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आदिवासी महिला को नर्स ने कोरोना है कहकर प्रसव के बाद अस्पताल से भगाया

आदिवासी महिला को नर्स ने कोरोना है कहकर प्रसव के बाद अस्पताल से भगाया 

चांगोटोला हॉस्पिटल में‌‌ आदिवासी महिला के साथ नर्स ने किया अमानवीय व्यवहार

कोरोना संकट के समय स्वास्थ्य विभाग की छबी धूमिल कर रही चांगोटोला में पदस्थ नर्स 

बालाघाट/चांगोटोला। गोंडवाना समय।
इन दिनों वैश्विक महामारी कोरोना भारत में  संक्रमण के बचाव हेतु डॉक्टरों, नर्स, व अस्पताल से जुड़े प्रत्येक कर्मचारी व अधिकारी की टीम सक्रियता से कार्य कर रही है। इनके कार्य हेतु नागरिकों के द्वारा सम्मान भी किया जा रहा है। वहीं कुछेक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के कारण पुरा स्वास्थ्य अमला की छबी धूमिल हो रही है। ऐसा ही एक मामला दु:खद व निदंनीय के तौर पर सामने आया है।
         
          इसके बाद ग्रामीणों ने इसको लेकर पूरी पड़ताल करवाया, जिसमें डॉक्टरों की टीम ने स्क्रीनिंग गांव पहुंचकर किया जिसमें महिला ने कोरोना जैसे लक्षण दिखाई नहीं दिये। वहीं नर्स द्वारा कोरोना हो जाने और लक्षण की बात कहने पर ग्रामीणों ने नाराजगी व्याप्त है। 
बालाघाट जिले में स्थित चांगोटोला क्षेत्र अंतर्गत आदिवासी गर्भवती महिला के साथ अमानवीय कृत्य चांगोटोला में पदस्थ नर्स दीप्ति बिसेन के द्वारा प्रसुती के बाद आदिवासी महिला को कोरोना हो गया है, तुम पर कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे है, तुम यहां से जाओ और समय बर्बाद करने के लिये महिला के पति से 2 हजार रूपये की डिमांड भी किया।

प्रसव पीड़ा हुई तो 108 से आशा कार्यकर्ता ने पहुंचाया चांगोटोला अस्पताल 

पीड़ित परिवारजनों ने बताया कि बीते दिवस दोपहर में प्रसुती हेतु गर्भवती आदिवासी महिला सोमकली उईके को दर्द उठा तो उन्होंने समीप की आशा कार्यकर्ता लक्ष्मी ठाकरे को सचूना दिया और वाहन 108 बुलाये जाने को कहा, जिस पर आशा कार्यकर्ता ने वाहन 108 बुलवाकर चांगूटोला अस्तपाल पहुंचा दिया।
         जहां पर प्रसूति महिला सोमकली उईके ने स्वास्थ्य बच्चे को जन्म दिया। वहीं प्रसुती महिला को प्रसव हो जाने के बाद अस्पताल में मौजूद नर्स के द्वारा लगभग 1 घंटे बाद ही हॉस्पिटल से घर जाने को कह दिया गया। इसके लिये नर्स द्वारा कहा गया कि तुममें में कोरोना के लक्षण है और तुम्हे कोरोना है। इसलिये तुम यहां से चले जाओ। 

नर्स ने आशा कार्यकर्ता से कहा इसे तुमने बालाघाट क्यों नहीं भेजा 

इतना ही नहीं नर्स द्वारा प्रसुती के लिये चांगोटोला भेजने वाली आशा कार्यकर्ता लक्ष्मी ठाकुर को भी फोन लगाकर कहा कि तुमने इसको यहां पर क्यों भेज दिया। इसमें कोरोना के लक्षण है, इसे कोरोना हो गया है, तुमने इसको चांगूटोला क्यों भेजा था, तुम्हें तो इसे बालाघाट भेजना चाहिये था और आशा कार्यकर्ता पर नर्स नाराज होती रही। 

कोरोना की खबर सुनकर मेडिकल आॅफिसर चेकअप करने पहुंचे

जब प्रसूति आदिवासी महिला सोमवती उईके के संबंध में नर्स द्वारा इस तरह की बात कहने की जानकारी मेडिकल आफिसर को मिली तो वह मौका स्थल पर आदिवासी महिला के घर जाकर जज्चा-बच्चा दोनो का चेकअप किया गया।
      जहां पर चेकअ‍ॅप करने वाले स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर के द्वारा बताया गया कि महिला ने कोरोना वायरस संक्रमण जैसे कोई लक्षण नहीं पाए गए है। उन्होंने बताया कि महिला एवं बच्चा दोनों स्वस्थ और तंदुरुस्त है। नर्स के द्वारा कोरोना को लेकर जो बाते कहीं गई है ऐसी कोई बात समझ नहीं आ रही है। 

मेरा किया समय बर्बाद, 2 हजार रूपये दो नहीं तो घर जाओ

प्रसव के बाद नर्स दीप्ती के द्वारा प्रसुति महिला के पति से पत्नि को घर लेकर जाने की बात रात्रि में ही कहने लगी। पति को डांट फटकार लगाते हुये कहा कि तुम्हारी पत्नि को कोरोना हो गया है, उससे और बच्चे से तुम दूर रहना। तुम जल्दी से अपनी पत्नि को यहां से लेकर जाओ। इसके साथ ही पति से नर्स ने कहा कि तुमने मेरा समय बर्बाद कर दिये हो इसके लिये तुम 2 हजार रूपये मुझे दो नहीं तुरंत यहां से निकल जाओ और अस्पताल से रात्रि में ही जाने को मजबूर कर दिया । 

ईट काटने पिछले 7 माह पहले से चनेवाड़ा में कर रहे थे निवास 

प्रसुता के पति ने बताया कि वह पिछले 7 माह पूर्व से परिजन के घर खेत में ईट काटने के लिए आए हुए थे। इसी दौरान महिला गर्भवती हो गई थी और आदिवासी महिला सोमवती उईके हर महीने चेकअप के लिए वह अपने निवासरत ग्राम खुरसोड़ा में जाती थी।
     इस समय वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते वह इधर-उधर जाने में असमर्थ हो गई और घर में ही रहती थी। वहीं बीते दिवस महिला को प्रसव पीड़ा होने लगी इसी दौरान उन्होंने चांगोटोला हॉस्पिटल आशा कार्यकर्ता की सलाह पर भेजा गया था जहां पर स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया । 

नर्स दीप्ति चौधरी ने दी सफाई 

जब इस संबंध में चांगोटोला हॉस्पिटल में पदस्थ नर्स दीप्ति से ग्राम के ही जागरूक युवाओं द्वारा जब बात किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है और ना ही मैंने उनसे अभद्र व्यवहार किया है और ना ही किसी प्रकार से उनसे मैंने पैसों की मांग की है। हालांकि नर्स दीप्ती ने कहा कि इस विषय में मैं किसी प्रकार से कोई बात नहीं करना चाहती जो भी कुछ जानकारी आप चाहते हैं वह मेरे बीएमओ सर से आप कल ले लीजिएगा।

बैगा आदिवासी महिला मामले में हो चुकी है नर्स दीप्ती निलंबित 

हम आपको बता दे कि लगभग 1 वर्ष पूर्व भी महिला नर्स के रहते चांगोटोला हास्पिटल में विशेष संरक्षित जनजाति बैगा महिला के साथ अमानवीय घटना सामने आई थी। बताया जाता है कि बैगा आदिवासी समुदाय की महिला ने हॉस्पिटल के बरामदे में ही बच्चे को जन्म दिया था। इसी मामले को प्रशासन ने संज्ञान में लेते हुए महिला नर्स दीप्ति को निलंबित कर दिया था। इसके बाद भी नर्स दीप्ती के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया है ऐसा ग्रामीणों का कहना है। 

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