गोंडवाना राज्य की स्थापना को लेकर सरकार उदासीन
लेकिन गोंडवाना के पुरखों का संघर्ष और दृढ़ संकल्प का इतिहास प्रेरणादायक है
मण्डला के छिंदीगढ़ से गोंडवाना राज्य स्थापना को लेकर प्रारंभ हुई यात्रा
कमलेश गोंड, राष्ट्रीय संवाददाता
मण्डला। गोंडवाना समय।
देश की पहली संसद गठन होते ही निर्विरोध जीतकर आये आदिवासी नेता श्याम लाल शाह ने गोंडवाना राज्य की स्थापना को लेकर संसद भवन मे आवाज उठाई थी लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने गोंडवाना राज्य को नजर अंदाज कर दिया था।
वर्ष 1956 में जब भाषावार राज्यों का निर्माण हुआ जब तत्कालीन मध्य प्रांत और बरार (सीपी और बरार) राज्य, जिसमें मध्य प्रदेश (एमपी) का आदिवासी क्षेत्र और पूरा छत्तीसगढ़ और विदर्भ शामिल था, जिसका विभाजन कर दिया गया।
24 जिलों को शामिल कर प्रस्तावित गोंडवाना राज्य की मांग तेज किया
मध्य भारत के आदिवासियों के अधिकारों और गोंडवाना राज्य के निर्माण के लिए काम करने वाली एक राजनीतिक पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) के संस्थापक दादा हीरा सिंह मरकाम ने जबलपुर में गोंडवाना राज्य का नक्शा में वर्तमान 24 जिलों को शामिल कर प्रस्तावित गोंडवाना राज्य की मांग तेज किया है।
अनेकों बार देश की राजधानी में आंदोलन किया गया लेकिन देश के पक्ष और विपक्ष के सत्ताधारियों के कानो मे जू तक नहीं रेगा, गोंडवाना राज्य का गठन क्यों रद्द किया गया, यह विचारणीय है, जिसकी असली वजह मुख्यधारा के राजनीतिक दलों द्वारा अलग आदिवासी पहचान को मान्यता देने की अनिच्छा है। जहाँ सरकारों ने यह सुनिश्चित किया है कि आदिवासियों की पहचान कभी मजबूत न हो और आदिवासियों के संसाधनों को लूट के लिए खुला छोड़ दिया जाए।
आदिवासियों की हितों के रक्षक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम गोंडवाना राज्य की मांग को लेकर बहुत मुखर रहे हैं और हर मंच पर उठाते रहे हैं लेकिन लगातार सरकारों ने इस पर चुप्पी साधे रखी और आज भी चुप है। जब किसी सरकारी व्यक्ति ने गोंडवाना का जिÞक्र तक नहीं किया।
राजा लहबंदा के नगरी छिंदीगढ़ से हुआ यात्रा का शुभारंभ
गोंडवाना साम्राज्य की राजधानी व वर्तमान जिला गढ़ा मंडला मे यह चौथे वर्ष के संस्करण में गोंडवाना राज्य की मांग को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी युवा मोर्चा ने लगातार मंडला जिले के सभी हिस्सों मे जागरूकता का अभियान चला रहा है।
जिसका प्रतिवर्ष अगस्त माह की प्रथम पखवाड़ा के 9 दिनों तक यात्रा चलाया जाता है। वर्ष 2024 में यात्रा का शुभारंभ गोंड राजा लहबंदा की नगरी छिंदीगढ़ मवई की पेन शक्तियों का आशीर्वाद लेकर यात्रा का रथ आगे बढ़ा है। वहीं नौ दिनों के भ्रमण के बाद जिसका स्थगन गढ़ा मंडला की कुल देवी राज राजेश्वरी पेन ठाना में होना है।
श्याम सिंह मरकाम गोंगपा राष्ट्रीय महासचिव ने यात्रा को सतरंगी ध्वज दिखा रथ को किया रवाना
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तिरु. श्यामसिंह मरकाम ने ज्योत जलाकर गोंडवाना राज्य संकल्प यात्रा को आज छिंदीगढ़ के पावन धरा से रथ को रवाना किया है यात्रा मे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल सिंह गोंड, गोंडवाना सेवा न्यास ट्रस्ट के महा सचिव बाल मुकुंद मरावी, गोंगपा महिला मोर्चा बिलासपुर की जिला अध्यक्ष साधना ठाकुर, गोंडवाना महासभा युवा प्रकोष्ठ मध्यप्रदेश के प्रदेश उपाध्यक्ष कमलेश मारको गोंडी धमार्चार्य नान्हे शाह मरकाम, मिठ्ठनशाह सैयाम, मुन्ना मरावी राजेश पंदराम सुखदेव मरावी चरण परसते, कवल सिंह धुर्वे, हरेंद्र मसराम, रविकान्त पंन्द्रो, प्रताप कुलस्ते, ब्रजेश धुर्वे, सेम परते, जोबीन धुर्वे राकेश उइके व गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन गढा मंडला के कार्यकर्ता कमलेश गोंड संतोष परसते उपस्थित रहे।
गोंडवाना की नई पौध अब पहले से ज्यादा चिंतनशील हैं, बस जागने भर की देर है
गोंगपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल सिंह धुर्वे कहते हैं कि होम्योपैथी की दवा जितनी पतली हो, उतनी ज्यादा प्रभावोत्पादक होती है। आयुर्वेद और यूनानी काढ़े गाढ़े होते है, उनमें पानी मिलाने पर उनका प्रभाव कम हो जाता है। बरहाल, क्या आनुवंशिक गुण या प्रतिभा भी पीढ़ी दर पीढ़ी प्रवाहित होते हुए पतली होकर अपनी प्रभावोत्पादकता खो रही है।
इतने सारे शूरवीर, महाप्रतापी, ऐश्वर्यशाली, सच्चाई के बुनियाद पर शासन चलाने वाले, जल-जंगल-जमीन और मान-सम्मान-स्वाभिमान के लिए अपने प्राणों की भी बाजी लगा देने वाले हमारे पूर्वज रहे हैं और हम आज उधार के दियों परजीवी विचारधारा से अपना घर रोशन करने का मुगालता पाल रहें हैं। लानत है हमारी जिन्दगी और हमारी सोंच, समझ तथा बुद्धि पर इससे अच्छा तो चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना है।
आज हमारा समाज, जल, जंगल, जमीन, जन, जानवर, जबान (भाषा),और रोटी-बेटी-संस्कृति सभी में संकटों के घनघोर बादल मंडरा रहे हैं और हम शुतुरमुर्ग की तरह मुँह रेत में छिपाकर अपने भाग्य को कोस रहें है या भविष्य में आने वाले खतरे से अनजान सरपट दौड़ें पड़े हैं। संकटकाल हमेशा अपना तारणहार चुनता है, और हमारा तारणहार है हमारी सामुदायिकता।
हमें अभूतपूर्व साहस और गैरपारंपरिक कदम उठाने होंगे।पारिवारिक एवं आनुवंशिक गुण कितने ही पतले क्यों न हो गए हो,उनमें एक विस्फोटक अणु सुषुप्त अवस्था में जरुर होता है।गोंड़वाना समग्र विकास आंदोलन क्रांति इसी विस्फोटक अणु को जागृत करने के लिए चलाया जा रहा है जो सुषुप्तावस्था में है। मैं भी गोंडवाना आंदोलन का एक छोटा सा सिपाही हूं गोंडवाना की नई पौध पहले से ज्यादा चिंतनशील हैं। बस जागने भर की देर है।