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82 सीटों पर कमल नाथ और हारी हुई 66 सीटों पर दिग्विजय सिंह के हाथ में होगा कांग्रेस को जिताने का जिम्मेदारी

82 सीटों पर कमल नाथ और हारी हुई 66 सीटों पर दिग्विजय सिंह के हाथ में होगा कांग्रेस को जिताने का जिम्मेदारी

सर्वाधिक सीटें जिताने का दायित्व कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और डॉ गोविंद सिंह पर 


भोपाल। गोंडवाना समय। 

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को क्षेत्र और उनके प्रभाव वाली सीटों के बंटवारे की जिम्मेदारी तय करने के बाद इसी माह से कांग्रेस अपने प्रत्याशियों की सूची के धमाके शुरू कर देगी। लगभग सभी सीटों के लिए प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की आम सहमति से नाम तय करने में पहली प्राथमिकता रखी गई है कि प्रत्याशी स्थानीय हो, सर्वे में उसका नाम हो और अन्य दलों से कांग्रेस में आए नेताओं को  टिकट देना जरूरी हो तो उस विधानसभा के कार्यकतार्ओं, कांग्रेस पदाधिकारियों की सहमति ली जाएगी। 

सभी क्षत्रपों को उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में पार्टी की जीत का दायित्व सौंपा गया है 

प्रदेश की 230 सीटों में से अधिकाधिक पर कांग्रेस को जीत मिले इसके लिए क्षेत्रीय नेताओं को चुनाव जिताने का दायित्व दिया गया है। कर्नाटक और हिमाचल में मिली जीत के बाद राहुल गांधी का पूरा दबाव इस पर है कि मप्र में भी कांग्रेस की सरकार बने, छत्तीसगढ़ को लेकर कांग्रेस हाईकमान को जाने किन कारणों से भरोसा है कि वहां भूपेंद्र बघेल फिर सरकार बना लेंगे।
            मप्र में राहुल गांधी की टीम हर सीट को लेकर अपना फीड बेक सीधे राहुल को भेज रही है। टीम की इस रिपोर्ट, दिग्विजय सिंह-कमलनाथ की सर्वे रिपोर्ट में समान नाम वाले प्रत्याशियों के नाम पहले घोषित किए जाएंगे।
            वर्ष 2018 के चुनाव में 230 सीटों की जिम्मेदारी मुख्य रूप से कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया की रही थी, बाद में अहं की लड़ाई से उपजे असंतोष के कटु अनुभवों से सबक लेकर इस बार सभी क्षत्रपों को उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में पार्टी की जीत का दायित्व सौंपा गया है। अधिक सीटों की जिम्मेदारी कमलनाथ को दिए जाने से दिल्ली ने अघोषित संदेश भी दे दिया है कि प्रदेश के नेता बयानबाजी भले ही करते रहें लेकिन कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ ही होंगे। 

हारी हुई 66 सीटों पर प्रत्याशियों को जिताने का दायित्व दिग्विजय सिंह के पास 

प्रदेश की हारी हुई 66 सीटों पर प्रत्याशियों को जिताने का दायित्व राज्यसभा सदस्य-पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को दिया है। इन 66 सीटों पर दिग्विजय सिंह और रामेश्वर नीखरा दौरा करने के साथ ही सर्वे रिपोर्ट कमलनाथ को महीनों पहले सौंप चुके हैं। इस सर्वे में उन्होंने संबंधित सीटों से कहीं सिंगल तो कहीं दो से अधिक प्रत्याशियों के नाम भी सुझाए हैं। 

82 सीटों पर प्रत्याशियों की जीत की जिम्मेदारी कमल नाथ ने ली 

पूर्व सीएम कमलनाथ ने 230 सीटों की सर्वे रिपोर्ट के बाद 82 सीटों पर प्रत्याशियों की जीत की जिम्मेदारी ली है। प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष विभा पटेल के कोटे में 17 महिलाओं को प्रत्याशी बनाना तय किया है। इन सीटों का दायित्व भी कमलनाथ ने लिया है। प्रदेश की करीब 17 सीटों पर राहुल गांधी अपनी पसंद के प्रत्याशियों के नाम तय करेंगे। 

सिंधिया की चमक फीकी हुई 

ग्वालियर-चंबल संभाग की 32 सीटों में से 27 सीटों पर प्रत्याशियों को जिताने का दायित्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह को सौंपा है। ग्वालियर-चंबल में भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव माना जाता है लेकिन सिंधिया के भाजपा ज्वाइन करने के बाद से दोनों के समर्थक एक।
             दूसरे की जड़ें काटने के गुप्त अभियान में अधिक व्यस्त हैं। महाराज भाजपा और नाराज भाजपा जैसा जुमला भी दिल्ली के नेताओं की नींद हराम किए हुए हैं। सिंधिया के सम्मोहन में भाजपा ज्वाइन कर चुके नेताओं के मोहभंग की शुरूआत जो अब भाजपा में भगदड़ का रूप ले चुकी है उससे भी सिंधिया की चमक फीकी हुई है। 

कांग्रेस के बड़े नेताओं में हुआ 230 सीटों का बंटवारा 

निमाड़ अंचल-आदिवासी क्षेत्र में कांग्रेस पूर्व में जीती सीटों को लेकर आश्वस्त है लेकिन कांतिलाल भूरिया, अरुण यादव को उन चार सीटों पर फोकस करना है जहां कांग्रेस को खुटका है। टेबल वर्क में माहिर-ब्राह्मणों के नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचोरी को 3 सीटों पर प्रत्याशी जिताना है।
            पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के पुत्र और राजपूत समाज के प्रतिनिधि नेता अजय (राहुल) सिंह के प्रभाव वाले क्षेत्र में खुद उनकी सीट सहित अन्य दो (कुल तीन) सीटों की जिम्मेदारी दी गई है। प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष डॉ विक्रांत भूरिया के कोटे में 7 सीटें, भाराछांस अध्यक्ष आशुतोष चौकसे के कोटे में 2 सीटें, मप्र कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष योगेश यादव के कोटे में 2 सीटें तय की गई हैं।
            सीटों के इस बंटवारे में यह भी तय हुआ है कि जरूरी नहीं कि कांग्रेस के अनुषांगिक संगठनों के  सभी अध्यक्षों को टिकट दिया ही जाए।जो जीतने की स्थिति में होंगे उनके नाम भी सर्वसम्मति से तय होंगे, दावेदारी के बाद भी जिन अध्यक्षों को टिकट नहीं मिलेगा उन्हें सरकार बनने के बाद निगम-मंडल आदि में एडजस्ट किया जाएगा। 

किस नेता को, कितनी सीटों का दायित्व 

राहुल गांधी        17

दिग्विजय सिंह     66

कमलनाथ         82

महिला कांग्रेस,    17

गोविंद सिंह         27

अरुण यादव.      04

सुरेश पचोरी.      03

अजय सिंह।        3

भाराछासं          02

युवक कांग्रेस     07

सेवादल          02

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