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छोटे झटके लोगों एवं सम्पति के लिए नहीं होते नुकसानदेह, प्रथम दृष्टया, लगातार झटकों को ''भूकंप के झुंड'' के रूप में किया वर्गीकृत

छोटे झटके लोगों एवं सम्पति के लिए नहीं होते नुकसानदेह, प्रथम दृष्टया, लगातार झटकों को ''भूकंप के झुंड'' के रूप में किया वर्गीकृत 

भू- वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रतिवेदित रिपोर्ट

जिला मुख्यालय सिवनी में बीते कुछ महिने में कई बाद धरती कांपने के बाद आम जनों में जहां भय व्याप्त था, वहीं कंपन की स्थिति के बाद भूंकप आने की खबर सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बन जाता था। वहीं इस मामले में राजनैतिक दलों के द्वारा भी जांच कराकर वास्तविकता सामने लाये जाने की मांग की गई थी। बार-बार इस तरह की धरती कंपन की स्थिति की बात सामने आने पर प्रशासन द्वारा भू वैज्ञानिकस-सर्वेक्षण विभाग जबलपुर को पत्र लिखा गया था। इस आधार पर 7 सितंबर 2020 को सर्वेक्षण विभाग के जियोफिजिसिस्ट एम एस पठान एवं असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट सुजीत कुमार सिवनी पहुंचकर सर्वेक्षण किया गया था। भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सिवनी जिले के सेंट्रल इंडियन टेक्टोनिक जोन में स्थित होने का लेख करते हुए। प्रथम दृष्टया, लगातार झटकों को ''भूकंप के झुंड'' के रूप में वर्गीकृत किया है। मानसून के कारण पानी की मेज में बदलाव के कारण इस तरह के झटको की संभावना होती है। वर्षा जल के अंदुरूनी चट्टानों में रिसने से अंदर का दबाव बढ़ जाने के कारण भी इस तरह के क्वेक या स्वार्म्स की संभावना बनती हैं। भू-गर्भिय घटनाओं के विस्फोट की ध्वनि के साथ होने को स्रोत क्षेत्र के बहुत उथला होने की संभावना व्यक्त की गई है।


सिवनी। गोंडवाना समय।
 

विगत दिवसों में जिला मुख्यालय में महसूस की गई भु-गर्भिक हलचल को लेकर कलेक्टर डॉ राहुल हरिदास फटिंग द्वारा भारतीय भू वैज्ञानिक-सर्वेक्षण विभाग जबलपुर को लिखे गए पत्र के परिपालन में सर्वेक्षण विभाग के जियोफिजिसिस्ट एम एस पठान एवं असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट सुजीत कुमार द्वारा विगत 7 सितंबर को सिवनी पहुँचकर सर्वेक्षण किया।

प्रथम दृष्टया, लगातार झटकों को ''भूकंप के झुंड'' के रूप में वगीर्कृत किया है

भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सिवनी जिले के सेंट्रल इंडियन टेक्टोनिक जोन में स्थित होने का लेख करते हुए। प्रथम दृष्टया, लगातार झटकों को ''भूकंप के झुंड'' के रूप में वर्गीकृत किया है। यह निम्न परिमाण के झटके हैं, जो भारी वर्षा के बाद छोटे क्षेत्र में कुछ मामलों में महीनों तक चलते हैं। मानसून के कारण पानी की मेज में बदलाव के कारण इस तरह के झटको की संभावना होती है।

क्वेक या स्वार्म्स की संभावना बनती हैं

भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में आगे यह बताया गया है कि वर्षा जल के अंदुरूनी चट्टानों में रिसने से अंदर का दबाव बढ़ जाने के कारण भी इस तरह के क्वेक या स्वार्म्स की संभावना बनती हैं। रिपोर्ट में भू-गर्भिय घटनाओं के विस्फोट की ध्वनि के साथ होने को स्रोत क्षेत्र के बहुत उथला होने की संभावना व्यक्त की गई है। बारिश के बाद तीन-से-चार महीनों में यह जल-भूकंपीय घटनाये स्वत: समाप्त हो जाती हैं। यह छोटे झटके लोगो एवं सम्पति के लिए नुकसानदेह नही होते हैं।


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