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जान जोखिम में डालकर नाले में पाइप लाइन से आवागमन कर रहे नागरिक

जान जोखिम में डालकर नाले में पाइप लाइन से आवागमन कर रहे नागरिक

छपारा बस्ती का एनएच से टूटा संपर्क, हजारों लोग परेशान


छपारा। गोंडवाना समय। 

एनएच 7 बस स्टेंड से छपारा नगर को जोड़ने वाले 125 वर्ष पुराने ब्रिटिश कालीन पुल को पिछले दिनों संबंधित ठेकेदार के द्वारा तोड़ दिया गया है लेकिन पुल को तोड़ने के पहले आने जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग नहीं बनाने के चलते हजारों लोग प्रतिदिन नाले के ऊपर डली पाइप लाइन से अपनी जान जोखिम में डालकर नाला को पार करते हुये आवागमन कर रहे है। ऐसी तस्वीर सोशल मीडिया में चर्चित बनी हुई है। भूमिपूजन करने वाले, निर्माण एजेंसी व निगरानी के लिये संबंधित विभाग व स्थानीय प्रशासन इस समस्या का समाधान कराने में गंभीरता नहीं बर रहे है। 

नागरिक स्वयं अपनी जिम्मेदारी समझे सुरक्षित रहे, सर्तक रहे


जैसा कि आम नागरिकों के लिये अक्सर यह लिखा होता है कि अपनी सामग्री की सुरक्षा आप स्वयं करें, अपनी सुरक्षा की देखभाल आप स्वयं करें इस तरह के संदेश सरकारी मिशनरी द्वारा लिखवाया जाता है वहीं बीते कई माह से सुरक्षित रहे, सर्तक रहे वाक्य रट गया है। वहीं व्ही आई पी लोगों की व्यवस्था अलग होती है। हालांकि इस मामले में आवागमन करने वाले नागरिकों को समझने की आश्यकता है कि अपनी को जान को सुरक्षित रखकर भले ही दूरी का ही सफर तय कर आवागमन करना चाहिये क्योंकि निर्माण करने वालों को स्थानीय समस्याओं से कोई सरोकार होता नहीं है ओर जो स्थानीय जिम्मेदार होते है वे आम नागरिकों की समस्याओं से सरोकार रखना नहीं चाहते है। इसलिये समझदारी इसी में है कि नागरिक स्वयं अपनी जिम्मेदारी समझे सुरक्षित रहे, सर्तक रहे। 

वैकल्पिक मार्ग बनाने दिशा निर्देश जारी क्यों नहीं किए

उल्लेखनीय है कि बस स्टैंड और छपारा बस्ती को जोड़ने वाले ब्रिटिश कालीन पुल को तोड़कर लगभग 1 करोड़ का उच्च स्तरीय पुल गणेश बिल्डकॉन कंपनी गोटेगांव के ठेकेदार के द्वारा बनाया जा रहा है। पिछले 6 दिनों पूर्व पोकलैंड की मशीन की सहायता से नाले के ऊपर बने पुल को पूरी तरह तोड़ दिया गया लेकिन पुल को तोड़ने के पहले ठेकेदार के द्वारा एनएच 7 बस स्टैंड से छपारा नगर को जोड़ने के लिए कोई भी वैकल्पि मार्ग नहीं बनाया गया है। जिसके चलते हजारों लोग प्रतिदिन नाले के ऊपर बिछी पाइप लाइन से आवागमन करते हुये दिखाई दे रहे है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रोजाना महिलाओं के अलावा बुजुर्ग और छोटे-छोटे बच्चे पाइप लाइन के ऊपर से आवागमन के चलते कुछ लोग गिर भी चुके है। सवाल इस बात का है कि सेतु निर्माण विभाग और स्थानीय प्रशासन ने पुल को तोड़ने के पहले वैकल्पिक मार्ग बनाने के लिए संबंधित ठेकेदार को दिशा निर्देश जारी क्यों नहीं किए थे आखिरकार जनप्रतिनिधियों के अलावा राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेताओं सहित स्थानीय प्रशासन आंख मूंदे तमाशा क्यों देख रहा है ?


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