एक गिलास पानी की कीमत तुम क्या जानो, हरिनखेडे़ बाबू!
ग्राम पंचायत खामी, वार्ड नंबर 11 के लोग जल संकट से बेहाल, महीनों से खराब पड़ा हैंडपंप
पंचायत से लेकर जनपद कार्यालय तक शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन नतीजा शून्य रहा
उगली। गोंडवाना समय।
गर्मी की तपती दोपहरी में जब हर कोना सूख रहा है, तब ग्राम पंचायत खामी के वार्ड नंबर 11 के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। केवलारी जनपद के वार्ड नंबर 11 का हैंडपंप, जो सैकड़ों ग्रामीणों के जीवन का सहारा था, बीते कई महीनों से खराब पड़ा है।
ग्रामीणों ने कई बार पंचायत से लेकर जनपद कार्यालय तक शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन नतीजा शून्य रहा। फाइलें दफ्तरों की अलमारियों में धूल फांक रही हैं और अधिकारी महज आश्वासन देकर पल्ला झाड़ते हैं। तापमान दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।
धरती की तपन और पानी की कमी ने ग्रामीणों का जीवन कठिन बना दिया है। बीमार, बुजुर्ग और छोटे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। जल संकट के कारण स्वच्छता पर भी बुरा असर पड़ा है, जिससे बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है।
सरकारी योजनाओं पर उठे सवाल
हर घर जल जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं की जमीनी हकीकत खामी गांव में साफ दिखाई दे रही है। जहां कागजों पर तो हर घर तक पानी पहुंचाने के दावे किए जाते हैं, वहीं वास्तविकता यह है कि लोग एक-एक बाल्टी पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर जल्द से जल्द हैंडपंप की मरम्मत नहीं करवाई गई और स्थायी जल आपूर्ति का कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो वे जनपद कार्यालय का घेराव करेंगे। गांव में आंदोलन की चिंगारी सुलग चुकी है, जो कभी भी भड़क सकती है। जिसने प्यास से तड़पते बच्चों को देखा हो, वही जानता है पानी की कीमत।
आज जब सरकारें करोड़ों रुपये विज्ञापनों पर खर्च कर विकास के दावे कर रही हैं, तब गांव का एक खराब हैंडपंप यह सवाल खड़ा कर रहा है आखिर बुनियादी सुविधाओं का अधिकार कब मिलेगा? और अंत में, वही करारा सवाल एक गिलास पानी की कीमत तुम क्या जानो, हरिनखेडे़ बाबू!