आदिवासी की भू-स्वामित्व की जमीन पर गैर आदिवासी को कब्जा के आधार पर पट्टा जारी करने की तैयारी ?
कुरई अधिसूचित ब्लॉक के ग्राम रिड्डी में अतरलाल धुर्वे की जमीन पर पंछी व भीमराव डहरवाल की लगी नजर
भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 170-(ख) के तहत न चलकर 250 में क्यों चलते है प्रकरण
कुरई तहसीलदार व रिड्डी के पटवारी के कलम चलाने से अपनी ही निजी भूमि पर आदिवासी के साथ हो रहा अन्याय
कुरई/सिवनी। गोंडवाना समय।
हम आपको बता दे कि राजस्व न्यायालय में 170 (ख) के तहत प्रकरण, आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासी द्वारा अवैध रूप से हस्तांतरित या कब्जा करने से संबंधित है। यह प्रावधान, मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 170-बी में है, जो आदिवासी सदस्यों से धोखाधड़ी से हस्तांतरित भूमि को वापस लेने का प्रावधान करता है।
170 (ख) धारा, आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासी द्वारा अवैध रूप से कब्जा करने, खरीदने या बेचने से संबंधित है। यह प्रावधान, आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासी को हस्तांतरित करने पर लागू होता है, खासकर जब यह धोखाधड़ी या छल-कपट से किया गया हो।
इस कार्यवाही में, न्यायालय राजस्व अभिलेखों, दस्तावेजों और गवाहों की जांच कर सकता है। वहीं 170 (ख)की धारा, आदिवासी भूमि के संरक्षण और आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। यह गैर-आदिवासियों द्वारा आदिवासी भूमि पर अवैध कब्जे और हस्तांतरण को रोकने में मदद करता है। यह आदिवासी समुदायों को उनकी भूमि और संपत्ति पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद करता है।
मध्य प्रदेश में 170 (ख) के तहत प्रकरण के मध्य प्रदेश में, आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासी द्वारा अवैध रूप से कब्जा करने या हस्तांतरित करने के कई मामले सामने आए हैं। ऐसे मामलों में, 170 (ख) के तहत कार्यवाही की जाती है ताकि भूमि को वापस आदिवासी को सौंपा जा सके।
170 (ख) आदिवासी भूमि के संरक्षण और आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है। यदि किसी आदिवासी को लगता है कि उसकी भूमि गैर-आदिवासी द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर ली गई है या हस्तांतरित की गई है, तो वह 170 (ख) के तहत कार्यवाही कर सकता है।
आदिवासी की जमीन हड़पने का षड़यंत्र किया जा रहा है
अधिसूचित ब्लॉक कुरई जहां पर आदिवासी वर्ग को संवैधानिक अधिकार प्रदत्त व्यापक नियम कानून कायदे बने हुये है। इसके बावजूद भी कुरई ब्लॉक में आदिवासी की भूमि पर गैर आदिवासियों की कब्जा कर हड़पने की मंशा को बढ़ावा देने का कार्य राजस्व विभाग के द्वारा किया जा रहा है।
कुरई तहसील के अंतर्गत ग्राम रिड्डी का ही एक आश्चर्यजनक मामला सामने आया है जहां पर आदिवासी की निजी भू स्वामित्व की भूमि पर गैर आदिवासी का कब्जा के आधार पर पट्टा जारी करने की तैयारी चल रही है। इसके लिये राजस्व न्यायालय के साथ साथ अन्य सम्मानीय न्यायालय का साथ भी गैर आदिवासी को ही मिल रहा है।
इसके साथ ही क्षेत्र के कुछ सत्ताधारी दल के नेता भी गैर आदिवासी का ही साथ दे रहे है। इसके चलते आदिवासी अतरलाल धुर्वे पर ही भू स्वामी होने के बाद भी अपनी ही जमीन पर गैर आदिवासी को कब्जा देने के लिये मजबूर किया जा रहा है।
आदिवासी अतरलाल धुर्वे की अशिक्षा, अज्ञानता व आर्थिक कमजोरी का फायदा उठाकर ग्राम रिड्डी के ही गैर आदिवासी पंछी डहरवाल, भीमराव डहरवाल और किशोर डहरवाल के द्वारा आदिवासी की जमीन हड़पने का षड़यंत्र किया जा रहा है।
खरीद नहीं सकते तो कब्जा के आधार पर ही लाभ कमाने का निकाला तरीका
आदिवासी अतरलाल धुर्वे अधिसूचित क्षेत्र कुरई ब्लॉक के ग्राम रिड्डी में भूमि स्वामी है। जिनका नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज भी है लेकिन गैर आदिवासी पंछी डहरवाल, भीमराव डहरवाल और उनके परिवार के सदस्य किशोर डहरवाल की आदिवासी की जमीन हड़पने के लिये वर्षों से गिद्ध की तरह नजरे गड़ाये हुये है।
गैर आदिवासी की मंसूबों को पूरा करने के लिये राजस्व विभाग के पटवारी और आर आई व उच्च माननीय अधिकारी भी पूरा संरक्षण दे रहे है। आदिवासी की निजी जमीन को कब्जा के आधार पर ही गैर आदिवासी को पट्टा जारी करने की तैयारी लगभग की जा चुकी है ऐसी चर्चा कुरई क्षेत्र में चल रही है।
आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी अधिसूचित क्षेत्र व आदिवासी विकासखंड में खरीद नहीं सकता है तो इसके लिये ये नई तरकीब राजस्व विभाग के साथ मिलकर गैर आदिवासी वर्ग ने निकाला है। कब्जा के आधार पर ही पट्टा जारी कराये या राजस्व व पुलिस का संरक्षण व साथ लेकर आदिवासी की जमीन से लाभ कमा सकें।
आगामी अंकों पर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की जायेगी
हालांकि इस तरह के मामले में आखिर मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 170-ख के तहत प्रकरण न चलाये जाकर 250 के तहत क्यों कार्यवाही होती है। वहीं यदि राजस्व विभाग आदिवासी की जमीन पर गैर आदिवासी का कब्जा प्रमाणित करता है तो पुलिस थाना में एससीएसटी एक्ट के तहत एफआईआर क्यों दर्ज नहीं होती है। इस तरह से आदिवासी की जमीन पर गैर आदिवासी का कब्जा करने, जमीन हड़पने आदि के मामले पर आगामी अंकों पर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की जायेगी।