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अगले चुनाव के लिए नेताजी अपना जुमला सुरक्षित रख लेते है

अगले चुनाव के लिए नेताजी अपना जुमला सुरक्षित रख लेते है 

जुमला-एक पहचान नेता की 


लेखक-
अंकित जैतवार निराश

चुनाव आ रहे हैं, तो नेताजी भी आयेंगे। चुनावों के आते ही नेताजी भी पहुंच ही जाते हैं, तो हम सोचे क्यों न नेताओ की एक विशेष योग्यता, विशेष कला, उनकी उम्मीदवारी के लिए आवश्यक योग्यता की पहली कड़ी की बात की जाए। यह विशेषता नई नहीं है, लोकतंत्र में फिर भी इसमें क्या-क्या नया देखने को मिल रहा है या मिल सकता है। हम बात कर रहे हैं जुमलो की नहीं-नहीं नेताओ  के जुमलो कि नेताओ के जुमले तो देश की आजादी के समय से ही चलते आ रहे है।
            हां वो अलग बात है, की शुरूआती दौर में थोड़े कम थे। समय के साथ थोड़ा तकनीकी विकास हुआ और अब डिजिटल जुमले आ गए हैं। इसमें कोई चौकने वाली बात या नया कुछ भी नहीं है। जुमलो का मॉडिफिकेशन देखने को मिलता रहता है। इनकी अलग-अलग वेरायटी भी देखने को मिल ही जाती हैं। जुमलो में कभी नयापन तो कभी परम्परागत जुमला देखने को मिलता है। किसी नेता का अलग अंदाज तो किसी का अनोखा जुमला, ये तो चलता ही रहता है?

नेता बिना जुमला या जुमले बिना नेता नहीं चलता


यू कहे कि नेता बिना जुमला या जुमले बिना नेता नहीं चलता। ऐसा नहीं है कि जुमला बड़ा जुमला बड़े नेता ही देता हो, अरे बड़े-बड़े जुमले देने में पंच, सरपंच, पार्षद, मेयर इसके आगे का क्रम कहूं तो लोग मुझे मूर्ख ही कहेंगे, आप स्वयं समझ जाइए मुझे मूर्ख थोड़ी ही बनना है, खैर ये जुमले तो चलते रहते हैं। इन जुमलो के अलग ही अंदाज होते सब अपनी-अपनी औकात के देते है,पर औकात के बाहर देते है। पंच, पार्षद नालियों से शुरू करते हैं और अपने बाथरूम की पाइप लाइन में अटक जाते हैं।
        सरपंच, मेयर, अध्यक्ष  गांव के विकास से नगर के विकास तक और घर के लेंटर (छत की ढलाई) प्लास्टर (दीवार की छपाई) में ही अटक जाते है। खैर ऐसा नहीं कि वो वादा पूरा नहीं करते, नेता है वादा किया है, एक-एक घर, एक-एक नाली की जिम्मेदारी ली होती हैं, वो अलग बात है कि वो एक नाली, वो एक घर केवल उनका ही होता है, पर नेता वादा पूरा करते हैं। चलो ये तो थोड़े छोट भैयाओ की बात हुई।

मैं आपको बता दूं किसान की आय नहीं कर्जा होता है

अब बड़े-बड़े भैयाओ की की बात करते है। यदि चर्चा का विषय जुमला हो और बड़े वालो को याद न किया जाए तो यह उनका अपमान होगा, नहीं-नहीं उनका घोर-अपमान होगा तो उनकी भी खातिरदारी करते हैं। ये बड़े वाले, वास्तव में बड़े वाले होते है, कोई काला धन लाने की तो, कही 15 लाख हर व्यक्ति को देने की बात करते हैं, तो कोई ऐसी मशीन लगाने की बात कहता है कि एक तरफ से आलू डालो और दूसरे तरफ से सोना निकलो। इस बात में कोई संदेह नहीं कि इतना बड़ा काम, ये इतने बड़े वाले ही कर सकते हैं।
        खैर इतने बड़े वालो के ऊपर जिम्मेदारी भी बड़ी-बड़ी होती है। जैसे-बेरोजगारी, महगांई, हवाई, जल, थल सभी से जुड़े हुए बड़े मुद्दे होते है, इसमें सबसे प्रमुख किसान की आय होती है और मैं आपको बता दूं किसान की आय नहीं कर्जा होता है परन्तु इन्हे सभी विकास कार्यों को देखना होता है।
         इन्हे आर्थिक स्थिति को देखना होता है, हां वो अलग बात है, की ये सारे मुद्दे देश के देखते-देखते खुद के सारे मुद्दे सुधार लेते हैं और इन देश के मुद्दों को आंच भी नहीं आने देते ज्यों का त्यों आने वाले के लिए रखते है। इस प्रकार अगले चुनाव के लिए नेताजी अपना जुमला सुरक्षित रख लेते है और फिर पृथ्वी गोल है। क्रम चलता रहता है और चला आ रहा है। चाहे नेता किसी भी पार्टी का हो ये परम्परा चलती आ रहा है।

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