चंदन एवं बाँस की व्यसायिक खेती एवं उससे मिलने वाले लाभों पर दिया व्याख्यान
वानिकी में केचुँआ खाद एवं जैव उर्वरक के उत्पादन की बताया तकनीक
लखनादौन। गोंडवाना समय।
राजीव गाँधी सहभागी वानिकी प्रशिक्षण संस्थान, लखनादौन, सिवनी में आयोजित दो दिवसीय (12-13 मार्च, 2020) प्रशिक्षण/कार्यशाला कार्यक्रम लखनादौन वन विद्यालय में संपन्न हुआ। इसके तहत पर्यावरण वन एवं मौसम परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के अनतर्गत भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद से सम्बन्धित उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ राज्य के वन विभाग के अधिकारी एंव कर्मचारी को नवीनतम अनुसंधान /तकनीकी वन विज्ञान केन्द्र के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने से उत्तर वनमण्डल के समस्त कर्मचारियों को मिलेगा। वहीं वानिकी कार्यो में गुणवत्ता युक्त कार्य करने में मदद मिलेगी। पर्यावरण को संतुलित बनाने में विशेष शोधकार्य की कार्यशालाये से अनुभव का लाभ मिलेगा तथा पर्यावरण संतुलन में सहभागी बनेगे ।
वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी व किसान हुये शामिल
उन्नत नर्सरी तकनिक वृक्ष सुधार एवं कृषि वानिकी एवं वन रोपनियों रोपवनों के कीटों रोगों का समन्वित प्रबंधन पर 12-13 मार्च 2020 को आईसीएफआरई की वन विज्ञान केन्द्र अन्तर्गत उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर से आए वैज्ञानिकों नें मध्य प्रदेश शासन वन विभाग के सहयोग से दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन राजीव गाँधी सहभागी वानिकी प्रशिक्षण संस्थान लखनादौन सिवनी किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यशाला कार्यक्रम में वन विभाग के लगभग 100 अधिकारी- कर्मचारी तथा किसानों ने भी भाग लिया।
प्रशिक्षार्थियों को वैज्ञानिकों ने दिया जानकारी
12 मार्च को उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. गीता जोशी प्रभागाध्यक्ष वन विस्तार प्रभाग उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर एवं श्री कोर्चे अनुदेशक राजीव गाँधी सहभागी वानिकी प्रशिक्षण संस्थान लखनादौन ने किया। कार्यक्रम में डा. एस.एन. मिश्रा द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम रुपरेखा एवं उद्देश्यो को बताया गया। कार्यक्रम के अन्तर्गत डा. नसीर मोहम्म्द नें वृक्ष प्रजातियों का सुधार, बीज फलोद्यान की स्थापना एवं प्रबधन, डा. गीता जोशी एवं डा. अरुन कुमार वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंदन एवं बाँस की व्यसायिक खेती एवं उससे मिलने वाले लाभों पर व्याख्यान दिया गया। क्षेत्र भ्रमण के दौरान वन संशोधन केन्द्र द्वारा स्थापित सागौन बीजोद्यान एवं औषधीय रोपण क्षेत्र में प्रशिक्षार्थियों को वैज्ञानिकों विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।
वृक्षारोपणों में कीटों का एकीकृत प्रबंधन पर दिया प्रशिक्षण
कार्यक्रम के द्वितीय दिवस में 13 मार्च को डा. ननीता बेरी ने कृषि वानिकी एवं मध्य प्रदेश राज्य हेतु उपयोगी कृषि वानिकी के माडल एवं एकीकृत कृषि प्रणाली का महत्व बताया। कार्यक्रम में डॉ एस.सी. बिश्वास द्वारा मध्य भारत की कुछ महत्वपूर्ण औषधीय पादप प्रजातियों एवं उनकी कृषि तकनिक विषय के संबंध में जानकारी दिया। आगे कार्यक्रम में श्री ए.जे.के. असैया ने वानिकी में केचुँआ खाद एवं जैव उर्वरक के उत्पादन की तकनीक एवं उसकी उपयोगिता के संबंध में जानकारी प्रदान किया। इसके साथ ही आगे कार्यक्रम में श्रीमति शालिनी बाहुते ने वन रोपणियों एवं वृक्षारोपणों में कीटों का एकीकृत प्रबंधन पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
कार्यक्रम में ये रहे मौजूद
समारोह में धन्यावद ज्ञापन श्री आर.बी. माँझी द्वारा किया गया। वनमण्डल अधिकारी श्री प्रदीप मिश्रा के निर्देशन में प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। जिसमें उपवनमण्डल अधिकारी लखनादौन श्री गोरव मिश्रा, वन विदयालय लखनादौन अनुदेशक श्री एन. के. कोर्चे, प्रशिक्षु स.व.स. प्रशांत साकुरे, परिक्षेत्र अधिकारी धूमा श्री सुभाष तिवारी एवं वनमण्डल के उपवनवक्षेत्रपाल एवं वनरक्ष्ाक प्रशिक्षण में उपस्थित थें।