गोल्ड क्वाईन में भी परोहा डेवलपर्स की धोखाबाजी से परेशान है उपभोक्ता
मंदिर की सुविधा के नाम पर भी मूर्ख बनाते है प्लाट बेचकर रूपया कमाने वाले
सिवनी। गोंडवाना समय।
जिला मुख्यालय सिवनी में परोहा डेवलपर्स के द्वारा बनाया गया परोहा इवेन्यू जिसे अंबिका पार्क के नाम से भी जाना जाता है जो कबीर वार्ड में आता है। जहां पर लगभग सभी प्लाट बिक चुके है और लाखों करोड़ों रूपये परोहा डेवलपर्स संचालक के द्वारा कमाया गया है।
बताया जाता है कि परोहा डेवलपर्स के मुख्य संचालक मोहन परोहा जो कि धार्मिक मंदिर बनवाने के लिये अपनी पहचान रखते है। वहीं उनकी कंपनी जिसने उपभोक्ताओं को मंदिर बनाने के नाम पर लाखों रूपये के प्लाट बेचे है उन्हें अंबिका पार्क में मंदिर बनाकर नहीं दिया है।
आखिर धर्म के नाम पर अधिकांश कॉलोनाईजर प्लाट खरीदने वालों को मूर्ख बनाकर धोखा देते है कि आपको यहां प्लाट खरीदने पर मंदिर की सुविधा भी प्रदान करेंगे लेकिन अक्सर देखने में आता है कि कॉलोनी के नाम पर प्लाट बेचने वाले सुविधा तक नहीं दे पाते है वहीं मंदिर बनाने के नाम पर भी धोखा देकर झूठ बोलते है। ऐसा ही परोहा डेवलपर्स के द्वारा सिवनी मुख्यालय में कबीर वार्ड में स्थित अंबिका पार्क में प्लाट बेचकर लाखों करोड़ों कमाया तो गया है कि लेकिन मंदिर नहीं बनवाया गया है।
प्लाट बिकवाने वाले और बेचने वाला दोनो मालामाल होते है
परोहा डेवलपर्स जिसके मुख्य संचालक मोहन परोहा बताये जाते है और इनकी कंपनी आवासीय कॉलोनी के नाम पर प्लाट को विक्रय करने का कार्य करती है। इसके लिये परोहा डेवलपर्स कंपनी के अंतर्गत कई लोग सिवनी शहर के भी कार्य कर रहे है जो कि प्लाट बिकवाने का धंधा करते है उसकी आड़ में कमीशन लेते है।
इनके द्वारा प्लाट खरीदने वाले उपभोक्ताओं को सड़क, नाली, बिजली, पेयजल, मंदिर, पार्क, खेल मैदान सहित अन्य सुविधा का सपना दिखाया जाता है। वही जब उपभोक्ता प्लाट खरीद लेता है तो उसके बाद उसकी परेशानी और समस्या का समाधान कराना उसी की जिम्मेदारी हो जाती है। प्लाट बिकवाने वाले और बेचने वाला दोनो मालामाल हो जाते है।
गोल्ड क्वाईन में एग्रीमेंट करने वाले लगा रहे चक्कर
परोहा डेवलपर्स के द्वारा कबीर वार्ड में ही एक ओर कॉलोनी में प्लाट बेचने का कार्य किया जा रहा है जिसे गोल्ड क्वाईन का नाम दिया गया है। जहां पर भी दिन में चांद दिखाने के सपने परोहा डेवलपर्स के द्वारा उपभोक्ताओं को दिखाये गये है।
जहां पर प्लाट बेचने के नाम पर उपभोक्ताओं से एग्रीमेंट करा लिया गया है। वहीं कई उपभोक्ताओं ने बैंक से कर्ज लेकर एग्रीमेंट कर लिया है। कुछ उपभोक्ता तो ऐसे है जिन्होंने एग्रीमेंट करे हुये लगभग 3-4 वर्ष हो गये है लेकिन रजिस्ट्री नहीं करा पा रहे है। इनके आगे पीछे चक्कर लगा रहे है।