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कमलनाथ सरकार ने पुजारियों के मानदेय में किया तीन गुना वृद्धि

कमलनाथ सरकार ने पुजारियों के मानदेय में किया तीन गुना वृद्धि 

ग्वालियर रियासत की ओर से संधारित मस्जिदों के मौलवियों के मानदेय में तीन गुना बढ़ोत्तरी

1 जनवरी 2019 से होगा प्रभावशील

भोपाल। गोंडवाना समय। 
मध्य प्रदेश सरकार ने मंदिर के पुजारियों के मानदेय में बढ़ोत्तरी करने का फैसला लिया है हालांकि इस संबंध में पूर्व में ही शिवराज सिंह चौहान ने भी निर्णय लिये जाने का ऐलान तब किया था जब मध्य प्रदेश में पुजारी संघ के द्वारा आंदोलन करने के लिये पूर्व सरकार को अल्टीमेटम दिया था इसके साथ ही उज्जैन में हुये कार्यक्रम में भी पुजारी संघ द्वारा अपनी मांगों को एजेंडा शिवराज सरकार तक पहुंचाया था परंतु चुनाव करीब होने के कारण यह फैसला सरकारी निर्णय के रूप में नहीं हो पाया था ।
अब कांग्रेस सरकार मुख्यमंत्री कमलनाथ व धर्मस्व मंत्री पी सी शर्मा के कार्यकाल में मध्य प्रदेश के पुजारियों के हक अधिकार को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है उक्त  निर्णय यह होगा कि जिनके पास कोई भूमि नहीं है ऐसे पुजारियों को पूर्व में 1000 रु. मानदेय मिलता था। अब उसे बढ़ाकर 3 हजार रु. प्रतिमाह कर दिया गया है। 5 एकड़ तक भूमि वाले मंदिरों के पुजारियों को 700 रु. से 2100 रु प्रतिमाह और 10 एकड़ तक भूमि वाले को 520 रु से बढ़ाकर 1560 रु कर दिया गया है। धर्मस्व मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने कहा कि शासन द्वारा संधारित मंदिरों के पुजारियों के मानदेय में 3 गुना वृद्धि की गई है। यह आदेश 1 जनवरी 2019 से प्रभावशील हो जायेगा । मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा लिये गये निर्णय के संबंध में जनसम्पर्क संचालनालय में धर्मस्व मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने प्रेस को संबोधित करते हुये उक्त निर्णय से अवगत कराया इस दौरान धर्मस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे ।

शासन द्वारा संधारित मंदिरों के लिये ये है नियम

प्रदेश के ऐसे मंदिर जिनके संबंध में भू-अभिलेख में भूमि-स्वामी के रूप में मंदिर की मूर्ति का नाम दर्ज है, उन मंदिरों को शासन संधारित मंदिर की श्रेणी में रखते हुए कलेक्टर को भू-अभिलेख में प्रबंधक के रूप में दर्ज किया जाता है। ऐसे शासन संधारित मंदिरों की व्यवस्था का उत्तरदायित्व शासन पर है। मध्य प्रदेश के 31 जिलों में लगभग 12000 ऐसे मंदिर है। मुख्यत: इन मंदिरों की व्यवस्था के लिए उनका जीर्णोद्वार उनमें कार्यरत पुजारियों का मानदेय तथा धर्मशाला निर्माण का उत्तरदायित्व शासन पर रहता हैं। यह कार्य कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी ;राजस्व एवं तहसीलदारों के माध्यम से कराया जाता है। भोपाल, रायसेन तथा सीहोर जिले में सिथत मंदिरों की व्यवस्था के लिए एक मंदिर समिति गठित है, जिनके अध्यक्ष आयुक्त, भोपाल संभाग रहते है, इन तीनो जिलो के मंदिरों के लिए वर्ष 2008-2009 के बजट में 44.00 लाख रुपए का प्रावधान है।  इन न्यासो की व्यवस्था लोक न्यास अधिनियम, 1951 के तहत की जाती है, अधिनियम के अनुसार कलेक्टर, पंजीयक न्यास है परन्तु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को यह अधिकार प्रदत्त किये गये है। इन न्यासों के संबंध में शिकायतों पर कार्यवाही करने के लिए कलेक्टर सक्षम है। शासन संधारित मंदिरों तथा उनसे लगी भूमि के भूमि स्वामी जो स्वयं मूर्ति है, में कलेक्टर का नाम प्रबंधक के रूप में दर्ज कराया गया है। ऐसे मंदिरों में कार्यरत पुजारियों तथा मंदिरों की भूमि का विवरण के तहत इन समस्त न्यासो की व्यवस्था लोक न्यास अधिनियम, 1951 के तहत की जाती है, अधिनियम के अनुसार कलेक्टर, पंजीयक न्यास है, परन्तु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को यह अधिकार प्रदत्त किये गये है। इन न्यासों के संबंध में शिकायतों पर कार्यवाही करने के लिए कलेक्टर सक्षम है। मध्य प्रदेश में अनुमानत: ऐसे मंदिरों की संख्या 12092 है वहीं (क) पांच एकड़ तक भूमि वाले मंदिर-4396 (ख) पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले मंदिर -2469 है ।

पूर्व में पुजारी को मिलता था इतना मानदेय

राज्य शासन द्वारा शासन संधारित मंदिरों के पुजारियों को दिनांक 1.4.2003 से निम्नलिखित शर्तो के अनुसार मानदेय का भुगतान किया जा रहा था । जिनके पास भूमि नहीं है, उन्हें रु. 500- (रुपए पांच सौ) प्रति माह की दर से मानदेय का भुगतान किया जाता था । जिनके पास 5 एकड़ तक भूमि है, उन्हें रू. 350 (रुपए तीन सौ पचास) प्रति माह की दर से भुगतान किया जाता था । यदि वर्तमान में यह राशि रू. 350- से  अधिक है तो मिलती रहेगी। जिनके पास 5 एकड़ से अधिक एवं 10 एकड़ तक भूमि है, उन्हें रू. 260- (रुपए दो सौ साठ ) प्रति माह की दर से भुगतान किया था यदि वर्तमान में उन्हें रुपए 260- (रुपए दो सौ साठ ) से अधिक राशि मिल रही है तो वह मिलती रहेगी। जिनके पास 10 एकड़ से अधिक भूमि है, उन मंदिरों के पुजारियों को अलग से शासन द्वारा कोई मानदेय नहीं दिया जावेगा। धार्मिक संस्थाओं एवं धार्मिक न्यासों के अंतर्गत आने वाले कार्यो की देख-रेख के लिए दिनांक 1-7-1981 को धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का गठन पृथक विभाग के रूप में किया गया। इस विभाग का कार्य जिला स्तर पर कलेक्टर द्वारा कराया जाता है। विभाग में कोई विभागाध्यक्ष कार्यालय स्थापित नहीं है। अत: अधिकारियों कर्मचारियों का कोई संवर्ग भी नहीं है।


शिवराज ने ये की थी घोषणा, किसे कितना मानदेय मिलेगा

विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पुजारियों के बढ़ते गुस्से को शांत करने के लिए राज्य सरकार ने पुजारी महासंघ की कई मांगें मान ली थी। सरकार ने पुजारियों के मानदेय में तीन गुना वृद्धि कर दिया था । पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उन्हें प्रति माह 500 से तीन हजार रुपए तक मानदेय मिलेगा यह बात कहा था इसके साथ ही मंदिरों की 10 एकड़ तक कृषि भूमि जोतने और इससे ज्यादा कृषि भूमि की नीलामी के अधिकार भी दिये जाने की बात कहा था। यह व्यवस्था पहले जिले के कलेक्टर देखते थे। पुजारियों को संबल योजना का लाभ भी मिलेगा यह भी ऐलान किया था बशर्ते उनके पास एक हेक्टेयर से कम जमीन हो और योजना की अन्य शर्तें पूरी करते हो यह भी कहा था । हालांकि शिवराज सरकार ने पुजारियों के मांगों के संदर्भ में संबंधित विभागों को निर्देश भी जारी कर दिए थे । हम आपको बता दे कि शासन संचालित मंदिरों के पुजारी अपनी मांगों को लेकर सड़क पर आ गए थे। पुजारी महासंघ की अगुवाई में लगातार आंदोलन भी हुआ था। पुजारियों ने राजधानी के कमला पार्क क्षेत्र में मुख्य सड़क पर धरना भी दिया था। इसे देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महासंघ और ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए बुलाया था। प्रतिनिधिमंडल ने सभी मांगें पूरी करने पर ही धरना खत्म करने की शर्त रखा था । आखिरकार पूर्व सरकार को चर्चा के दौरान उठाई गईं सभी मांगें पूरी करनी पड़ीं था । जिसमें यह था कि कलेक्टर की देखरेख में पुजारी नीलामी करेंगे एवं पुजारियों ने ट्रस्ट के प्रशासक की भूमिका मांगी थी। सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए मंदिरों की 10 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि नीलाम करने के अधिकार पुजारियों को दे दिए लेकिन वे कलेक्टर के प्रतिनिधि की देखरेख में ही नीलामी कर सकेंगे। वहीं पुजारी दस एकड़ तक कृषि भूमि जोत सकेंगे और उससे मिलने वाली राशि का उपयोग भी कर सकेंगे। सरकार ने इन मंदिरों के पुजारियों को मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना का लाभ देने का भी फैसला लिया था और इसके लिए आयु सीमा का बंधन भी समाप्त कर दिया था। शिवराज सरकार ने पुजारियों को कृषि ऋण पुस्तिका देने पर भी विचार करने की बात कहा था वहीं पुजारियों ने ये मांग उठाते हुए कहा था कि 10 एकड़ तक कृषि भूमि जोतने के लिए बैंक से कर्ज लेना पड़ेगा। जिसकी पात्रता के लिए उन्हें कृषि ऋ ण पुस्तिका की जरूरत पड़ेगी। शिवराज सिंह चौहान सरकार ने आवासहीन पुजारियों को उनके गांव में मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना और शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान देने का भी निर्णय लिया था। साल में दो बार पुजारियों को मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षण कराने की बात भी कहा था। जिन मंदिरों के पास कृषि भूमि नहीं है, उनके पुजारियों को तीन हजार रुपए प्रतिमाह, जिन मंदिरों के पास पांच एकड़ तक कृषि भूमि है, उनके पुजारियों को 2100 रुपए प्रतिमाह, जिन मंदिरों के पास पांच से 10 एकड़ तक कृषि भूमि है, उनके पुजारियों को 1560 रुपए प्रतिमाह, जिन मंदिरों के पास 10 एकड़ से अधिक कृषि भूमि है, उनके पुजारियों को पांच सौ रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलेगा ।

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