पक्की नहर में उग आए बबूल के पेड़, हाथों से निकल रहा पुलिया का मटेरियल
सिवनी। गोंडवाना समय।
पेंच व्यपवर्तन की नहर की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए कोई जिले में पेंच परियोेजना का कोई भी धनीधैरी नही है। आलम ये है कि डस्ट से पुलिया का निर्माण कर रहे हैं जिसके कारण पुलिया का मटेरियल हाथों से ही निकल रहा है। वहीं दूसरी तरफ बनाई गई नहर में क्रांकिट ऐसा किया गया है कि उसके ऊपर बबूल के कटीले पेड़ उग आए हैं। यह हम नहीं बल्कि नहर की तस्वीर खुद ब खुद नहर निर्माण करने वाले ठेकेदार और पेंच व्यपवर्तन के ईई,एसडीओ की सांठगांठ को बयां कर रही है। इसकी बानगी मरझोर और कारीरात-संगई रोड पर बनाई गई नहर में देखा जा सकता है।
हाथों से ही निकल रहा है मटेरियल-
मरझोर बायपास रोड में संजय डेहरिया के खेत के पास जो नहर के ऊपर मेंटेना कम्पनी ने जो पुलिया बनाई है उसका मटेरियल हाथों से ही निकल रहा है। पुलिया में उपयोग किए गए मटेरियल से लगता है कि रेत की जगह डस्ट का उपयोग किया गया है। डस्ट और उसमें शामिल पत्थर के टुकड़े अलग ही दिखाई दे रहे हैं। अगर तकनीकी अमला इसकी जांच करें तो सारी हकीकत सामने आ जाएगी।
खरपतवार सहित बबूल के ऊग आए पेड़-
कारीरात और संगई गांव के बीच में जो बड़ी नहर बनाई गई है उसमें जगह-जगह खरपतवार सहित बड़े-बड़े बबूल के पेड़ उग आए है। जो नहर की गुणवत्ता की पोल खोल रहे हैं। लोगों का मानना है कि कांक्रीट करते समय नहर की साफ-सफाई तरीके से नहीं की गई होगी एवं पीवीसी स्ट्रिक का उपयोग नहीं किया गया है जिसके कारण सीमेंट की परत को चीरकर पेड़ व खरपतवार उग रहे हैं। तकनीकी सूत्र कहते हैं कि जैसे-जैसे पेड़ों की जड़ फैलेगी नहर का कांक्रीट उखड़ते जाएगा।