हरीश चिरोंजे ने घर में स्वयं तैयारी किया और पीएससी में सफलता पाकर बने विकासखंड अधिकारी
पिता संयुक्त संचालक वित्त विभाग सेवानिवृत्त रहे और बड़ी बहने अस्टिेंट प्रोफेसर व चिकित्सक है
सिवनी/भोपाल। गोंडवाना समय।
घर से स्वयं तैयारी करते हुये यूपीएससी की दो बार मुख्य परीक्षा देने वाले, लोक सेवा आयोग में चार बार साक्षात्कार तक पहुंचने वाले हरीश चिरोंजे प्रशासनिक सेवा सहित अन्य प्रतियोगिता परीक्षा के लिये तैयारी करने वाले युवक-युवतियों के प्रेरणा है।
वहीं प्रशासनिक सेवा के साथ साथ अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर करने वाले विद्यार्थियों, युवाओं, युवतियों को हरीश चिरोंजे यही संदेश देना चाहते है कि विषय की गहराई तक जाइए और बेसिक कांसेप्ट को करंट अफेयर्स से जोड़कर उत्तर लेखन का प्रयास करें। निरंतरता बनाए रखें और सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़े।
सिवनी जिले के ग्राम बकोड़ी के मूल निवासी है हरीश चिंरोजे
हरीश चिरोंजे की माँ श्रीमती राधा चिरोंजे एवं पिता स्वर्गीय श्री टी एस चिरोंजे, जो कि मूल निवास स्थान ग्राम बकोड़ी, बंडोल के समीप, जिÞला सिवनी के निवासी है।
वर्तमान में भोपाल में निवास कर रहे है। इन्होंने अपनी प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भोपाल में किया है। वहीं उच्च शिक्षा बी. ई. (सूचना प्रौद्योगिकी) यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी भोपाल से किया है। हम आपको बता दे कि हरीश चिरोंजे के पिता सयुक्त संचालक वित्त विभाग (रिटायर्ड) रहे है वहीं उनकी मॉं गृहणी है। वहीं परिवार में उनकी दो बड़ी बहन में असिस्टेंट प्रोफेसर है और दूसरी दंत चिकित्सक है।
पिता से मिली प्रशासनिक अधिकारी बनने की प्रेरणा
हरीश चिरोंजे ने पीएससी की तैयारी घर पर स्वयं के द्वारा किया गया है। हरीश चिरोंजे को प्रशासनिक सेवा में कर्तव्य निभाने की प्रेरणा पिता स्वर्गीय श्री टी एस चिरोंजे,के द्वारा प्रेरित किया गया क्योंकि सिविल सेवा न केवल हमारी मूल आवश्यकताओं की पूर्ति करता है बल्कि इसके माध्यम से जनहित व सामाजिक कल्याण के लिए भी आवश्यक अधिकारिता प्राप्त होती हैं।
यूपीएससी की दो बार मुख्य परीक्षा एवं पीएससी के चार साक्षात्कार दिये
हरीश चिरोंजे ने प्रशासनिक सेवा में जाने का लक्ष्य पूरा करने में लगातार कठिन परिश्रम किया। इस दौरान दो बार संघ लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा दी है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के चार साक्षात्कार दिए। लक्ष्य के प्रति समर्पण ही सफलता का मूल मंत्र है।
शासन के निर्देशों का पालन कर जनकल्याण व राष्ट्र निर्माण में देंगे योगदान
हरीश चिरोंजे ने बताया कि शासकीय सेवा में उनका उद्देश्य शासन द्वारा दिए गए निदेर्शों का पालन करते हुए कर्तव्यों का निर्वाह करना होगा। जिससे व्यापक जनकल्याण किया जा सके और राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया जा सके। इसके साथ ही आगे भी प्रशासनिक सेवा के उच्च पदों पर कर्तव्य निभाने के लिये अपनी तैयारी जारी रखेंगे।
निरंतरता बनाए रखें और सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़े
प्रशासनिक सेवा के साथ साथ अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर करने वाले विद्यार्थियों, युवाओं, युवतियों को हरीश चिरोंजे यही संदेश देना चाहते है कि विषय की गहराई तक जाइए और बेसिक कांसेप्ट को करंट अफेयर्स से जोड़कर उत्तर लेखन का प्रयास करें। निरंतरता बनाए रखें और सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़े।
माता-पिता की प्रेरणा मिली सफलता
हरीश चिरोंजे ने बताया कि वह प्रशासनिक सेवा में कर्तव्य निभाने के साथ साथ समाज के विकास हेतु न केवल वितपोषाण के मध्यम से बल्कि युवाओं को सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शन देकर सामाजिक कल्याण के लिए प्रयास करेंगे। इसके साथ ही प्रशासनिक सेवा में कर्तव्य निभाने के लिये मिलने वाली सफलता का श्रेय माता-पिता को दिया है।