मनरेगा से मोहभंग,मजदूरी न मिलने से दूर होने लगे मजदूर
डेढ़ माह से किसी भी मजदूर के खाते में नहीं पहुंची मनरेगा की राशि
विकासखंड
ग्राम पंचायत की संख्या
चल रहे निर्माण कार्य मजदूरों की संख्या
बरघाट
90
145
4769
छपारा
54
222
5658
धनौरा
47
185
2365
घंसौर
77
476
3120
केवलारी
78
194
4284
कुरई
62
148
4930
लखनादौन
108
298
3550
सिवनी
129
213
6986
सिवनी। गोंडवाना समय।
राष्ट्रीय महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना से मजदूरों का मोहभंग होने लगा है। मजदूरों को रोजगार तो मिल रहा है लेकिन उनकी मेहनत समय पर नहीं मिल रही है। ऐसे में अब सिवनी जिले में मनरेगा योजना के तहत गांव में चल रहे निर्माण कार्य से मजदूर धीरे-धीरे दूर होते जा रहे हैं। लगातार मनरेगा में मजदूरों का ग्राफ कम होते जा रहा है। जिले में 31 जनवरी तक की रिपोर्ट में जिले में 35662 मजदूर मनरेगा का कार्य करते दर्ज पाए गए हैं।
भुगतान न मिलने से गिरते जा रहा मजदूरों का ग्राफ-
विधानसभा चुनाव के होते ही जिले में मनरेगा की प्रोग्रेस दिखाने के लिए तकनीकी अमला पर दबाव बनाकर दनादन निर्माण कार्य शुरू कर लिए गए। बड़ी संख्या में मजदूर भी काम में लगाए गए लेकिन मनरेगा के लिए बजट न मिलने से मजदूरों का ग्राफ लगातार गिरते जा रहा है। डेढ़ माह पहले तकरीबन 60 हजार से अधिक मजदूर मनरेगा के निर्माण कार्य में जुटे थे लेकिन अब 31 जनवरी की रिपोर्ट पर मजदूरों का ग्राफ गिरकर आधा हो गया है। वर्तमान में 35 हजार 662 मजदूर पंचायतों में काम कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक जिले की सबसे बड़ी जनपद पंचायत सिवनी के अंतर्गत तकरीबन 11 हजार से अधिक मजदूर काम कर रहे थे जो घटकर 6986 तक सिमट गए हैं। सूत्रों की मानें तो बजट का यही हाल रहा तो मनरेगा के कई निर्माण कार्य को मजदूर अधर में छोड़ सकते हैं। हालांकि मनरेगा के बजट को लेकर जिला पंचायत कार्यालय से 25 जनवरी को पत्र लिखा गया है लेकिन बजट का अभी तक कोई अतापता नहीं है।
भड़क सकते हैं मजदूर,अफसरों के लिए मुसीबत-
मनरेगा के निर्माण कार्य में मजदूर रोजी-रोटी के लिए ठंड हो या धूप सभी मौसम में काम कर रहे हैं लेकिन यदि उनका भुगतान उनके खाते में समय पर नहीं हुआ तो मनरेगा में काम करने वाले मजदूर शासन और सरकार के खिलाफ भड़क सकते हैं। वहीं मनरेगा योजना का क्रियान्वयन करने वाले अफसरों से लेकर ग्रामीण तंत्र यानी सचिव और रोजगार सहायकों के लिए भी मुसीबत हो सकती है।
... तो फिर कैसे लोगों को मिलेगा वेतन-
ग्राम पंचायत के रोजगार,सचिव सहित उपयंत्रियों व अन्य अधिकारी-कर्मचारियों की प्रतिमाह की सैलरी मनरेगा योजना के बजट से ही निकल रही है। यहां तक की वाहनों के डीजल और किराये का खर्चा भी मनरेगा उठा रही है। बजट के अभाव में निश्चिततौर पर मनरेगा की रफ्तार और प्रोग्रेस का बढ़ना मुश्किल है ऐसे में फिर कैसे रोजगार सहायक,पंचायत सचिव और उपयंत्रियों की सेलरी कैसे होगी यह सवाल खड़ा हो रहा है। वहीं सैलरी न मिलने का डर भी अधिकारी-कर्मचारियों का सता रहा है।
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