अंग्रेजी विषय का नहीं खुला पाठ्यक्रम, आदिवासी बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़
घँसौर । गोंडवाना समय।
शिक्षा जगत की कमियों को दूर करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य होना चाहिए लेकिन इस मोर्चे पर उदासीनता न केवल दुखद है, बल्कि निंदनीय भी है। केंद्र व प्रदेश सरकार के द्वारा आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए अनेकों प्रकार की सुविधाएं भी दे रहा है । आपको बता दें कि सिवनी जिला मुख्यालय से लगभग 120 किलोमीटर दूर स्थित आदिवासी बहुल क्षेत्र घंसौर के अंतर्गत आने वाली हाईस्कूल पहाड़ी में शिक्षा व्यवस्था इतनी लचर हो चुकी है जिसके चलते बच्चों का भविष्य अंधकार में डूबते नजर आने लगा है । घंसौर ब्लॉक में बीते लगभग 5 माह के बाद भी आज तक विषय वार पाठ्यक्रमों को प्रारंभ नहीं किया गया है जिससे छात्र छात्राओं के भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है । ऐसे में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से बच्चों को आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने की सरकार की योजना पर प्रश्नचिह्न लग गया है।आखिर पाठ्यक्रम प्रांरभ नहीं करने के लिए जिम्मेदार कौन हैं ? मध्य प्रदेश आदिवासी बहुल राज्य है यहां ज्यादातर बच्चों को व्यावसायिक पाठ्यक्रम के नाम पर आकर्षित किया जाना चाहिए। बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई इसलिए छोड़ देते हैं कि उन्हें लगता है कि पढ़ाई करने से क्या होगा? जब उन्हें यह पता चलेगा कि उनके इलाके के स्कूल में पढ़ाई के साथ ही व्यावसायिक शिक्षा भी दी जा रही है जो आगे चलकर रोजगार व स्वरोजगार का स्रोत बन सकती है तब छात्र-छात्राएं अवश्य माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के लिए प्रेरित होंगे।
अंग्रेजी विषय के शिक्षक बने घंसौर बीआरसी
स्कूली शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा की जरूरत को महत्वपूर्ण समझते हुये ही सरकार के द्वारा इस तरह के पाठ्यक्रमों को संचालित किया जा रहा है। कायदे से जहां भी माध्यमिक शिक्षा दी जा रही है, वहां व्यावसायिक शिक्षा भी मिलनी चाहिए। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन के तहत राज्य के तमाम स्कूलों में की शुरूआत होनी चाहिए। बहरहाल, सरकार को शीघ्र ही सभी स्कूलों में लैब बनानी चाहिए। सभी तरह की कमियों को भी दूर करना चाहिए। सरकार की योजनाओं को क्रियान्वयन करने वालों को समझना चाहिए कि छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ न हो पाये । विभागीय लापरवाही के चलते प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा के साथ ही प्राथमिक और उच्च शिक्षा का स्तर को लेकर भी सवाल उठते रहते है । प्राथमिक शालाओं में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी होती है। वही आपको बता दें कि शासकीय हाईस्कूल पहाड़ी में विगत सत्र में छात्रों द्वारा अच्छे अंक प्राप्त किए थे यहां का परिणाम अच्छा रहा जो विकासखंड घंसौर में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता था । वहीं इस स्कूल में वर्तमान में छात्रों की संख्या 230 है लेकिन पाठ्यक्रम के प्रारंभ नहीं होने से अध्ययनरत बच्चों का भविष्य अंधकार में जाता हुआ दिखाई दे रहा है । सबसे खास बात तो यह है कि घंसौर बीआरसी का प्रभार मनीष मिश्रा को दिया गया है जो एक अच्छी अंग्रेजी विषय के शिक्षक माने जाते हैं । जो अभी वर्तमान में जन शक्षा केंद्र घंसौर में बीआरसी के पद पर कार्यरत हैं लेकिन जिस स्कूल में वे अंग्रेजी विषय के शिक्षक के रूप में अच्छी शिक्षा दे सकते थे उसी स्कूल का में पाठ्यक्रम प्रारंभ नहीं होने की समस्या बनी हुई जब स्वयं के स्कूल की समस्या का निवारण बीआरसी मनीष मिश्रा नहीं कर पा रहे है तो विकासखंड घंसौर के स्कूलों के समस्या का समाधान कैसे करते होंगे ?