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सिवनी जिले में किसानों को हो सकता है 5 अरब रूपये का नुकसान

सिवनी जिले में किसानों को हो सकता है 5 अरब रूपये का नुकसान

मक्के की एमएसपी 1750 रूपये पर खरीद को लेकर प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन 

सिवनी। गोंडवाना समय। 
मक्का का एमएसपी-1760 रुपया निर्धारित है पर वर्तमान में किसान का मक्का एमएसपी से लगभग 40 से 50% कम दाम पर मंडियों में व्यापारियों द्वारा खरीदा जा रहा जा रहा है। जबकि 1 एकड़ में मक्का की लागत 16 से 18 हजार रुपये आती है जो अन्य फसलों के मुकाबले सबसे अधिक है। किसान 1 एकड़ में 8 किलोग्राम मक्का बोता है जिसकी कीमत लगभग 3000 से 4000 रुपये तक है। किसान को मक्का उत्पादन के लिए एक एकड़ में 5 हजार रूपये तक की उर्वरक खाद भी डालना पड़ता है। मक्का उत्पादन के लिए 1 एकड़ में 5 हजार की मजदूरी भी लगती है, जो अन्य फसलों के मुकाबले बहुत अधिक है।

गांव में ज्याद रोजगार बढ़ाने जरूरत मक्का की फसल में मजदूरों को मिलता है काम 


खरीफ सीजन में सिवनी, छिन्दवाड़ा, बैतूल, नरसिंहपुर, हरदा, होशंगाबाद, मंडला, सागर आदि जिलों के किसानों के लिए सबसे विश्वसनीय फसल मक्का ही है क्योंकि कम बारिश अधिक बारिश में भी मक्के की फसल हो ही जाती है। इसके साथ ही मक्का का उत्पादन बहुत अच्छा होता है इसलिए किसान मक्का ही बोना चाहता है। मक्का की फसल से ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को अन्य फसलों के मुकाबले सबसे अधिक काम और मजदूरी मिलती है, प्रति एकड़ 5000 हजार रुपया किसान मजदूर को मजदूरी देता है। मतलब एक 10 एकड़ का मक्का किसान 50 हजार रुपया की मजदूरी देता है। कोरोना की विपदा में शहरों से गांव में पलायन हुआ है अत: गांव में ज्यादा रोजगार बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए किसान को मक्का का समर्थन मूल्य दिया जाना बहुत आवश्यक हो जाता है। 

प्रत्येक गांव में लगभग 1 करोड़ का किसानों को हो सकता है घाटा 

राजस्व गिरदावरी गणना के अनुसार पिछले साल सिवनी जिले में 4 लाख 35 हजार एकड़ जमीन में मक्के की बोनी हुई थी। इस वर्ष मक्के का समर्थन मूल्य न मिलने से पूरे सिवनी जिले का घाटा 5 अरब से ज्यादा का होगा, प्रत्येक गांव में लगभग 1 करोड़ से अधिक का घाटा है। वर्तमान में भी किसान को आधे दाम मिलने से मक्का में 15 से 18 हजार रुपया प्रति एकड़ का घाटा है। केंद्र सरकार द्वारा भी मोटे अनाज के प्रोत्साहन कार्यक्रम के अंतर्गत मध्यप्रदेश सरकार को 20 लाख टन मोटे अनाज खरीद करने का कोटा दिया गया है और मक्का भी उसकी श्रेणी में आता है। 

किसान व मजदूरों के हित में फैसला ले सरकार 

अत: इस स्थिति को देखते हुए किसान सत्याग्रह संघ ने अपील किया है कि आप वर्तमान समय में एवं खरीफ के समय में आने वाली मक्के की फसल की खरीद को न्यूनतम समर्थन मूल्य 1760 में शासन द्वारा खरीद किया जाना सुनिश्चित करे। ऐसा न होने की परिस्थिति में हम किसानो को अपने हितो को रक्षित करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुचारू बनाये रखे हेतु आन्दोलन की ओर अग्रसर होना होगा। किसानो और मजदूरों के हितो में फैसला लेते हुए हमारी मांग को आप अवश्य मानेंगे यह विश्वास किसान सत्याग्रह संघ ने जताया है। उक्त मांग करते हुये प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से विजय बघेल, सतीश राय, शिवम बघेल, मीना जैसवाल आदि ने किया है। 

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