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झारखंड के मजदूरों और किसानों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा-मुख्यमंत्री

झारखंड के मजदूरों और किसानों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा-मुख्यमंत्री 

मुख्यमंत्री  हेमन्त सोरेन ने  नामकुम स्थित भारतीय प्राकृतिक रॉल और गोंद संस्थान का भ्रमण किया 

संस्थान द्वारा लाख की खेती  प्रसंस्करण उत्पाद निर्माण को लेकर किए जाने वाले अनुसंधान की जानकारी ली झारखंड के परिपेक्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में लाख की खेती और उत्पाद रोजगार का बेहतरीन माध्यम बन सकता है 

मजदूरों और किसानों को उनके गांव पंचायत में रोजगार उपलब्ध कराएंगे 

रोजगार सृजन के सिलसिले में अपने आंतरिक संसाधनों का कर रहे हैं आकलन 
रोजगार सृजन से जुड़े सभी संसाधनों को कड़ी के रूप में जोड़ा जाएगा 

रांची। गोंडवाना समय।
झारखंड के मजदूरों- किसानों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख नहीं करना पड़े। मजदूरों का पलायन रुके इस दिशा में सरकार ने पहल शुरू कर दी है। कोरोना संकट को लेकर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को अपने ही गांव और पंचायत में रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।
        मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार 5 मई 2020 को नामकुम स्थित  भारतीय प्राकृतिक रॉल और गोंद संस्थान  के द्वारा लाख का उत्पादन प्रसंस्करण और उत्पाद निर्माण की दिशा में किए जाने वाले कार्य और अनुसंधान का जायजा लेने के क्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के परिपेक्ष में लाख की खेती और उसे तैयार होने वाले उत्पादों के क्षेत्र में रोजगार का बेहतरीन माध्यम साबित हो सकता है। सरकार की कोशिश है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को लाख की खेती से जोड़ा जाए और इसके लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराई जाएगी। 

इस संस्थान की पूरी दुनिया में अलग पहचान थी 

मुख्यमंत्री ने कहा कि  यह संस्थान देश का इकलौता संस्थान है। जो लाख की खेती और अनुसंधान के लिए कभी पूरी दुनिया में जाना जाता था। लाख की खेती में कभी बड़ी संख्या में ग्रामीण परिवारों को रोजगार मिलता था लेकिन दुर्भाग्य से यह संस्थान और लाख की खेती आज विषम परिस्थितियों से गुजर रही है। लाख से उत्पाद बनाने की कला विलुप्त होती जा रही है लेकिन फिर से इसे  विकसित करने रोजगार से जुड़ने के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठाएगी।

रोजगार सृजन के लिए कड़ियों को जोड़ने का सिलसिला शुरू 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजन की दिशा में सरकार ने पहल शुरू कर दी है। इस सिलसिले में ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा संचालित किए जाने वाले 3 योजनाओं का शुभारंभ हो चुका है और आने वाले दिनों में  इसका दायरा तेजी से बढ़ेगा। इस सिलसिले में रोजगार के क्षेत्र में वैल्यू एडिशन का आकलन सरकार कर रही है और उसी के हिसाब से रोजगार के अवसर लोगों को उपलब्ध कराए जाएंगे। 

आंतरिक संसाधनों का हो रहा आकलन 

मुख्यमंत्री ने कहा कि लाखों की संख्या में मजदूर  वापस आ रहे हैं। ऐसे में उनको रोजगार उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है लेकिन इस चुनौती को हम एक अवसर के रूप में ले रहे हैं। हमने इस दिशा में अपने आंतरिक संसाधनों का आकलन करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में आज इस संस्थान की गतिविधियों और कार्यों का जायजा लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य में संसाधनों की कोई कमी नहीं है। बस उसे बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना है, हमें उम्मीद है कि सरकार इस कार्य में पूरी तरह सफल साबित होगी और ना सिर्फ यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि दूसरे राज्यों से भी काम करने के लिए यहां मजदूर आएंगे। 

लाख की खेती को बिरसा हरित ग्राम योजना से जोड़ने से काफी फायदा मिलेगा

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर संस्थान के पूरे परिसर का भ्रमण किया और किए जाने वाले कार्यों और अनुसंधान  की जानकारी लिया। संस्थान के निदेशक डॉ के के शर्मा ने मुख्यमंत्री को बताया कि वन के साथ  साथ इसे कृषि से जोड़ा जाए तो लोगों को अपने ही गांव और पंचायत में बड़े पैमाने पर रोजगार मिल सकेगा। इससे ना सिर्फ लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। निदेशक ने मुख्यमंत्री से कहा कि लाख की खेती को बिरसा हरित ग्राम योजना से जोड़ने से काफी फायदा मिलेगा। 

संस्थान में  म्यूजियम और प्रयोगशाला आदि का लिया जायजा 

मुख्यमंत्री ने संस्थान परिसर में मौजूद म्यूजियम , प्रयोगशाला,  लाख कीट फील्ड जीन बैंक ,उत्पादन इकाई, फार्मिंग परिसर और प्रसंस्करण इकाई का भ्रमण किया और यहां किए जाने वाले कार्यों गतिविधियों और अनुसंधान  की जानकारी ली।  इस  मौके पर विधायक  श्री राजेश  कच्छप, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का,  संस्थान के निदेशक डॉ के के शर्मा , सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के निदेशक श्री राजीव लोचन बख्शी,  मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार श्री अभिषेक प्रसाद और मुख्यमंत्री के वरीय आप्त सचिव श्री सुनील कुमार श्रीवास्तव  प्रमुख रूप से मौजूद थे। 

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