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दारा सिंह, जितेन्द्र सिंह, बाबू भाई, देवी सिंह सहित कई ठेकेदार करा रहे ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्य

दारा सिंह, जितेन्द्र सिंह, बाबू भाई, देवी सिंह सहित कई ठेकेदार करा रहे ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्य 

आदिवासी सरपंचों को जाल में फंसाकर सीईओ, एसडीओ, उपयंत्री, सचिव को जकड़ कर रखे है ठेकेदार 

केंद्र व मध्यप्रदेश सरकार के संरक्षण में छपारा जनपद पंचायत में ठेकेदारी प्रथा से हो रहे निमार्ण कार्य 


सिवनी। गोंडवाना समय। 

जनपद पंचायत छपारा में ठेकेदारों ने अधिकांश आदिवासी सरपंचों को अपने जाल में फंसाकर रखा हुआ है। जिला पंचायत सदस्य श्रीमति ललिता उइके इस मामले को केंद्र व मध्यप्रदेश सरकार तक यह मुद्दा पहुंचाने का निर्ण लिया है कि आखिर क्या वजह है कि छपारा जनपद सीईओ, एसडीओ और उपयंत्रियों को भी ठेकेदारों ने जकड़ कर रखा है।
            


जिला पंचायत सदस्य श्रीमती ललिता रावेन शाह उईके यह भी बताया कि जहां-जहां उन्होंने निर्माण कार्य का निरीक्षण किया है। वहां-वहां किसी ना किसी ठेकेदार का नाम जरुर आया है। 

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री प्रहलाद पटेल को भेजेंगी शिकायत 


यह केंद्र के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की सरकार के लिये चिंता का विषय है। भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में सरकार है और मध्यप्रदेश में भी सरकार है वहीं प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री विकास की बाते करते है।
             सिवनी जिले के करीबी जिले नरसिंहपुर से ही प्रहलाद पटेल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री है। इसके बाद भी आदिवासी विकासखंड की जनपद पंचायत छपारा को ठेकेदारों के पास जिला पंचायत व जनपद पंचायत के जिम्मेदारों ने गिरवी रख दिया है।
            जनपद पंचायत छपारा को ठेकेदारी प्रथा से मुक्ति दिलाने के लिये केंद्र सरकार व मध्यप्रदेश सरकार को उच्च स्तरीय जांच कराने के साथ साथ उच्च स्तरीय टीम बनाने की भी आवश्यकता है। जिला पंचायत सदस्य श्रीमती ललिता रावेन शाह उईके ने बताया कि वह जनपद पंचायत छपारा क्षेत्र में हुये निर्माण कार्यों को लेकर भौतिक सत्यापन के संबंध में प्रमाणित जानकारी सहित शिकायत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री व मध्यप्रदेश सरकार के विभागीय मंत्री प्रहलाद पटेल तक कार्यवाही हेतु भेजेंगी। 

ठेकेदारों ने बांट लिये योजना और पंचायतों के नाम, जहां ये ही करते है काम

निरीक्षण के दौरान श्रीमती ललिता रावेन शाह उईके ने जैसे बर्रा पंचायत के स्टापडेम में दारा सिंह, मुरझोर की बाउंड्रीबाल में जित्तू सिंह, जोगीवाड़ा पंचायत में स्टापडेम में बाबू भाई, इमली पठार पंचायत में बाउंड्री बाल में जित्तेंद्र सिंह, दरबई पंचायत में देवी सिंह, भीमगढ़, गोहना/सुआखेड़ा पंचायत में ठेकेदारी प्रथा से कार्य कराया जा रहा है।
                उसी तरह क्षेत्र में चर्चा यह भी है कि निर्माण कार्यों में भागीदारी अघोषित ठेकेदारों की अलग-अलग होती है। जिसमें ट्रायबल विभाग में किसी का कब्जा और मनरेगा विभाग में किसी और का और अधोसंरचना योजना में किसी और का कब्जा रहता है। इसी तरह पंचायतों में भी विभाजन हुआ है किस ठेकेदार की कौन सी-सी पंचायत है ताकी दूसरा ठेकेदार वहां काम नही ले सकता है। 

क्या है मार्जिन का खेल ?

जिला पंचायत सदस्य द्वारा यह भी बताया गया कि जहा-जहां निर्माण ठेकेदारों द्वारा किए गए हैं उन कार्यों में मार्जिन देखा गया है। कोई भी ठेकेदार सामुदायिक भवन, आंगनवाड़ी केंद्र, सीसी सड़क, सार्वजनिक कुंआ, अतिरिक्त स्कूल कक्ष और नाली जैसे सामुदायिक कार्यों में रुचि नहीं लेते हैं क्योंकि इन कार्यों में पैसे नही बचते हैं। 

आदिवासी सरपंचों को डराते व बरगलाते है ठेकेदार

आदिवासी विकासखंड छपारा की ग्राम पंचायतों में सरपंच आदिवासी सीधे-साधे होने का फायदा ठेकेदार उठा रहे है। छपारा ब्लॉक आदिवासी अधिसूचित क्षेत्र है, जहां सभी पंचायतों में ट्राइबल सरपंच बनते हैं जिनको कुछ नकली ठेकेदार नामक घुन उन्हे डराता है कि आप हमें प्रस्ताव नहीं देंगे तो आपकी पंचायत में काम नहीं होंगे, जब यह मुद्दा क्षेत्रीय जनपद व जिला जनप्रतिनिधि उठाते हैं तो ठेकेदार उन्हे भड़काते है कि आपके जनप्रतिनिधि विकास के विरोधी हैं।
            यह बात जिला पंचायत सदस्य श्री श्रीमती ललिता रावेन शाह उइके ने बताया कि जब वह किसी भ्रष्टाचार पर बोलती हैं तो ठेकेदार अक्सर सरपंचों को बरगलाते है कि जिला सदस्य विकास को रोक रहे हैं। आपकी पंचायत को योजना का लाभ नही मिलेगा। हमारी विधायक, सांसद से सेटिंग है, हमारा कुछ नहीं होगा। इस तरह छपारा जनपद में ठेकीदारी प्रथा और ठेकेदारों का वर्चस्व चल रहा है। आखिर सीधे-साधे सरपंचों को बरगलाने का काम क्यों किया जा रहा है। कही जिला पंचायत प्रशासन अघोषित ठेकेदारों से मोटी मलाई तो नही खा रहा है। 

सीईओ, एसडीओ जनपद, आरईएस एसडीओ और ईई के संरक्षण से होता है खेला 

हम आपको बता दें कि 18 जुलाई को जिला पंचायत सदस्यों ने अध्यक्ष/ उपाध्यक्ष के साथ मीटिंग की थी जिसमें उन्होंने क्षेत्र में चल रहे कार्यों, योजनाओं पर गम्भीरता से चर्चा किया। जिसमें सभी सदस्यों ने बताया कि जिला पंचायत प्रशासन पूरे सिस्टम में लिप्त है।
                 सदस्यों द्वारा क्षेत्र के लिए जब काम मांगे जाते हैं तो उन्हें गुमराह जिला पंचायत प्रशासन में बैठे अधिकारी, कर्मचारी द्वारा किया जाता है उन्हे नियम बताया जाता है, उनके कार्यों को टाल मटोल किया जाता है क्योंकि उनसे कमीशन के लिए नहीं बोला जा सकता है लेकिन जब उसी काम के लिए जनप्रतिनिधि के अलावा कोई फाइल जब जाती है तो जिला पंचायत प्रशासन द्वारा रुचि ली जाती हैं और देखते ही देखते कुछ दिनों में वह काम चालू हो जाता है। 

जिला पंचायत और ठेकेदारों की है सांठगांठ 

जिला पंचायत सदस्यों द्वारा यह भी बताया गया है कि 15 वें वित्त की स्वीकृत कार्ययोजना को जिला पंचायत सीईओ जबरन टाल मटोल कर लेट लतीफी की जा रही है और मनरेगा 60:40 का रेशो बताया जाकर कार्यों को रोका जा रहा है परंतु सोचने वाली बात यह है कि एक वर्ष बाद चुने हुए जनप्रतिनिधियों को यह मालूम पड़ रहा है। वहीं चुनाव आचार संहिता की आड़ में क्या-क्या खेला हुआ है। यह तो जिला प्रशासन ही जानता होगा। इसलिए जिला पंचायत प्रशासन की भूमिका अघोषित ठेकेदारों के साथ मिलिजुली लगती हैं यह स्पष्ट दिखाई पड़ती है। 



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