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जनता के अधिकारों के लिये जमीनी लड़ाई लड़ने वाले कमलेश्वर डोडियार बने विधायक

जनता के अधिकारों के लिये जमीनी लड़ाई लड़ने वाले कमलेश्वर डोडियार बने विधायक 

शोषण, अन्याय, अत्याचार को लेकर सरकार, शासन-प्रशासन, माफियाओं के मुखर रूप से करते आये है कमलेश्वर डोडियार विरोध 

आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी जनआंदोलन में हमेशा निभाते रहे है अग्रणी भूमिका


रतलाम/सैलाना। गोंडवाना समय। 

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा बंपर जीत दर्ज करते हुए अपनी वापसी तय की। वहीं कांग्रेस व भाजपा दोनों पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की हार जीत ने भी लोगों को चौंकाया है। इन सबके बीच मध्यप्रदेश में सबसे अधिक मतदान प्रतिशत वाला विधानसभा जहां लगभग 90 फीसदी वोटिंग वाली सैलाना सीट के चुनाव परिणामों ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा है।
                 


मध्यप्रदेश की विधानसभा चुनाव में 3 दिसंबर 2023 के दिन परिणाम जारी हुये। इसमें बीजेपी ने अपनी एकतरफा जीत दर्ज करते हुए अपनी वापसी को ना सिर्फ कायम किया बल्कि दमदार तरीके से आगाज करते हुए 230 विधानसभा सीटों में 163 सीट भाजपा के खाते में आई है।
            भले ही भाजपा की इतनी दमदार जीत की बात हो रही हो लेकिन इनके बीच सबसे ज्यादा चर्चा हो रही वह है रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट की। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली सीट पर आश्चर्यजनक परिणाम आया है। यहां पर भारतीय आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी कमलेवर डोडियार ने कांग्रेस भाजपा को पछाड़ते हुये जीत दर्ज कराया है। 

जनता की आवाज उठाने के कारण हमेशा कमेलश्वर डोडियार को कानूनी शिंकजे में फंसाने का किया जाता रहा है षड़यंत्र 


कमलेश्वर डोडियार जमीनी लड़ाई लड़ने वाले आंदोलनकारी के रूप में पहचाने जाते है। जनता के हक अधिकारों के लिये माफियाओं के साथ साथ सरकार, शासन-प्रशासन के विरोध में कमलेश्वर डोडियार भूख हड़ताल, आमरण अनशन, धरना, प्रदर्शन, करने में हमेशा अग्रणी भूमिका में रहे है।
              

 
कमलेश्वर डोडियार को जनता की आवाज उठाने के कारण कानूनी कार्यवाही की जंजीरों में फंसाने का षडयंत्रों का भी सामना करना पड़ा है। माफियाओं से लेकर राजनेताओं ने मिलकर कमलेश्वर डोडियार को शासन प्रशासन के साथ मिलकर कानूनी शिंकजे में फंसाने का प्रयास करते रहे है। इसके बाद कमलेश्वर डोडियार का संघर्ष निरंतर जारी रहा है।
                    

जनता की आवाज उठाने में कमलेश्वर डोडिया ने कोई कसर नहीं छोड़ा है। यदि बीते इतिहास की बात करें तो कमलेश्वर डोडियार ने न तो रात देखा है न दिन जमीन में बैठकर और लेटकर जनता के अधिकारों के लिये आंदोलन करते हुये न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। यही कारण है कमलेश्वर डोडियार को सैलाना की जनता ने भाजपा व कांग्रेस के बजाय विधायक बनाने में भूमिका निभाया है। 

कमलेश्वर डोडियार की जीत हुई 

मध्यप्रदेश विधानसभा विधानसभा की सैलाना सीट मतदान के दिन से ही चर्चा का विषय रही है क्योंकि यहां पर मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 90 फीसदी मतदान हुआ। दूसरी बार यह परिणाम को लेकर भी चर्चा में आ गई। इस बार यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही नहीं जीत पाई बल्कि किसी तीसरी पार्टी ने ही जीत अपने नाम की। यदि आप की सोच रहे हो तो वह नहीं भारतीय आदिवासी पार्टी है। इसके प्रत्याशी कमलेश्वर डोडियार की जीत हुई है।

कांग्रेस के प्रत्याशी को 4,618 वोटों से हराया 

सैलाना सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। सिर्फ 2013 को छोड़कर हर बार कांग्रेस ही जीती है लेकिन 2023 में इस बार फिर उलटफेर हुआ है। यहां पर भारत आदिवासी पार्टी की जीत हुई है। इसके प्रत्याशी कमलेश्वर डोडियार ने कांग्रेस के हर्ष विजय गहलोत को 4,618 वोटों से हराया है। वहीं, सालों से जीत की तलाश कर रही बीजेपी तीसरे नंबर पर रही।

कर्ज लेकर लड़ा था विधानसभा चुनाव

राजस्थान से संबंध रखने वाली भारत आदिवासी पार्टी से पहली बार चुनाव लड़ने के लिए उतरे कमलेश्वर डोडियार के चुनाव लड़ने की कहानी दिलचस्प है। उनके पास इस चुनाव को लड़ने के लिए फंड तक नहीं था। उसने 12 लाख रुपए का कर्ज लेकर चुनाव लड़ा था।
                कर्जा लेकर चुनाव लड़े प्रत्याशी ने कई महारथियों को हराते हुए जीत दर्ज की है। जीतने के बाद चुनाव में जो भी खर्चा हुआ है उसको चुकाने के लिए समाज से मदद की अपील की है। साथ ही एक कार्यक्रम का आयोजन किया है। उनके इस चुनाव जीतने की हर और चर्चा हो रही है। उनको 71,219 वोट मिले है। वहीं, कांग्रेस के हर्ष विजय गहलोत को 66,601 वोट मिले तो बीजेपी की संगीता चारेल 41, 584 मत मिले है।

कांग्रेस का गढ़ है सैलाना सीट

सैलाना सीट की बात करे तो गहलोत परिवार की गढ़ माने जाने वाली सीट पर प्रभुदयाल गहलोत 1967 से पहली बार एमएलए बने थे। उसके बाद 1972, 1980 और 1985 में जीते। 1993 में निर्दलीय चुनाव लड़े और हार गए। 1998 में निर्दलीय जीत दर्ज की और 2003 और 2008 में कांग्रेस में वापसी कर विधायक बने। 2013 में बीजेपी की संगीता ने जीत दिलाई। लेकिन 2018 में फिर यह सीट गेहलोत परिवार के हर्ष विजय के पास गई।

गोंडवाना समय ने कमलेश्वर डोडियार की आवाज को प्रमुखता से उठाया 


कमलेश्वर डोडियार के द्वारा किये जाने वाले कार्यक्रमों और जनता की आवाज को उठाने में मीडिया के रूप में गोंडवाना समय समाचार ने हमेशा प्रमुखता के साथ आवाज उठाया है।

कमलेश्वर डोडियार जनता के अधिकारों के लिये संघर्ष करते रहे है

उनके संघर्षों के दौरान गोंडवाना समय समाचार पत्र ने उनकी आवाज को बुलंद करने में अपना कर्तव्य निभाया है। 

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