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रानी दुर्गावती बलिदान दिवस पर आदिवासी जन-प्रतिनिधियों के अपमान पर जयस में आक्रोश

रानी दुर्गावती बलिदान दिवस पर आदिवासी जन-प्रतिनिधियों के अपमान पर जयस में आक्रोश

जयस प्रदेश अध्यक्ष ने की माफी की मांग, कलेक्टर के माध्यम से प्रेषित किया पत्र 


जबलपुर/डिंडौरी। गोंडवाना समय। 

24 जून को वैभवशाली गोंडवाना सम्राज्य के वीरांगना महारानी दुर्गावती मरावी के बलिदान दिवस का राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन जबलपुर में किया गया।
         


रानी दुर्गावती गोंड समुदाय सहित आदिवासी समुदाय के स्वाभिमान और पहचान का एक एतिहासिक गौरव हैं परंतु इस कार्यक्रम में आदिवासी जनप्रतिनिधियों इतना तक कि सत्तारूढ़ पार्टी के निर्वाचित प्रतिनिधियों और सरकार के आदिवासी केबिनेट मंत्रियों को भी नजर अंदाज किया गया। जिससे आदिवासी समाज आहत है और आदिवासियों के बड़े संगठन जयस में भी आक्रोश है।

आदिवासी समुदाय के किसी भी जनप्रतिनिधि को उद्बोधन का मौका तक नहीं दिया 

जयस प्रदेश अध्यक्ष इंद्रपाल मरकाम ने इस अपमान पर मुख्यमंत्री को समाज से माफी मांगने की मांग हेतु डिंडोरी कलेक्टर के माध्यम से पत्र भेजा है। पत्र में मुख्य रूप से कहा गया है कि गोंडवाना की महारानी राष्ट्र ही नहीं विश्व की महान वीरांगनाओं में से एक है एवं हमारे पुरखा महारानी दुर्गावती मरावी के बलिदान दिवस पर प्रदेश सरकार द्वारा कार्यक्रम उनके शहीद स्थल पर किया गया परंतु आदिवासी समुदाय के किसी भी जनप्रतिनिधि को उद्बोधन का मौका तक नहीं दिया गया।
            जबकि कार्यक्रम में जनजातीय कार्य मंत्री और गोंडवाना के मकड़ाई राजपरिवार के वंशज कुंवर विजय शाह और रानी दुर्गावती जी के कर्म स्थली गढ़ मंडला से म.प्र.शासन के मंत्री एवं साथ ही समाज के अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित थे परंतु समाजिक दृष्टि से अपने  पुरखो के बलिदान दिवस पर बोलने का अवसर नहीं दिया जाना समाज की घोर उपेक्षा है और सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैये का जीवंत उदाहरण है। 

आदिवासी समाज का अपमान है 

इतना ही नहीं पूरे कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार हेतु लगाए गए बैनर पोस्टर में भी किसी आदिवासी जनप्रतिनिधि को स्थान नहीं दिया गया। समाधि स्थल पर हमारे आदिवासी समाज के सम्मानित पूर्व विधायक आदिवासी जिला पंचायत अध्यक्ष को प्रवेश करने से रोका गया।
             इस अपमान के बाद समाज में रोष व्याप्त है। उन्होंने आग्रह किया है कि समाज के किसी भी बलिदानी शहीद और वीर-वीरांगना के महान तिथियों में हमारे जन प्रतिनिधियों का ऐसे ही अपमान करना है। केवल अपने राजनैतिक फायदे के लिए शासन और जनता के टैक्स के पैसे का दुरूपयोग कर ऐसे आयोजन ना करें, क्योंकि जिन पुरखों के बदौलत आज पहचान और अस्तित्व जिंदा है जिन्होंने सबको स्वाभिमान से जीने की प्रेरणा दी है और उनके बलिदान दिवस पर ही समाज के प्रतिनिधियों को नजरंदाज कर अपमानित करना जन-प्रतिनिधियों के साथ आदिवासी समाज का अपमान है। 

ऐसे किसी भी आयोजन का हम विरोध करेंगे

जयस प्रदेश अध्यक्ष ने इस मामले पर आदिवासी समाज से माफी मांगने की बात कहा है। अन्यथा आने वाले समय में केवल राजनैतिक फायदे के लिए आदिवासी महापुरुषों के महान तिथियों में सरकार के ऐसे किसी भी आयोजन का हम विरोध करेंगे क्योंकि इससे समाज को सम्मान की जगह अपमान का सामना करना पड़ता है। वहीं बिरसा आंबेडकर छात्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष एड. शुभम चौधरी ने इस अपमान के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है।

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