये मंच, भाषण, भीड़ बढ़ाकर अपने नंबर राजनैतिक व प्रशासनिक स्तर पर बढ़ाने के लिये करते नजर आते है। इसके लिये ये अपने ही वर्ग के वंचित व शोषित वर्ग को आपस बांटने में भी सबसे आगे रहते है। 

वंचित व शोषित वर्ग के शिक्षित नेतृत्वकर्ताओं को आपस में एकता के साथ में रहना होगा

डॉ आंबेडकर जी की जयंति मनाकर उनके विचारों, सिद्धांतों, मिशन को पूरा करने के लिये सबसे पहले वंचित व शोषित वर्ग के शिक्षित नेतृत्वकर्ताओं को आपस में एकता के साथ में रहना होगा। जितनी ज्यादा संख्या में वंचित व शोषित वर्ग के नेतृत्वकर्ता विभाजित होकर बंटते जायेंगे। वंचित व शोषित वर्ग का शोषण निरंतर बढ़ता जायेगा उनपर अन्याय, अत्याचार भी निरंतर बढेंगे।
                शोषित व वंचित वर्ग के लिये डॉ आंबेडकर जी ने अनेको प्रताड़ना व यातनायें सहकर उन्हें संविधान में हक अधिकार दिलाये है लेकिन उनका लाभ कुछ शिक्षितों के द्वारा नेतृत्व करते हुये अपने स्वयं के लिये व अपने परिवारजनों तक लाभ पहुंचाया जाने का कार्य किया जा रहा है।
                 सबसे अहम बात तो यह है कि वंचित व शोषित समाज वर्ग के अनेकों संगठनों का बनना और समाज के हित में कार्य करने की बात करना कहां तक उचित है। समाज के कल्याण, उत्थान व वंचितों व शोषितों को उनका हक अधिकार दिलाने के लिये सबसे पहले शिक्षितों बुद्धिजीवियों को एकता के सूत्र में बंधने की अनिवार्य आवश्यकता है। 

कई टुकड़ों मेें बंटे राजनैतिक नेतृत्वकर्ताओं के कारण भी ंवंचित व शोषित समाज का शोषण हो रहा है 

शोषित वंचित वर्ग के नेतृत्वकर्ता सामाजिक रूप में ही विभाजित होकर टुकड़ों में तो बंटे हुये ही है। इसके साथ साथ वे राजनैतिक रूप से नेतृत्वकर्ता के रूप में भी बंटे हुये वहां पर उनकी यही स्थिति है सबकी मंजिल एक है सबका कहना है एक ही है कि हम ही शोषित व वंचित वर्ग को न्याय दिलायेंगे, राहत दिलायेंगे, लाभ दिलायेंगे, हक अधिकार दिलायेंगे। कई टुकड़ों मेें बंटे राजनैतिक नेतृत्वकर्ताओं के कारण भी ंवंचित व शोषित समाज का शोषण हो रहा है और उन पर अन्याय, अत्याचार बढ़ता जा रहा है।
                    राजनैतिक नेतृत्वकर्ता अलग-अलग कई टुकड़ों में बंटकर यह कह रहे है कि हम अकेले आपको सत्ता तक पहुंचायेंगे। शिक्षित राजनैतिक नेतृत्वकर्ताओं के द्वारा तो यहां तक दावा किया जाता है कि हम ही सरकार बनायेंगे लेकिन ऐसा कैसे संभव हो सकता है।
                इस पर विचार मंथन चिंतन नहीं किया जा रहा है। शोषित, वंचित वर्ग समाज का राजनैतिक नेतृत्वकर्ताओं ने अपने अपने स्वार्थ के लिये अलग अलग राजनैतिक दलों में कार्य कर रहे है। ऐसी स्थिति में शोषित वंचित समाज वर्ग के राजनैतिक नेतृत्वकर्ताओं के हाथों सत्ता आ पाना असंभव ही प्रतीत होता है।


विशेष संपादकीय
विवेक डेहरिया
संपादक दैनिक गोंडवाना समय

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1 Comments
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  1. आज की सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों की परिस्थितियों पर अत्यंत महत्वपूर्ण संदेश दैनिक गोंडवाना समय अखबार के संस्थापक संपादक आदरणीय विवेक डेहरिया जी ने दिया है। भारत के सम्पूर्ण शोषित, पीड़ित, लोगों को मिलकर बाबा साहब डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी के मिशन को पूरा करने के लिए एलांयस बनाकर काम करने होंगे, तभी सच्चे मायने में बाबा साहब जी के 132 वीं जयंती मनाना सार्थक होगा।

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