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संसद ने संविधान (जम्मू -कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 पारित किया

संसद ने संविधान (जम्मू -कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 पारित किया

संसद ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 और संविधान (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 भी पारित किया

7 पीवीटीजी सहित 50 से अधिक समुदाय, कई ध्वन्यात्मक विभाजन/पर्यायवाची और कुछ नए समुदायों को जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश और ओडिशा की एसटी की सूची में शामिल किए जाने की तैयारी

सरकार जनजातीय समुदायों की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध है-अर्जुन मुंडा

ये विधेयक कमजोर जनजातीय समुदायों के लिए न्याय सुनिश्चित करेंगे-डॉ. भारती प्रविण पवार

नई दिल्ली। गोंडवाना समय। 

सरकार जनजातीय समुदायों की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध है।


यह बात केंद्रीय जनजातीय कार्य; कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने संसद द्वारा जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के जनजातीय समुदायों की काफी अर्से से लंबित मांग को पूरा करने के लिए तीन विधेयकों को पारित किए जाने के संबंध में कही।

'पहाड़ी जातीय समूह, पद्दारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण' के संबंध में पारित किया 

संसद द्वारा संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024, 'पहाड़ी जातीय समूह, पद्दारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण' समुदायों के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की एसटी की सूची में समावेशन के लिए पारित किया गया।
        राज्यसभा ने 9 फरवरी 2024 को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के संबंध में संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश, 1989 में संशोधन संबंधी विधेयक पारित किया था। इससे पहले यह विधेयक 6 फरवरी 2024 को लोकसभा में पारित हो चुका था। इससे पहले, 8 फरवरी 2024 को लोकसभा द्वारा आंध्र प्रदेश के संबंध में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 और ओडिशा के संबंध में संविधान (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024, उनकी संबंधित सूची में अनुसूचित जनजातियों के समावेशन  को प्रभावी बनाने के लिए पारित किए गए थे। लोकसभा में संशोधन विधेयक केंद्रीय जनजातीय कार्य; स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रविण पवार ने पेश किया। यह विधेयक पहले 6 फरवरी 2024 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था।

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों को न्याय मिलेगा 


उन्होंने कहा कि सरकार देश के जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों को न्याय मिलेगा। संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य आंध्र प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जनजातियों की सूची को संशोधित करने के लिए संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करना है।
            आंध्र प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की सूची में निम्नलिखित का समावेशन किया जाएगा। जिसमें क. आंध्र प्रदेश की एसटी सूची में प्रविष्टि 25 पर 'बोंडो पोरजा' और 'खोंड पोरजा' का समावेशन, जो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) हैं। वहीं ख. आंध्र प्रदेश की एसटी सूची में प्रविष्टि 28 पर 'कोंडा सावरस' का समावेशन, जो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) हैं।

ओडिशा के संबंध में  अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की सूची को संशोधित 

संविधान (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 ओडिशा के संबंध में  अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की सूची को संशोधित करने के लिए संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करने को प्रस्तावित करता है। ओडिशा की अनुसूचित जनजातियों की सूची में निम्नलिखित परिवर्तन/समावेशन किए जाएंगे।
            क. चार विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी), जिन्हें एसटी की सूची में स्वयं उन्हीं के नाम से शामिल करने का प्रस्ताव है, जिसमें भुइया के पर्यायवाची के रूप में पौरी भुइयां, पौडी भुइयां, भुइयां क्रम संख्या 6 पर, भुंजिया के पर्यायवाची के रूप में चुकटिया भुंजिया क्रम संख्या 9 पर, एसटी के अंतर्गत उप-प्रविष्टि के रूप में बोंडो बोंडो पोरजा, बोंडा परोजा। बांदा परोजा क्रम संख्या 13 पर, और, ५. एसटी मैनकिडिया के पर्यायवाची के रूप में मैनकिर्डिया क्रम संख्या 47 पर। 

अनुसूचित जाति की सूची से दो नाम हटाये गये 

क. अनुसूचित जाति की सूची से दो नाम हटाये गये तमाडिया क्रम संख्या 87 पर, और, तमुडिया क्रम संख्या 88 पर, उन समुदायों के नामों को राज्य की एसटी की सूची में शामिल करना, जो पहले से मौजूद प्रविष्टियों के ध्वन्यात्मक विभाजन या पर्यायवाची हैं। तमाड़िया, तमारिया, तमुड़िया, तमोदिया भूमिज, तमुड़िया भूमिज, तमुंडिया भूमिज, तमुलिया भूमिज, तमाड़िया भूमिज मुख्य प्रविष्टि भूमिज के अंतर्गत उप-प्रविष्टि के रूप में क्रम संख्या 8 पर।

इन समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची से हटाने का प्रस्ताव है 

बांदा पाराजा, बोंडा पाराजा, बोंडा, बांदा को एसटी की "बोंडो पोराजा, बोंडा परोजा के तहत उप-प्रविष्टि के रूप में, बांदा परोजा" क्रम संख्या 13 पर। दुरुआ, धुरुआ, धुरवा को धारुआ, धुरुबा, धुरवा के उपसमूह के रूप में, क्रम संख्या 17 पर। कौर, कुंवर, कावोनर, कुआनर, कोंवर, कौआनार, कानर, कौआनर, कोआनर एसटी "कावर कंवर",के पर्यायवाची के रूप में,  क्रम संख्या 28 पर। कुई (कांधा) को एसटी खोंड के तहत एक नई उप-प्रविष्टि के रूप में और कांधा कुंभार समुदाय को कांधा अनुसूचित जनजाति के उपसमूह के रूप में शामिल करना।
        क्रम संख्या 31 पर। उराम, ओरम, उरांव, धंगरा और उरांव मुदी समुदाय उरांव के पर्यायवाची के रूप में, क्रम संख्‍या 53 पर सूचीबद्ध। बरेंग झोडिया परोजा, पेंगा परोजा, पेंगू परोजा, पोरजा, सेलिया परोजा, एसटी परोजा के पर्यायवाची के रूप में, क्रम संख्या 55पर।  राजुआल, राजुआद एसटी राजुआर के पर्यायवाची के रूप में, क्रम संख्‍या 57 पर। साओरा, सावर, सौरा, सहारा आदि के अंतर्गत पर्यायवाची के रूप में, सारा क्रम संख्‍या 59 पर।

नई प्रविष्टि के माध्यम से समुदायों का समावेशन 

मुका डोरा, मूका डोरा, नुका डोरा, नूका डोरा क्षेत्र प्रतिबंध के साथ (अविभाजित कोरापुट जिले में यानी, कोरापुट, नौरंगपुर, रायगडा और मल्कानगिरी जिलों में) क्रम संख्या 63 पर। कोंडा रेड्डी, कोंडा रेड्डी क्रम संख्या 64 पर। 

जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश और ओडिशा की अनुसूचित जनजातियों की संशोधित सूची से मिलेगा लाभ 

इन विधेयकों के अधिनियम बनने के बाद, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश और ओडिशा की अनुसूचित जनजातियों की संशोधित सूची में नए सूचीबद्ध समुदायों के सदस्य भी सरकार की मौजूदा योजनाओं के एसटी के लिए नियत लाभों को प्राप्त कर सकेंगे।
         जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित कुछ प्रमुख योजनाओं में प्री व पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति और छात्रवृत्ति योजनाओं के साथ ही साथ राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम से रियायती ऋण, एसटी लड़कों और लड़कियों के लिए छात्रावास आदि शामिल हैं। उपरोक्त के अलावा, वे सरकारी नीति के अनुसार सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के भी हकदार होंगे।

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