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शिक्षण संस्थानों को शिक्षा और ज्ञान के मंदिर बनाने चाहिए-उपराष्ट्रापति

शिक्षण संस्थानों को शिक्षा और ज्ञान के मंदिर बनाने चाहिए-उपराष्ट्रापति

भारतीय नैतिक मूल्यों और सदाचार के बारे में जानकारी देने के लिए शिक्षा प्रणाली पर फिर से विचार किया जाना चाहिए

नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने भारत के इतिहास, विरासत, संस्कृति, परंपराओं, नैतिक मूल्यों और सदाचार पर बल देते हुए शिक्षा प्रणाली के बारे में फिर से विचार करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य नेताओं के बलिदान, वीरता और योगदान की गाथाओं को हमारी शिक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जाना चाहिए। यहां पन्नालाल गिरधरलाल दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज के हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को शिक्षा और ज्ञान के मंदिर बनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह शांति और सद्भाव तथा वृद्धि और विकास के देवालय होने चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि विश्वविद्यालय परिसरों में ऐसे आयोजन नहीं होने चाहिए जो शिक्षा से न जुड़े हो। उन्होंने कहा कि चरित्र-निर्माण शिक्षा का अनिवार्य धर्म होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्काउट्स और गाइड्स या एनसीसी जैसे संगठनों में कार्य करना छात्रों के लिए अनिवार्य बनाया जाना चाहिए, ताकि उनमें अनुशासन और जरूरतमंदों की सेवा करने के लिए सहानुभूति की भावना भरी जा सके। श्री नायडू ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति का समग्र व्यक्तित्व विकसित करने पर केंद्रित होनी चाहिए। सीखने और ज्ञान प्राप्त करने के अलावा छात्रों को योगाभ्यास करना और खेल गतिविधियों में भी भाग लेना चाहिए, क्योंकि आज की तनाव भरी दुनिया में संतुलन की भावना विकसित करने के लिए यह आवश्यक है। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से छात्रों को आध्यात्मिक मूल्यों के बारे में बताने का भी आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से ज्ञान, बुद्धिमत्?ता और नैतिक सिद्धांतों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने छात्रों से राष्ट्र और दुनिया के समक्ष जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं के रचनात्मक समाधान तलाशने को भी कहा। अस्वास्थ्यकर भोजन, बैठे रहने की आदत और तनाव के कारण जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां बढ़ने को चिंताजनक बताते हुए उपराष्ट्रपति ने लोगों, विशेष रूप से युवाओं से स्वस्थप्रद आहार लेने की आदत विकसित करने और नियमित शारीरिक गतिविधियां करने का आह्वान किया।  उपराष्ट्रपति ने युवाओं को इंटरनेट की लत के प्रति आगाह किया और कहा कि सतत कनेक्टिविटी बच्चों के लिए हानिकारक साबित हो रही है। उन्होंने माता-पिता और शिक्षकों से बच्चों को प्रौद्योगिकी और इंटरनेट के नुकसान से बचाने के लिए कहा। इस अवसर पर पन्नालाल गिरधरलाल दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज के छात्र और प्राध्?यापक, कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल और पीजीडीएवी कॉलेज के प्रबंध निकाय के अध्यक्ष श्री टी.एन. चतुवेर्दी, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश त्यागी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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