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राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह ने आजादी की लड़ाई में देश के लिये सबसे उत्कृष्ट त्याग और दिया बलिदान-ओमकार मरकाम

राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह ने आजादी की लड़ाई में देश के लिये सबसे उत्कृष्ट त्याग और दिया बलिदान-ओमकार मरकाम

ओमकार सिंह मरकाम के प्रयास से अमर शहीद राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह का बंदीगृह अब बना क्रांतिकारी प्रेरणा केन्द्र 

प्रेरणा केन्द्र में मिलेगी अमर शहीद राजा शंकरशाह कुंवर रघुनाथशाह के अमर बलिदान की प्रेरणा 

जबलपुर। गोंडवाना समय। 
आदिवासी विकास, घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ एवं विमुक्त जाति मंत्री ओमकार सिंह मरकाम और सामाजिक न्याय, नि:शक्तजन कल्याण एवं अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री लखन घनघोरिया ने आजादी की लड़ाई के अमर शहीद गोंडवाना राजा शंकर शाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह के जबलपुर स्थित बंदीगृह को क्रांतिकारी प्रेरणा केन्द्र के रूप में स्थापित किया। इस प्रेरणा केन्द्र में दोनों अमर शहीदों की शहादत की स्मृति चिरस्थायी रहेगी।  देश की आजादी के लिये उनके त्याग और बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा।  आज के युवा और आने वाली पीढ़ीयाँ प्रेरणा ग्रहण करेंगी। नव स्थापित क्रांतिकारी प्रेरणा केन्द्र उच्च न्यायालय जबलपुर के समीप लेडी एल्गिन महिला चिकित्सालय के सामने वन मण्डलाधिकारी के कार्यालय परिसर में है। 
वेटनरी कॉलेज मैदान में आयोजित विशाल सभा को संबांधित करते हुए आदिवासी विकास मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि अमर शहीद गोंडवाना राजा शंकर शाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह ने आजादी की लड़ाई में देश के लिये सबसे उत्कृष्ट त्याग किया और बलिदान दिया। उन्हें तोप से उड़ाकर मृत्यु दंड की सजा सुनाने के बाद एक साथ पूरी रात बंदीगृह में पुन: रखा गया और शर्त रखी गयी कि यदि वे क्षमा मांग लेंगे तो उनकी मृत्यु दंड की सजा माफ कर दी जायेगी। लेकिन दोनों अमर शहीदों ने अंग्रेजों की गुलामी की स्थान पर देश के लिये बलिदान होने का मार्ग चुना।  इन अमर शहीदों को 14 सितंबर 1857 को गिरफ्तार कर इस बंदीगृह में रखा गया और मृत्यु दंड की सजा सुनाकर 18 सितंबर 1857 को तोप से उड़ाकर मृत्यु दंड दिया गया।

पहले भरा था कचरा समाज का बेटा होने के नाते पिता-पुत्र ने खुद किया सफाई

हम आपको बता दे कि मध्य प्रदेश शासन मंत्री ओमकार मरकाम अपने बेटे के साथ 20 जनवरी 2019 को गये थे और उन्होंने देखा कि बंदीगृह में वन विभाग का कचरा एवं कबाड़ भरा हुआ है।  यह देखकर उन्हें बहुत कष्ट हुआ।  उन्होंने अपने बेटे के साथ मिलकर सबसे पहले बंदीगृह का कचरा एवं कबाड़ को साफ किया और विचार करके यह संकल्प लिया कि देश की स्वतंत्रता के लिये जीवन देने वाले हमारे गोंडवाना राजा के बंदीगृह  स्थल से वन विभाग के कार्यालय को अलग करके उसे प्रेरणा केन्द्र बनायेंगे। वहां की साफ-सफाई कार्य में मंत्री ने कहा कि मैं स्वयं समाज का बेटा होने के नाते सम्मिलित हुआ। उन्होंने कहा कि सेना के जवान  सरहद में देश के लिये अपना जीवन न्यौछावर कर देते हैं उनके बलिदान को सलाम।  उन्होंने कहा कि सेना के तीनों सेनाध्यक्षों को भी इन अमर शहीदों के बलिदान स्थल का दर्शन करना चाहिये।  मंत्री ओमकार मरकाम ने कहा कि 162 वर्ष बाद वह क्षण आया है जब आज हम सभी देश के लिये अद्म्य साहस, देशभक्ति, त्याग और बलिदान के उन मूल्यों की प्रेरणा को स्थापित कर पाये हैं जो 18 सितंबर 1857 के वक्त रही होगी। मंत्री ओमकार मरकाम ने उपस्थित विशाल जन समुदाय को शपथ दिलाई कि अमर शहीद राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के त्याग और बलिदान को आदर्श मानकर हम सभी देश की अखण्डता और आजादी को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये मर मिटने के लिये सदैव तैयार रहेंगे।  उन्होंने कहा आदिवासी समाज के सर्वांगीण विकास के लिये आज भी काफी कार्य करने की आवश्यकता है और प्रदेश सरकार इस जिम्मेदारी को पूरा करने पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
 

मंत्री ओमकार मरकाम का प्रयास सराहनीय

सामाजिक न्याय और अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री लखन घनघोरिया ने कहा कि मंत्री ओमकार सिंह मरकाम के प्रयास सराहनीय हैं।  उन्होंने कहा अमर शहीद गोंडवाना राजा और कुंवर रघुनाथ शाह की शहादत अद्वितीय है। उन्होंने इन महान आत्माओं को शत-शत नमन समर्पित करते हुए स्मरण किया और कहा कि उनके बलिदान से हम सब को सदैव प्रेरणा मिलेगी। उनकी शहादत को भुलाया नहीं जा सकता। समारोह को विधायक फुन्दे लाल सिंह मार्को, विधायक नारायण सिंह पट्टा, विधायक नंदिनी मरावी, विधायक विजय राघवेन्द्र सिंह ने भी संबोधित किया।  इन्होंने अमर शहीद गोंडवाना राजा और कुंवर के बलिदान को याद किया और उनकी शहादत को चिरस्थायी बनाने के लिये मंत्री ओमकार सिंह मरकाम के कार्य की सराहना की और समाज के लिये महत्वपूर्ण एवं प्रेरणास्पद कहा।  इस अवसर पर विधायक भूपेन्द्र मरावी, विधायक वसंतसिंह, विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया, प्रदेश के विभिन्न क्षेत्र से आये जनप्रतिनिधि तथा आदिवासी समाज के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद थे। मंत्री द्वय सभा स्थल से प्रेरणा स्थल तक विशाल रैली के साथ पहुंचे।  वहां उन्होंने प्रेरणा केन्द्र की स्थापना की।  प्रेरणा केन्द्र के अन्दर दोनों अमर शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया तथा पुष्पांजलि अर्पित की।  दीप प्रज्जवलित किया।  इसके बाद चौराहे पर स्थापित दोनों अमर शहीदों की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके बलिदान को स्मरण किया। सभा स्थल पर मंत्री श्री मरकाम का पगड़ी पहनाकर, तिलक लगाकर सम्मान किया गया।  मालवा, खरगोन से पधारे आदिवासी समुदाय ने उन्हें तीर कमान भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में डिण्डौरी और अनूपपुर जिलों से आये आदिवासी कलाकारों ने करमा, गैड़ी आदि लोकनृत्य गीत की आकर्षक प्रस्तुति दी।  मंत्री ओमकार मरकाम स्वयं को रोक नहीं पाये वे भी नृत्य कर रहे कलाकारों के साथ नृत्य में शामिल हो गये तथा मादर बजायी। मंत्री ओमकार मरकाम ने प्रदेश के विभिन्न अंचलों से पधारे गणमान्य अतिथियों का स्वयं तिलक लगाकर सम्मान किया।

ऐसी शहादत को सुनकर ही रूह कांप जाती है 

ज्ञातव्य है कि भारत माता को स्वतंत्र कराने के लिए 1857 में स्वतंत्रता की प्रथम लड़ाई प्रारंभ हुई।  इस लड़ाई में भारत के मध्य में स्थित जबलपुर में गोंडवाना राजा शंकरशाह एवं उनके पुत्र कुंवर रघुनाथशाह, अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति के शंखनाद की तैयरी कर रहे थे।  इसकी जानकारी 52 वीं रेजीमेंट के लेफ्टीनेंट जनरल क्लार्क को मिली और उसने 14 सितंबर 1857 को राजा शंकरशाह एवं रघुनाथशाह को गिरफ्तार कर उन्हें जबलपुर रेल्वे स्टेशन के पास अस्थाई जेल बनाकर रखा।  मात्र चार दिवस में ही 17 सितंबर 1857 को राजा शंकरशाह, रघुनाथशाह को मौत की सजा सुनाई गई।  सजा सुनाते वक्त राजा शंकरशाह एवं रघुनाथशाह से कहा गया कि आप लोग माफी माँग लो तो सजा माफ कर दी जायेगी परन्तु न पिता ने माफी माँगी और न बेटे ने ही माफी माँगी।  परिणाम यह हुआ कि पिता और पुत्र को खुले आसमान के नीचे, तोप के मुँह में जिन्दा बाँध कर उड़ाने की सजा सुनाई गई । दिनांक 18 सितंबर 1857 को स्वतंत्रता के दीवाने क्रांतिकारी गोंड राजा शंकरशाह और रघुनाथशाह को खुले आसमान के नीचे जबलपुर उच्च न्यायालय के पास तोप से उड़ा दिया गया। गोंडवाना राजा शंकरशाह एवं रघुनाथशाह को जिस जेल में बंदी बनाकर रखा गया था, उसे देखने के लिए मंत्री ओमकार मरकाम अपने बेटे के साथ 20 जनवरी 2019 को गये और देखा कि बंदीगृह में वन विभाग का कचरा एवं कबाड़ भरा हुआ है।  यह देखकर उन्हें बहुत कष्ट हुआ।  उन्होंने अपने बेटे के साथ मिलकर सबसे पहले बंदीगृह का कचरा एवं कबाड़ को साफ किया और विचार करके यह संकल्प लिया कि देश की स्वतंत्रता के लिये जीवन देने वाले हमारे गोंडवाना राजा के बंदीगृह  स्थल से वन विभाग के कार्यालय को अलग करके उसे प्रेरणा केन्द्र बनायेंगे।

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1 Comments
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  1. Raja Shankar shah kunwar raghunath shah maravi ki Jay ho

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