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आदिवासी बच्चों के लिये सरकार हुई कंगाल

आदिवासी बच्चों के लिये सरकार हुई कंगाल

सत्र हो रहा समाप्त, गणवेश के लिये बजट का रोड़ा

घंसौर। गोंडवाना समय। 
आदिवासियों के लिये सरकार कहती है कि खजाना खाली नहीं रहेगा सबसे पहले उनका हक होगा लेकिन जिस तरह से एकलव्य विद्यालय में बजट नहीं मिलने का रोना रोया जा रहा है उससे लगता है कि आदिवासी बच्चों के मामले में सरकार का खजाना खाली है । हम बात कर रहे है कि जनजाति ब्लॉक घंसौर के एकलव्य विद्यालय की जहां पर सत्र की परीक्षायें प्रारंभ है वहां पर अभी भी कुछ बच्चें गणवेश के लिये गुहार लगा रहे है और वहीं एकलव्य विद्यालय प्रबंधन भी बजट का आबंटन प्राप्त नहीं होने के कारण सभी को गणवेश नहीं देने की बात कह रहा है । एकलव्य आवासीय विद्यालय जिले के उन शिक्षण संस्थाओं में से एक है जिसने नित नए आयाम रचकर जिले के शिक्षण जगत में अपनी उपलब्धि दर्ज कराई है । जहां के बच्चों ने खेल , शिक्षा व संगीत जैसे विषयों में  न केवल जिला बल्कि मध्य प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर में भी अपने झंडे गाड़े हैं । वहीं जब परीक्षाएं सर पर खड़ी हैं ऐसे में एकलव्य प्रशासन बच्चों के प्रति कितना सजग है इसकी बानगी देखने मिली पिछले दिनों जहां जिला कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह अढायच ने अचानक स्कूल का निरीक्षण किया था।

अब मिलेगी गणवेश तो उसका क्या औचित्य

एकलव्य विद्यालय में विद्यार्थियों को गणवेश दिये जाने का प्रयास प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है और वरिष्ठ कार्यालय से बजट के लिये संपर्क किया जा रहा है हालांकि प्रबंधन का कहना है कि सरकार ने विद्यार्थियों के गणवेश का रंग बदल दिया है पहले जो गणवेश मिलती थी वह मिल चुकी है उसके अलावा दूसरे रंग की गणवेश भी कुछ विद्यार्थियों को नहीं मिल पाई है इसके साथ ही विद्यार्थियों को कोट भी दिया गया है जो कि लगभग 1500 रूपये की कीमत का है । वहीं यदि परीक्षायें प्रारंभ है यदि अब गणवेश मिलती भी है तो सरकार की मंशा और योनजाओं का क्या औचित्य रह जायेगा ।

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