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हर व्यक्ति से उनकी आत्मीयता और सरल व्यवहार उन्हें हर बार संसद तक पहुंचाता है

हर व्यक्ति से उनकी आत्मीयता और सरल व्यवहार उन्हें हर बार संसद तक पहुंचाता है

जन्म दिवस पर विशेष
पीयूष दुबे 
राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य
भाजपा युवा मोर्चा
            पिछले 30 वर्षों में भारत की राजनीति में आमूलचूर परिवर्तन हुए है। देश में ऐसे बहुत कम नेता है जो इन वर्षो में स्थायित्व बनाये हुए है, उनमें से एक है प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गनसिंह कुलस्ते जो न सिर्फ सांसद बने रहे बल्कि भाजपा की तीनों सरकारों में मंत्री भी रहे लेकिन मंत्री या सांसद होने से कहीं अधिक उनकी पहचान जननेता के रूप में है। क्षेत्र की जनता की उन तक आसान पहुंच, हर व्यक्ति से उनकी आत्मीयता और सरल व्यवहार उन्हें हर बार संसद तक पहुंचाता है। 

नवयुवक फग्गन सिंह की हार के चर्चे जीते उम्मीदवारों से कई ज्यादा थी

मण्डला के सुदूर वनांचल क्षेत्र बरबटी से आत्मनिर्भर होकर जबलपुर में संघर्ष कर उच्च शिक्षा प्राप्त कर वकालत की पढ़ाई के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन किया। छात्रराजनीति में सक्रिय रहकर, वनवासी परिषद से जुड़ गए, फिर बच्चों को शिक्षा मिले इसलिए गांव में एक स्कूल का संचालन करने लगे, इन सब के बीच कुश्ती खेलते खेलते क्षेत्र में लोकप्रिय हो गए, आत्मविश्वास से परिपूर्ण श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने युवा अवस्था में पहला निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ लिया, जिसमे बहुत ही कम अंतर से हारे, पूरे मध्यप्रदेश में इस चुनाव में नवयुवक फग्गन सिंह की हार के चर्चे जीते उम्मीदवारों से कई ज्यादा थी। 

25 वर्षों से स्थापित कांग्रेस सांसद को हराया 

              संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े रहने के कारण भाजपा से जुड़ गए और अगला चुनाव में भाजपा से जीतकर विधानसभा में पहुंचे जहां सुंदर लाल पटवा जी ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए संसदीय सचिव की जिम्मेदारी दे दी, इसके बाद क्या था! इंडियन पोलटिकल लीडर खोज अभियान में निकले पं. अटल बिहारी वाजपेई जी और श्री लालकृष्ण आडवाणी जी की नजर में आ गए। भाजपा से लोकसभा चुनाव लड़े और 25 वर्ष से स्थापित कांग्रेस के सांसद को हराया, जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में कमल खिलाने वाले कुलस्ते पहले नेता बने। 

पहले जनजाति कल्याण मंत्री बने 

फिर अटल जी की सरकार में देश के पहले जनजाति कल्याण मंत्री बनें, आदिवासी हितों की कई योजनाये बनाई, नक्सल प्रभावित इलाकों में जनजातियों से सीधे संपर्क बनाकर उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने का काम किया।
आदिवासी संस्कृति से संबंधित क्षेत्रों का संरक्षण शुरू किया, देश भर के आदिवासी इलाकों में दौरा शुरू कर जनजाति समुदाय के राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित हो गए वनांचल क्षेत्रों आदिवासी महोत्सव करवाकर केंद्रीय सरकारों और राज्य सरकारों को आदिवासी की मूल समस्याओं तक पहुंचने में मदद मिली।

यूपीए सरकार ने उन्हें तिहाड़ जेल में रखकर कई दिनों तक यातनाएं देने की कोशिश की 

          आदिवासी हितों की लड़ाइयों में वे कई बार सड़को पर उतरे आंदोलन का नेतृत्व किया। वर्ष 2003 के मध्यप्रदेश  विधानसभा चुनावों में आदिवासी क्षेत्रों में कमल खिलाने की जिम्मेदारी श्री फग्ग्न सिंह कुलस्ते को दी गई। जिस पर खरा उतरते हुए अधिकांश सीटों में विजय दिलवाया, पारंपरिक रूप से कांग्रेसी के पक्ष में मतदान करने वाले जनजातिय मतदाताओं को मानस बदलकर विकास के विचार से जोड़ा।
           लंबे अरसे के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा की। खबरों से दूरी बनाए रखने वाले श्री फग्गन सिंह कुलस्ते मीडिया के दौर लाइट में पहली बार नोट फॉर वोट कांड में सामने आए जहाँ उन्होंने भारत की संसद में सांसदो की खरीद फरोख्त को संसद में नोट उड़ाकर उजागर किया। जिससे बौखलाई तात्कालिक बौखलायी यूपीए सरकार ने उन्हें तिहाड़ जेल में रखकर कई दिनों तक यातनाएं देने की कोशिश की गई। 

राज्यसभा में किया प्रतिनिधित्व, स्वास्थ्य के बाद अब इस्तात मंत्री 

इसी बीच परिसीमन के कारण सिवनी जिले की दो विधानसभा और नरसिंगपुर की एक विधानसभा मण्डला लोकसभा में जोड़ दिया गया। कोर्ट कचहरी में उलझे रहे श्री फग्गन सिंह कुलस्ते वर्ष 2009 लोकसभा का चुनाव नही जीत पाए लेकिन जनता के बीच बने रहने के कारण राज्यसभा से सांसद बनकर मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया।
वर्ष 2014 के चुनाव में राज्यसभा का कार्यकाल बचे रहने के बावजूद लोकसभा चुनाव लड़ा भारी अंतर से जीत दर्ज किया। फिर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री रहकर आयुष्मान योजना के निर्माण में सहयोग दिया। फिर वर्ष 2019 में विजयी होकर केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री बने हुए है।

कुलस्ते जी की एक पहचान और है कि वो लेट हो जाया करते है क्योंकि वे आग्रह के बहुत कमजोर है

इस लंबे राजनीतिक कार्यकाल में वे कई बार भाजपा जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, एसटी पार्लियामेंट्री कमेटी के चेयरमैन और कई समितियों के सदस्य रहे है। संघ के वनवासी विकास परिषद के भी कई दायित्वों में रह चुके है। भारतीय प्रतिनिधि मंडल के रूप में कई विदेश यात्रा में शामिल रह चुके है लेकिन आज  भी उनके सहज सरल स्वभाव के कारण मण्डला लोकसभा क्षेत्र में उनकी पहचान ये सब नही है, क्षेत्र के लोग आज भी उन्हें भैया कहते है, छोटी छोटी मांगो को लेकर उनके पास नजर आते है। कई कई बार तो उनसे लड़ते भिड़ते भी दिखाई देते है। वे जिससे भी मिलते है बड़ी आत्मीयता से मिलते है। हर व्यक्ति की बात सुनते है। हर व्यक्ति के लिए फोन लगाते है। श्री फग्ग्न सिंह कुलस्ते जी की एक पहचान और है कि वो लेट हो जाया करते है क्योंकि वे आग्रह के बहुत कमजोर है। 

लंबे राजनीतिक कैरियर में उनका कोई दुश्मन नही है ये शायद सबसे बड़ी उपलब्धि है

            जिसने जो भी आग्रह किया स्वीकार कर लेते है, क्षेत्र में जिस भी गांव से गुजरते है। वहां के बड़े बुजुर्गों को पहचान कर हाल चाल जानने लगते है। कई बार छोटे से आग्रह किसी के घर भी भोजन कर लेते है। चाहे वो पेज या पुलाव क्यो न हो ! रास्ता चलते कभी चाट तो कभी फुल्की खा लेते है, यदि भुट्टे का सीजन रहा तो फिर तो मत ही पूछो ! इन सब खूबियों से वे सदैव अपने लोगो के बीच अपनापन महसूस कराते है। श्री फग्ग्न सिंह कुलस्ते देश के इकलौते नेता होंगे जिन्हें लोग सुनना कम, समझना ज्यादा पसंद करते है। 

हर व्यक्ति को देते है सम्मान 

          केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए भी वो क्षेत्र के लोगो को बड़ा समय देते है और सबसे अधिक क्षेत्र में प्रवास करते है। उनकी गाड़ी के पहिये 24 घंटे में 20 घण्टे चलते है। हर व्यक्ति को सम्मान देते है और युवा कार्यकर्ता को जमीन में रहकर काम करने की सीख, उनके 40 वर्ष के लंबे राजनीतिक कैरियर में उनका कोई दुश्मन नही है ये शायद सबसे बड़ी उपलब्धि है। विपक्षी पार्टियों के नेता भी उनके मुरीद दिखाई पड़ते है।
            उनके साथ उनका करिश्माई व्यक्तित्व हमेशा उन्हें बड़ी जीत दिलाता है। लोगो को उनसे लगाव होता  जाता है। मंडला संसदीय क्षेत्र विरला व सुदुर अंचलों में 300 किलो मीटर लंबे और चार जिलों में फैले उनके लोकसभा क्षेत्र में हर गांव तक पहुंचते है। ग्राम पंचायतों से लेकर जिला प्रशासन तक सब तरह की शिकायत सुनते है।
           राजनीति में सुनने की आदत होना बहुत जरूरी है ये भी आप श्री फग्गन सिंह कुलस्ते से सीख सकते है। दुनिया मे सरल हो जाना ही सबसे कठिन काम है। ये श्री फग्गन सिंह कुलस्ते से सीखने की सभी नेताओं को आवश्यकता है।
जन्म दिवस पर विशेष
पीयूष दुबे 
राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य
भाजपा युवा मोर्चा

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