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विधानसभा के बाद जयस के निशाने पर संसद भवन, 5 फरवरी को कुक्षी में होगी महापंचायत

विधानसभा के बाद जयस के निशाने पर संसद भवन, 5 फरवरी को कुक्षी में होगी महापंचायत  

भोपाल। गोंडवाना समय। 
आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों में विशेष कर पांचवी अनुसूची को जन जन की आवाज बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला जय आदिवासी युवा शक्ति जयश का सफर आदिवासी बाहुल्य मध्य प्रदेश से निकलकर आज पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा बनाने का प्रयास जयस के द्वारा किया गया था । इतना ही नहीं जमीन से लेकर, सोशल मीडिया, प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया में भी जयस मुद्दा बनाने में कामयाब हुआ है । जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन जयस ने समाजिक आंदोलन के रास्ते चलकर अपनी आवाज को संवैधानिक पटल पर उठाने के लिये विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरकर अपनी राजनैतिक संघर्ष की शुरूआत किया और विधानसभा 2018 के चुनाव में जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ हीरा अलावा मनावर विधानसभा क्षेत्र से ऐतिहासिक मतोें से जीतकर विधानसभा सदन तक पहुंचने में भी कामयाब हो गये है । जो समस्यायें में विधानसभा के सदन में उठनी चाहिये वह समस्याओं को सरकार, शासन प्रशासन के समक्ष लाने में महत्वपूर्ण भूमिका का एलान भी उन्होंने कर दिया है लेकिन विधानसभाा चुनाव में राजनैतिक संघर्ष को आगे बढ़ाते हुये जयस ने लोकसभा सदन दिल्ली की ओर कूच करने के लिये निशाना साधना प्रारंभ कर दिया है । जयस को लोकसभा के सदन तक पहुंचाने के लिये मनावर विधायक व जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ हीरा अलावा ने कुक्षी में 5 फरवरी को जयस की राष्ट्रीय महापंचायत का आयोजन कर रहे है । लोकसभा चुनाव के लिये निर्णय लिये जाने को लेकर जयस की महापंचायत में पूरे देश से आदिवासी युवाओं को विशेष रूप आमंत्रित किया गया है । महापंचायत में आदिवासियों के संवैधानिक मुद्दे पांचवी अनुसूची, पैसा कानून, वनाधिकार कानून हो सभी पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा होगी। वहीं मध्य प्रदेश और देश मे आदिवासी इलाकों में मौजूद भूखमरी, बेरोजगारी, गरीबी, कुपोषण, पलायन, आदि को लेकर भी विषयों पर चर्चा होगी ।

हम आपको यहां यह बता दे कि संसद भवन के सामने की यह तस्वीर वर्ष 2014 की है जब डॉ हीरा अलावा एम्स नई दिल्ली में थे । उस समय एक दिन संसद भवन घूमने के लिए वह गए थे तब यह तस्वीर उनके मित्र राजनकुमार ने क्लिक किया था । इस तस्वीर के माध्यम से वे गंभीरता के साथ समझने का प्रयास युवाओं से करते हुये कहते है कि इस तस्वीर में छिपा हुआ वह संदेश है जो कि देश के आदिवासियों की समस्याओं का देश के संसद भवन में पहुंचकर सदन व पटल में उठा सकता है । यही कोशिश जयस करने का प्रयास कर रहा है और इसके लिये 5 फरवरी को महापंचायत में निर्णय लिया जायेगा कि लोकसभा चुनाव में जयस की भूमिका कैसी व किस तरह होगी ।
_डॉ हिरा अलावा जयस 
राष्ट्रीय जयस संरक्षक नई दिल्ली


200 प्वाइंट रोस्टर के लिये अध्यादेश/बिल लाने केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र 

मनावर विधायक व जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ हीरा अलावा ने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर 200 प्वाइंट रोस्टर के लिये अध्यादेश/बिल के संबंध में पत्र लिखकर मांग किया है कि जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि उच्चम न्यायालय ने 22 जनवरी 2019  को 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ यूजीसी और एमएचआरडी द्वारा दाखिल एसएलपी खारिज कर दिया है । ऐसे ेमें विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुझाया गया विभागबार 13 प्वाइँट रोस्टर प्रणाली लागू हो गई है जो उच्च शिक्षण संस्थानों में समाज के निचले तबके एसटी, एससी, ओबीसी व पीडव्ल्यूडी के प्रतिनिधित्व व मौलिक अधिकार के खिलाफ है । दरअसल विश्वविद्यालय में एसटी, एससी, ओबीसी व पीडब्ल्यूडी के संवैधानिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये नियुक्ति प्रक्रिया हेतु 200 रोस्टर प्रणाली लागू किया जाता रहा है । जिसके तहत विश्वविद्यालय/कॉलेज/संस्थान को ाएक ईकाई मानते हुये लगभग 49.5 प्रतिशत पद आरक्षित किया जाता था लेकिन विभागबार 13 प्वाइंट रोस्टर की वजह से एसटी, एससी और ओबीसी प्रतिनिधित्व लगभग नगण्य हो गया है उक्त संबंध में डॉ हीरा अलावा विधायक ने अपनी मांगों में यह उल्लेख किया है कि 200 प्वाइंट रोस्टर संस्थान को इकाई माना जाये को शैक्षिक पदों के लिये अध्यादेश/बिली के माध्यम से पुन: बहाल किया जाये, अपनी दूसरी मांग में उन्होंने यह उल्लेख किया है कि अध्यादेश/बिल तमाम शैक्षणिक पदों प्रोफेसरा, सह प्रोफेसर व सहायक प्रोफेसर और देश भर के तमाम विश्वविद्यालयों पर लागू हो, तीसरी बिंदु पर उच्च शिक्षण संस्थानों में वर्षों से अनुसूचित जनजातिा, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के शिक्षकों के रिक्त पदों और बैकलॉग पदों को तुरंत भरा जाये और स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया अविलंब आरंभ किया जाये, चौथे बिंदु पर उन्होंने अध्यादेश/बिल के माध्यम से उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को वॉइस चांसलर, निदेशक, प्रिंसिपल के पदों पर भी आरक्षण प्रदान किया जाये वहीं पांचवे बिंदु पर उन्होंने यह उल्लेख किया है कि रोस्टर प्रक्रिया में पदों के क्रम संख्या के निर्धारण में बदलाव किया जाये और प्रथम पद अनुसूचित जनजाति, द्वितीय पद अनुसूचित जाति और तृतिय, सांतवा, ग्यारहवा पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षित किया जाये ।

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