Type Here to Get Search Results !

जनजातीय लोगों को टेक्नोलॉजी में उन्नत बनाने के लिये किये जाये प्रयास-अर्जुन मुण्डा

जनजातीय लोगों को टेक्नोलॉजी में उन्नत बनाने के लिये किये जाये प्रयास-अर्जुन मुण्डा

शहद, बांस और लाह पर फोकस के साथ जनजातीय उद्यम पर कार्यशाला का किया उद्घाटन 

नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुण्डा ने गुरूवार को नई दिल्ली में ट्राईफेड तथा जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा आयोजित शहद, बांस और लाह पर फोकस के साथ जनजातीय उद्यम पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह, मंत्रालय के सचिव श्री दीपक खाण्डेकर और ट्राईफेड के प्रबंधन निदेशक श्री प्रवीर कृष्णा उपस्थित थे। जनजातिय मंत्री श्री अर्जुन मुण्डा ने बांस तथा बांस अर्थव्यवस्था, लाह तथा शहद पर रिपोर्ट जारी किया। इस राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन बांस, शहद और लाह पर जनजातीय उद्यम को प्रोत्साहित करने में कार्य योजना को प्रखर बनाने के लिए किया गया।

केवल रोजगार सृजन तक सीमित नहीं रहना चाहिए

अपने उद्घाटन भाषण में श्री अर्जुन मुण्डा ने कहा कि इस तरह के प्रयासों का फोकस केवल रोजगार सृजन तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि बाजार की आवश्यकताएं पूरी करने पर फोकस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समर्थन प्रणाली और अनुसंधान बाजार प्रेरित होने चाहिए और बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन उत्पादों के लिए बाजार को नवाचारी और अनुसंधान आधारित होना चाहिए। उत्पादों की गुणवत्ता और कीमतें भी उचित ढ़ंग से बनाई रखी जानी चाहिए। जनजातीय लोगों के साथ उद्यमी की तरह व्यवहार करने चाहिए और उन्हें टेक्नोलॉजी में उन्नत बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए।

ऐसी पहलों से वन धन विकास केन्द्र होंगे मजबूत 

इस अवसर पर श्रीमती रेणुका सिंह ने कहा कि ऐसी पहलों से वन धन विकास केन्द्र मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि वन धन, जनधन और पशुधन के एकीकरण से जनजातीय लोगों की जिन्दगी में सुधार आए। वन धन योजना में जनजातीय लोगों को समर्थन देने के लिए स्वयं सहायता समूहों का क्लस्टर है और यह वन क्षेत्रों में तथा आसपास रहने वाले लोगों की पारिवारिक आय का मुख्य स्रोत है।अपने स्वागत भाषण में श्री दीपक खाण्डेकर ने कहा कि वन धन योजना के लिए बांस, शहद और लाह को शामिल करने का कारण यह है कि ये सामग्रियां पहले से बाजार में हैं और उत्पादकों यानी जनजातीय उद्यमियों को खरीद-प्राथमिक स्तर की प्रोसेसिंग, भण्डारण, मूल्यवर्धन और विपणन श्रृंखला तक ले जाने में सहायक हैं।
उद्घाटन सत्र के बाद बांस उत्पादों, लाह उत्पादों और शहद पर तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने इन उत्पादों से संबंधित सफलता की गाथाओं, उत्पादन, उपयोग और व्यवसाय पर प्रेजेन्टेशन दिया। राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य बांस, शहद और लाह के क्षेत्र में कौशल और स्थानीय संसाधनों पर आधारित जनजातीय उद्यम स्थापित करने के लिए रणनीति बनाना है। कार्यशाला में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने विचार विमर्श किया और कार्य योग्य तथा वाणिज्यिक रूप से व्यवहारिक जनजातीय उद्यम स्थापित करने के बारे में अपनी राय प्रकट की।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.