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आदिवासी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष न बनें इसलिये बाहर निकलकर आया 1000 करोड़ की घूस का जिन्न

 आदिवासी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष न बनें इसलिये बाहर निकलकर आया 1000 करोड़ की घूस का जिन्न 

3 दशक से फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम आता है सबसे आगे लेकिन आज तक प्रदेश अध्यक्ष नहीं बन पाये

1 जुलाई के पहले सुर्खियों में चल रहे थे आदिवासी भाजपा नेताओं के नाम 

1000 की पीएचई मंत्री के घूस के मामले में खो गया आदिवासी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का नाम 

पूर्व विधायक की शिकायत पर पीएमओ ने लिया संज्ञान तो पीएचई के अफसर ने जांच करने लिख दिया पत्र 

आदिवासी चेहरों की सुर्खियों के बीच हेमंत खंडेलवाल बने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष 

आश्चर्यजनक है लेकिन मध्यप्रदेश के आदिवासी नेताओं को दिखाई गई है असलियत  

मध्यप्रदेश। गोंडवाना समय। 

आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी संगठन की कमान आदिवासी बाहुल्य जिला बैतुल से विधायक हेमंत खंडेलवाल को सौंपी गई है। मध्यप्रदेश भाजपा संगठन का प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के समय एवं कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात लगभग 3 दशकों से हमेशा की तरह आदिवासी चेहरों का नाम मीडिया में सुर्खियां की तरह फैलाया जाता है। 

    


बीते 3 दशकों से भाजपा संगठन में जी जान से जुटकर कार्य करने वाले आदिवासी समाज के जनप्रतिनिधि व संगठन के पदाधिकारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने का सपना संजोकर मीडिया के फैलाई हुई सुर्खियों में खुश होकर उनके समर्थक प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय समझ लेते है।
                मध्यप्रदेश में बीते 3 दशकों से सबसे आगे सुर्खियों में नाम मण्डला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते का रहता है और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा के लिये जब राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल किसी डाकिया को पहुंचाया जाता है तो वहां पर आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम बीते 3 दशकों की तरह गायब हो जाता है। 


हालांकि इस बार आदिवासी चेहरों में सिर्फ फग्गन सिंह कुलस्ते के अलावा सुमेर सिंह सोलंकी सहित अन्य कुछ आदिवासी नेताओं के नाम भी सुर्खियों में थे लेकिन 1 जुलाई को हेमंत खंडेलवाल का नाम का पर्चा दाखिल होने के बाद मीडिया की सुर्खियों पर विराम लग गया।
        आदिवासी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की जमकर चल रही चर्चा के बीच में सबसे आश्चर्यजनक घटनाक्रम भी सामने आया और वह है मध्यप्रदेश की पीएचई मंत्री श्रीमती संपतिया उईके के द्वारा जल जीवन निगम मिशन के कार्य में 1000 हजार करोड़ रूपये की रिश्वत घूस लेने के संबंध में पीएमओ और पीएचई विभाग के अफसर के पत्र ने आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष के नाम को सुखिर्यों से ही गायब कर दिया। 

1000 करोड़ की घूस के मामले में आदिवासी मंत्री संपतिया उईके रही चर्चित 

पूर्व विधायक किशोर समरीते के द्वारा मध्यप्रदेश की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्रीमती संपतिया उईके पर भ्रष्टाचार के आरोपों सहित जल जीवन मिशन के अंतर्गत 1000 करोड़ रूपये की रिश्वत लिये जाने के संबंध में शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में की गई थी। इस संबंध में पीएमओ कार्यालय द्वारा जांच कराये जाने के संबंध में पत्र लिखा गया।
            जिस पर पीएचई मंत्री के खिलाफ में पीएचई विभाग के अफसर ने जांच करने के संबंध में भी पत्र लिख दिया। यह सब घटनाक्रम और पीएचई मंत्री संपतिया उईके 1000 करोड़ रूपये के रिश्वत लेने का मामला मीडिया में 30 जून की शाम से सुर्खियों में ऐसा उछला की दूसरे दिन 1 जुलाई को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पर्चा भरने की तारिख तक गांव-गांव व शहर शहर तक पहुंच गया। इसी दौरान आदिवासी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने का मामला भी सुर्खियों के बाद गायब के साथ गुमनाम हो गया। 

राजनैतिक बुद्धिजीवि बता रहे भाजपा का बी प्लान 


मध्यप्रदेश में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संगठन के चुनाव के मदद्ेनजर आदिवासी चेहरों के सुर्खियां बढ़ने के बाद और भाजपाई आदिवासी नेताओं के मजबूत होते ईरादों के बीच अचानक आश्चर्यजनक रूप से आदिवासी मंत्री श्रीमती संपतिया उईके के विभाग में 1000 करोड़ की घूस रिश्वत का मामला उछाल पर आने के संबंध में राजनैतिक बुद्धिजीवियों की माने तो इसे कुछ भाजपा का ही बी प्लान बता रहे है।
            हालांकि पीएचई मंत्री के विभाग में 1000 करोड़ की घूस की शिकवा शिकायत हुई है। इसे प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी संज्ञान लिया है और मध्यप्रदेश के पीएचई विभाग के अफसर ने भी ध्यान देते हुये सक्रियता दिखाई है।
            

आगामी भविष्य में इसका खुलासा होगा कि 1000 करोड़ की रिश्वत कैसे और किसने लिया है। हां लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाम की सुर्खियां में आदिवासी चेहरों का नाम गायब होकर हेमंत खंडेलवार का नाम फाईनल हो गया है और ताजपोशी भी हो गई है। 

हमेशा की तरह फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम गुमनाम हो जाता है

आदिवासी चेहरा के रूप में मध्यप्रदेश से हमेशा की तरह फग्गन सिंह कुलस्ते को प्रमुखता के तौर पर प्रस्तुत करने का कार्य भाजपाई खुद और मीडिया के द्वारा किया जाता है। बीते लगभग 3 दशकों से फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिये ही नहीं मुख्यमंत्री की दौड़ में भी सुर्खियों में आता है लेकिन हमेशा की तरह चाहे भाजपा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष का मामला हो या मुख्यमंत्री का हो ताजपोशी होने के बाद फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम गुमनाम हो जाता है।
                हालांकि मीडिया के माध्यम से बी प्लान वाले अब मध्यप्रदेश में फग्गन सिंह कुलस्ते के विकल्प के रूप में सुमेर सिंह सोलंकी सहित अन्य आदिवासी चेहरों को भी प्रोजेक्ट करने लगे है। बीते तीन दशकों से हर बार की तरह आदिवासी चेहरों को फिर मायूषी ही हाथ लगी है।  

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