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निलंबित हुये प्रमोद भारद्वाज सब इंस्पेक्टर ?, आदिवासी ने प्रताड़ित व अपमानित होने पर खाया था जहर

निलंबित हुये प्रमोद भारद्वाज सब इंस्पेक्टर ?, आदिवासी ने प्रताड़ित व अपमानित होने पर खाया था जहर 

प्रमोद भारद्वाज पुलिस कर्मचारी द्वारा गाली बककर भगाने पर अपमानित होने से आहत था आदिवासी 

वर्दी नहीं हमदर्दी है का पाठ प्रमोद भारद्वाज को निलंबन के दौरान 45 दिनों तक पढ़ाने की है आवश्यकता 

सिवनी। गोंडवाना समय। 

आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी में पुलिस थाना सहित अन्य विभागीय कार्यालयों में विशेषकर आदिवासी समाज के सगाजनों को चाहे पुलिस थाना में कानूनी मदद लेने की आवश्यकता हो या शासकीय कार्यालयों में विभागीय कार्य कराने की जरूरत पड़ने पर उन्हें सुझाव-समझाईश के दौरान वार्तालाप में संवदेनशीलता के साथ बर्ताव या व्यवहार अधिकांशतय: नहीं मिल पाता है।
        


 इसकी वास्तविकता आपको पता करना है तो ग्रामीण क्षेत्रों से आये हुये आदिवासी सगाजन थाना हो या कार्यालय डरे सहमें हुये चौखट के बाहर ही चप्पल उतारकर प्रवेश करते है, यदि सीसीटीव्ही कैमरा लगे हुये हो तो पिछले रिकार्ड खंगाल ले सरकार, शासन प्रशासन सप्रमाण देखने को मिल जायेंगे। 

कम से कम 45 दिनों के लिये बहाली प्रक्रिया से दूर रखना चाहिये 


सूत्र बताते है कि सब इंस्पेक्टर प्रमोद भारद्वाज को पुलिस प्रशासन द्वारा निलंबित कर दिया जाने की चर्चा है जिसकी आधिकारिक पुष्टि गोंडवाना समय के पास नहीं है। वहीं यदि निलंबन की बात सही है तो फिर प्रमोद भारद्वाज जैसे सब इंस्पेक्टर को निलंबन के दौरान कम से कम 45 दिनों तक संवदेनशीलता के साथ कैसे जनता के साथ पेश आना है इसकी ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है।
            पुलिस प्रशासन के मुखिया को प्रमोद भारद्वाज सब इंस्पेक्टर को पुलिस थाना में आने वाले पीड़ितों के साथ कैसे व्यवहार करना है, इसका प्रशिक्षण देने के लिये कम से कम 45 दिनों के लिये बहाली प्रक्रिया से दूर रखना चाहिये।
            अक्सर देखा जाता है कि निलंबन होने के बाद कुछ ही दिनों बाद नये स्थान पर पोस्टिंग दे दी जाती है जिससे पूर्व में की गई गलतियों का एहसास तक नहीं होता है या उनका हौंसला बढ़ जाता है। यही कारण आगामी गलतियों को बढ़ाने के लिये सहायक होता है। हालांकि यह विशेषाधिकार पुलिस प्रशासन के मुखिया का है। 

लखनवाड़ा पुलिस थाना के सामने ही जहर का सेवन कर लिया था


आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी में पीड़ित आदिवासी को अपनी बेटी के गुम होने के संबंध में लखनवाड़ा पुलिस थाना में कानूनी सहयोग के लिये जाना महंगा पड़ गया था। पुलिस थाना लखनवाड़ा में पदस्थ सब इंस्पेक्टर प्रमोद भारद्वाज ने पीड़ित आदिवासी को गाली बककर अपमानित करने के साथ अभद्रता किया। जिसके कारण अपमानित महसूस करते हुये पीड़ित आदिवासी ने लखनवाड़ा पुलिस थाना के सामने ही सड़क पर जाकर जहर का सेवन कर लिया। 

प्रभारी मंत्री ने अपने ही विभाग के कर्मचारियों को संवेदनशीलता बरतने की दी नसीहत 

सिवनी जिले के प्रभारी मंत्री व राजस्व मंत्री श्री करण सिंह वर्मा ने अपने ही विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को किसानों व ग्रामीणों से संवदेनशीलता के साथ कार्य व्यवहार करने की बात कहीं लेकिन अन्य विभाग विशेषकर पुलिस विभाग के कर्मचारियों को पीड़ितों के साथ संवदेनशीलता बरतने की बात नहीं कहा है।
                हम आपको बता दे कि जिस दिन प्रभारी मंत्री श्री करण सिंह वर्मा सिवनी जिले में आये थे उसी दिन लखनवाड़ा पुलिस थाना में पदस्थ सब इंस्पेक्टर प्रमोद भारद्वाज की प्रताड़ना से तंग आकर जहर का सेवन करने वाला आदिवासी सिवनी जिला चिकित्सालय में जीवन को बचाने के लिये संघर्ष कर रहा था। 

जल्द बहाल होकर फिर पुलिस थाना पहुंच जाऊंगा के हौंसले बुलंद 

इस मामले को दबाने व छिपाने में जितनी मेहनत व सक्रियता पुलिस विभाग ने किया था उतनी यदि संवेदनशीलता दिखाने में की जाती तो आदिवासी को ऐसा कदम उठाना ही नहीं पड़ता। हालांकि पुलिस प्रशासन के उच्चाधिकारियों ने सब इंस्पेक्टर प्रमोद भारद्वाज को निलंबित कर दिया है लेकिन जल्द बहाल होकर फिर पुलिस थाना पहुंच जाऊंगा के हौंसले बुलंद होने की चर्चा भी चल रही है।
                गंभीर मामला जो कि किसी बड़ी दुघर्टना होने से बच गया नहीं तो आदिवासी समुदाय का बवाल को संभालना भी पुलिस व प्रशासन के लिये मुश्किल हो सकता था लेकिन सिवनी जिले की अन्य खबरों की तुलना में मुख्य धारा की मीडिया में भी पीड़ित आदिवासी को क्यों कैसे और किसकी वजह से पुलिस थाना के सामने ही अपनी जान देने की कोशिश करना पड़ा। व मुख्य व स्थान समाचार के रूप में नहीं पा सका या वंचित रह गया आखिर क्यों ? 


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