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रानी दुर्गावती की प्रतिमा जमीन पर ही खड़ी जीर्ण-शीर्ण होने को मजबूर क्यों है ?

रानी दुर्गावती की प्रतिमा जमीन पर ही खड़ी जीर्ण-शीर्ण होने को मजबूर क्यों है ?

क्या प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री संज्ञान में लेकर स्थापित करायेंगे रानी दुर्गावती की प्रतिमा 

बालाघाट जिले के ग्राम नेतरा का है मामला 


बालाघाट। गोंडवाना समय। 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मध्यप्रदेश सरकार की प्रथम कैबीनेट की बैठक जबलपुर लिया था। इस दौरान कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने वीरांगना रानी दुर्गावती और गोंडवाना साम्राज्य के इतिहास की प्रशंसा भी किया था।
            

वहीं एक दिन पूर्व उन्होंने वीरांगना रानी दुर्गावती व गोंडवाना साम्राज्य को लेकर विशेष लेख भी लिखा था। अपने लेख में वीरांगना रानी दुर्गावती की वीरगाथा की प्रशंसा व गोंडवाना साम्राज्य की विशेषताओं का उल्लेख भी किया था। मध्यप्रदेश का गोंडवाना साम्राज्य शासनकाल का क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य जिला बालाघाट में एक गांव नेतरा है जहां पर वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा तैयार अपने चेहरे को छिपाये खड़ी हुई है।
                बालाघाट जिला के ग्राम नेतरा में आखिर क्या वजह है कि वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा स्थापित नहीं हो पा रही है। वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा की स्थापना नहीं होने से जनजाितय समुदाय सहित अन्य समुदाय के ग्रामीणजनों में भी रोष व्याप्त है।


प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से नेतरा के ग्रामीणों को है आशा व उम्मीद


ग्राम नेतरा के ग्रामीणजन व क्षेत्रिय ग्रामीणजन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की ओर आशा भरी निगाहे से आश लगाये हुये है कि गोंडवाना साम्राज्य की वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा को भाजपा की सरकार में स्थापित करा दिया जायेगा।
            ग्रामीणों का आश लगाये जाने के पीछे कारण यह भी है कि केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातिय महापुरूषों, वीर महानायकों, वीरांगनाओं आदि महान यौद्धाओं का इतिहास वर्तमान व आगामी पीढ़ी के समक्ष रखने के लिये संग्रहालय से लेकर प्रतिमा स्थापना आदि के अनेक कार्यक्रम देश भर में चला रहे है।
            यहां तक विकसित भारत का अभियान भी प्रधानमंत्री ने बिरसा मुण्डा की जयंति के अवसर पर प्रारंभ किया था। इसलिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ओर नेतरा के ग्रामीणों की आश बढ़ गई है।

वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी वीरांगना रानी दुर्गावती व गोंडवाना साम्राज्य की प्रशंसा में लेख सहित प्रथम कैबीनेट की मीटिंग जबलपुर में करते हुये प्रशंसा किया है इसलिये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से भी नेतरा के ग्रामीणों की उम्मीद व आश लगी हुई है। 

वीरांगना महारानी दुर्गावती की मूर्ति को स्थापित करने की मार्मिक अपील की 

जिला मुख्यालय बालाघाट से सटे ग्राम नैतरा में महारानी दुर्गावती जी की मूर्ति को स्थापित करने को लेकर वर्षों से गतिरोध बना हुआ है । स्थानीय राष्ट्रभक्त नागरिकों के सहयोग से ग्राम के चौक में विधिवत कार्यवाही कर मूर्ति स्थापना हेतु मंच तथा मूर्ति की व्यवस्था भी कर ली गयी है लेकिन आपसी विवाद के चलते लगभग 7-8 वर्ष बीत जाने के बाद भी मूर्ति जमीन पर ही खड़ी जीर्ण-शीर्ण होने मजबूर है।
                सक्रिय समाजसेवी और ट्राईबल स्टडी सर्कल के संयोजक तथा पेशे से चिकित्सक डॉ. घनश्याम परते पिछले कुछ समय से इस मामले को संज्ञान में लेकर आगे आये हैं । इसी कड़ी में ग्राम पंचायत में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सभासदों के समक्ष पुरजोर तरीके से न सिर्फ अपना पक्ष रखा बल्कि इस राष्ट्र की बलि वेदी पर अपना सर्वस्व आहूत कर देने वाली राष्ट्र नायिका वीरांगना महारानी दुर्गावती की मूर्ति को स्थापित करने की मार्मिक अपील भी की।

डॉ धनश्याम परते ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हृदय से आभार व्यक्त किया 


डॉ. घनश्याम परते, जिलाध्यक्ष आदिवासी महासभा एवं संयोजक ट्राईबल स्टडी सर्कल ने जानकारी देते हुये बताया कि विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प रथ गॉंव-गॉंव जाकर विभिन्न शासकीय योजनाओं के माध्यम से 2047 तक इस देश को आत्मनिर्भर एवं विकसित बनाने की शपथ दिलवा रहा है।
                संकल्प यात्रा का शुभारंभ जनजातीय नायक बिरसा मुण्डा जी के जन्म दिवस 15 नवंबर गौरव दिवस से करने के लिऐ डॉ. घनश्याम परते ने एक ओर जहॉं देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का हृदय से आभार व्यक्त किया वहीं दूसरी ओर ग्राम नैतरा में वर्षों से अपनी स्थापना की वाट जोह रही वीरांगना दुर्गावती जी की आदम कद प्रतिमा के अपने उचित स्थान पर स्थापित न हो सकने पर ग्रामवासियों पर रोष भी व्यक्त किया।

हम महापुरुषों क्रांतिकारी वीर बलिदानियों के सम्मान में आगे आयें

देश के असली हीरो असली नायक-नायिकाएं यही हैं जिन्होंने जाति पांति तथा अपने पराये की भावना से ऊपर उठकर इस देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। भगवान बिरसा मुण्डा, सुभाषचन्द्र बोस, भगत सिंह आजाद, क्रांतिवीर तिलका मांझी, महाराजा शंकर शाह, खुदीराम बोस, वीरांगना दुर्गावती, मामा टण्ट्या भील जैसे नायक न होते तो हम आज भी गुलाम होते। इसीलिए हम सभी का नैतिक दायित्व है कि हम इन महापुरुषों क्रांतिकारी वीर बलिदानियों के सम्मान में आगे आयें।


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