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रेत माफिया के आगे बेबस तंत्र, नदियों की कराहती पीड़ा

रेत माफिया के आगे बेबस तंत्र, नदियों की कराहती पीड़ा

विधायक हों या प्रशासनिक अधिकारी मौन साधे बैठे हैं

सिवनी जिले में रेत माफिया का आतंक : प्रशासन मौन, नदियों का अस्तित्व खतरे में

उगली। गोंडवाना समय।

सिवनी जिले के जनपद पंचायत केवलारी अंतर्गत उगली पांडिया छपारा क्षेत्र से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वे न केवल प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करती हैं, बल्कि हमारे पर्यावरणीय संतुलन पर मंडरा रहे संकट की भयावह झलक भी देती हैं।
                    


घोषित खदान को छोड़कर नसीपुर, धनई और अन्य इलाकों से भारी मशीनों द्वारा अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है। यह सिर्फ एक अवैध धंधा नहीं है यह हमारी नदियों की आत्मा पर प्रहार है। यह देखकर और भी पीड़ा होती है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। क्या माफियाओं की पहुंच और पकड़ इतनी मजबूत हो चुकी है कि सरकारी मशीनरी भी उनके आगे घुटने टेक चुकी है?

दुष्परिणाम जल संकट के रूप में गांव-गांव में देखने को मिल रहा हैं 


रेत केवल निर्माण कार्यों के लिए नहीं होती यह नदियों की प्राकृतिक धरोहर है, जो जल संरक्षण, भूगर्भीय संतुलन और पारिस्थितिक प्रणाली को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। जब नदी का सीना चीरकर रेत निकाली जाती है, तो उसके प्रवाह, तल और अस्तित्व पर सीधा आघात होता है।
                 यही कारण है कि आज कई नदियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं, और इसके दुष्परिणाम जल संकट के रूप में गांव-गांव में देखने को मिल रहा हैं। आश्चर्य और खेद की बात यह है कि इस समूचे घटनाक्रम पर हमारे जनप्रतिनिधि चाहे वे विधायक हों या प्रशासनिक अधिकारी मौन साधे बैठे हैं। यह चुप्पी क्या उनके मिलीभगत का संकेत है या केवल उदासीनता ? दोनों ही स्थितियाँ लोकतंत्र और जनहित के लिए घातक हैं।

वरना आने वाली पीढ़ियाँ न रेत देख पाएंगी, न नदी 

अब समय आ गया है कि जनता स्वयं जागरूक बने और इस अवैध कारोबार के विरुद्ध एकजुट होकर आवाज उठाए। मीडिया, सामाजिक संगठन और पर्यावरण प्रेमियों को भी इस मुद्दे को प्राथमिकता पर रखना चाहिए। साथ ही, शासन-प्रशासन को चेतावनी दी जानी चाहिए कि यदि वे कार्रवाई नहीं करते, तो जनता सड़कों पर उतरकर जवाब मांगेगी।
            नदियाँ सिर्फ जल स्रोत नहीं, सभ्यता की रेखाएँ हैं। उन्हें बचाना हमारा कर्तव्य है। प्रशासन को चाहिए कि वह रेत माफियाओं के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करे, अवैध रेत कारोबार की जड़ें काटे और नदियों के स्वाभाविक स्वरूप की रक्षा करे वरना आने वाली पीढ़ियाँ न रेत देख पाएंगी, न नदी।

जेसीबी और पोकलैंड मशीनों के माध्यम से खुलेआम अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है 

सिवनी जिले के उगली पांडिया छपारा क्षेत्र में रेत माफियाओं की दबंगई लगातार बढ़ती जा रही है। प्रशासन द्वारा अधिकृत खदान को छोड़कर नसीपुर, धनई और आसपास के नदी-नालों से जेसीबी और पोकलैंड मशीनों के माध्यम से खुलेआम अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है। यह कार्य न केवल अवैध है, बल्कि पर्यावरण और स्थानीय जल स्रोतों के लिए गंभीर खतरा भी बन चुका है।

रेत माफिया बेखौफ होकर न केवल अवैध रेत निकाल रहे हैं 

स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार जिला प्रशासन और खनिज विभाग को इस अवैध उत्खनन की जानकारी दी जा चुकी है, परंतु आज तक किसी भी प्रकार की ठोस कार्यवाही नहीं की गई। रेत माफिया बेखौफ होकर न केवल अवैध रेत निकाल रहे हैं, बल्कि उसे बड़े पैमाने पर अवैध रियल्टी के माध्यम से ऊँचे दामों पर बेच भी रहे हैं। नदी किनारे रेत के पहाड़ खड़े कर दिए गए हैं, जो न केवल इस गैरकानूनी धंधे की पोल खोलते हैं, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाते हैं।

प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है 

इस गंभीर मुद्दे पर क्षेत्र के विधायक श्री रजनीश ठाकुर द्वारा भी अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लगातार रेत उत्खनन के कारण नदियों और नालों का कटाव तेजी से बढ़ रहा है, जिससे जलस्तर गिर रहा है और भविष्य में जल संकट और अधिक भयावह रूप ले सकता है।
                अवैध रेत उत्खनन से न सिर्फ़ आम जनता को नुकसान हो रहा है, बल्कि शासन को भी भारी राजस्व हानि झेलनी पड़ रही है। यह स्थिति न केवल प्राकृतिक संसाधनों का शोषण है, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। क्षेत्र की जनता की मांग है कि इन रेत माफियाओं के खिलाफ तत्काल दंडात्मक कार्रवाई की जाए और नदियों के अस्तित्व की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।

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