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आ शहीद की माँ तेरे पाँव पखार दूं

आ शहीद की माँ तेरे पाँव पखार दूं

सिवनी। गोंडवाना समय।
पुलवामा आतंकी हमले में जबलपुर जिले के शहीद हुए जवान अश्वीनी कुमार के गृह ग्राम खुडाबल ग्राम में जैसे ही मातृशक्ति संगठन का वाहन ने प्रवेश किया तो ग्रामीण जन यह जान गये कि जरूर हमारे गांव के लाल जिसने देश सेवा में जाकर आज पूरे देश में गांव का नाम रोशन कर दिया है आज फिर कोई शहीद जवान अश्विनी  को नमन करने आये है और एक एक कर ग्रामीणजन वहाँ सब एकत्र होने लगे। मातृशक्ति संगठन यूथ विंग समर्पण युवा संगठन ने जैसे ही शहीद के घर कदम रखा तो उनकी रोती हुई माँ ने कहा मेरे साथ धोखा हुआ मैंने एक बेटा भेजा था उसके कितने टुकड़े वापस आये ऐसा क्यो ?
कोई तो जबाब दो वहीं शहीद अश्विनी की बहन पार्वती ने रो-रो कर कहा मेरा भाई रोज शाम को फोन करके हम लोगो से बाते करता था । एक हफ्ते बाद तो वो यहाँ लड़की देखने आने वाला था हमने उसकी शादी की तैयारी कर रखी थी पर इस देश के गद्दारों ने उसकी बारात की जगह अर्थी निकलवा दिया।
शहीद अश्विनी की भतीजी प्रियंका जो कक्षा 11 में पढ़ती है उसके भी आंसू थम नहीं रहे थे वह सिसक सिसक यह कह रही थी कि मेरे चाचू हमारे घर में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे थे और वह हम लोगो को भी पढ़ा लिखा कर अच्छी नौकरी करने को कहते थे लेकिन अब हमें कौन पढ़ाएगा ? क्यों गांवों के नोजवान ही शहीद होते है ? क्योंकि हम लोग गरीब है देश से प्रेम सिर्फ हम लोंगो को करना है । शहर के पढ़े लिखे लोग तो अपने बच्चे को विदेशों में पढ़ाते है और वहां से मिलने वाली बड़े वेतन का इंतजार करते है। शहीद अश्विनी के बड़े भाई सुमन्त काछी कहते है कि सेना में भर्ती इसीलिए करते है कि फिर उनके हांथ बांध दें वो सिर्फ नेताओ की सुरक्षा करें।

बच्चा-बच्चा कह रहा सेना को खुल्ला छोड़ दो

खुडाबल गांव के 60 से 70 नोजवान सेना में है और शहीद अश्वीनी कुमार इस गाँव का तीसरा शहीद है। गाँव के लोंगो में इस गम के साथ एक जो आक्रोश देखने को मिला वो इसके पहले किसी शहीद के गाँव मे नहीं मिला इस गांव का बच्चा-बच्चा कह रहा है कि सेना को खुल्ला छोड़ दो और सबसे पहले इस देश मे बैठे गद्दारों को मारो नहीं तो बड़े होकर हम मारेंगे। हमारे चाचू तो चले गए पर हमारे और चाचू जो सेना में है उनके साथ ऐसा नही होना चाहिए।
शहीद के पिता श्री सुकरी काछी ने कहा 4 महीने पहले अपने बेटे का मुंह देखा था लेकिन आखिरी समय अच्छे से मुँह देखने की हिम्मत भी नही कर पाया मैं आखिर कैसा बाप हुँ ? सिवनी से शहीद परिवार को सांत्वना देने गये मातृशक्ति संगठन के पास शहीद अश्विनी के परिवार के सवालों के कोई जबाब ही नहीं थे और अंतत: परिजनों को ढ़ाढस बंधाते हुए शहीद को नम आंखों से श्रद्धा सुमन अर्पित किए और हर परेशानी में उस परिवार के साथ खड़े रहने का पूरा भरोसा दिलाया।

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