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खेल ही अपने बच्चों को जीवन में हार या जीत का दिलाता है अनुभव-संजय शर्मा

खेल ही अपने बच्चों को जीवन में हार या जीत का दिलाता है अनुभव-संजय शर्मा 

खेल मैदान और खिलाड़ी से बच्चों को जोड़ने की अभिभावक की है पूर्णता जवाबदारी 


सिवनी। गोंडवाना समय। 

आज के इस मशीनी युग में समय के साथ दौड़ने की प्रतिस्पर्धा ने हमारे दैनिक जीवन में काफी प्रभाव छोड़ा है। श्री संजय शर्मा सचिव जिला एथलेटिक्स संघ सिवनी जिन्होंने फरवरी माह 2020 में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता पंचकूला में मैंने मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था और खेल के साथ साथ हमेशा सांस्कृतिक व शहर के विकास से जुड़ी हुई गतिविधियों में सतत सक्रिय रहते है वह खेल के प्रति बच्चों के वर्तमान परिवेश में रूची को लेकर बताते है कि इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमारे बच्चों के रूप में सामने आ रहा है जो घर से बाहर जाकर खेलने में शर्म महसूस करते हैं। मनोरंजन या खेल के माध्यम को अनोखा समझते हैं। प्राचीनतम खेलों से दूर मशीनी खेल मोबाइल गेम कार्टून को ही अपनी बचपन की नैतिक मनोरंजन मान बैठे हैं। 

निर्णय लेने की क्षमता शारीरिक एवं मानसिक क्षमता का का होता है विकास 


वैश्विक महामारी कोरोना का दुष्प्रभाव बच्चों के मानसिक पटल पर आने वाले समय में हम महसूस कर सकते हैं। यह समय है हमें उन्हें यह बताने का खेल एवं खेल मैदानों में में अपना समय बिताने से आने वाले जीवन में होने वाली चुनौतियों का सामना करने का और हार का डर और जीत का अनुभव किस तरीके से हमें खेल में प्राप्त होता है। निर्णय लेने की क्षमता शारीरिक एवं मानसिक क्षमता का विकास होता है। हम अपने बच्चों को 15 या 18 वर्ष तक उच्च शिक्षा तकनीकी उद्योगों के क्षेत्र में बेहतर ढंग से देते हैं। उनकी शिक्षा में काफी पैसा खर्च करते हैं लेकिन क्या हम पूरी तरह अपने आपको विश्वास दिला पाते हैं कि वह यह सब करकर अच्छी नौकरी पा लेंगे। 

स्वस्थ शारीरिक व्यायाम का अनुभव होता है


वहीं हम खेल से ही क्यों उम्मीद करते हैं कि खेल में कुछ प्राप्त नहीं होगा खेलने से और खेल का अनुभव अमूल्य है, जब हम पुराने खिलाड़ियों से बात करते हैं जो 70 वर्ष के हो चुके हैं उन्होंने खेल जीवन में अपना 4 या 5 या उससे अधिक वर्ष अपने खेल जीवन में दिए हैं, उन्हें हारने का डर जीतने की खुशी, कठिन परिस्थितियों को आसानी से निकलना, निर्णय लेने की क्षमता, स्वस्थ शारीरिक व्यायाम का अनुभव होता है। खेल ही जीवन में एक ऐसा माध्यम है जो कि जीवन में कभी भी अविस्मरणीय नहीं हो सकता जब भी हम पुरानी याद करते हैं वह पल तुरंत याद आता है। 

खेल में बिताया हुआ समय ताउम्र यादों में ताजा बना रहता है 

खेल का मैदान पुराने खिलाड़ी खेलने का तरीका नाम शोहरत आत्मिक खुशी जीवन की सभी घटनाएं कुछ समय पश्चात धूमिल हो जाती हैं लेकिन खेल और बचपन में खेल में बिताया हुआ समय ताउम्र यादों में ताजा बना रहता है और हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। इस संबंध में श्री संजय शर्मा सचिव जिला एथलेटिक्स संघ सिवनी ने अभिभावकों से अनुरोध है कि बच्चों को रूचि के अनुसार उन्हें खेल एवं खेल के मैदान के लिए प्रेरित करें, उन्होंने इसके लिये पूर्ण विश्वास जताते हुये कहा है कि बच्चों के खेल में जिला स्तर क्या राज्य स्तर तक भी पहुंचता है तो भी काफी है। वहीं जरूरी नहीं है कि वह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी ही बने लेकिन अल्प समय में ही भी खेला हुआ खेल जीवन में काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। अपनी उम्र में 5 या 8 वर्ष के जीवन काल में खेल से जोड़ता है उसकी सुनहरे भविष्य में सहायक सिद्ध होगा ऐसा श्री संजय शर्मा सचिव जिला एथलेटिक्स संघ सिवनी का मानना है। 

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