बड़वानी जिले में आदिवासी शहीद का हो रहा अपमान, 10 वर्ष के बाद भी नहीं स्थापित हो पाई जवान संतोष सिंह चौहान की प्रतिमा
माता-पिता कर रहे मजदूरी, झोपड़ी में रहने का है मजबूर, आर्थिक स्थिति भी है कमजोर
हम आपको बता दे कि शहीदों की कोई जाति, धर्म, नहीं होती है उनके लिये राष्ट्र धर्म ही होता है लेकिन आदिवासी शहीद का मामले में जरूर सवाल उठ रहे है कि आखिर आदिवासी शहीद संतोष सिंह चौहान की शहादत के 10 वर्ष बाद भी आज भी वह सम्मान को तरस रहे है आखिर क्यों ? जबकि सेना के जवान देश की सुरक्षा के लिये अपने घर परिवार को छोड़कर अपनी जीवन को दांव पर लगाकर अपना कर्तव्य निभाते है। वहीं जब सेना के जवान शहीद हो जाते है तो उनकी शहीद होने की खबर मिलने के बाद सरकार व सत्ता में शामिल जनप्रतिनिधि, शासन-प्रशासन व क्षेत्रिय जनप्रतिनिधि शहादत के अंतिम संस्कार के समय व परिजनों से मिलकर घड़ियालू आंसू बहाते है। वहीं शहीदों को सम्मान और उनके परिवारजनों का ख्याल रखने की बात आती है तो कोई सत्ता सरकार के नशा में मदमस्त होकर, तो कोई चुनाव जीतने के बाद मिली कुर्सी पर बैठकर और कुछ तो कुर्सी में बैठकर ही अच्छी खासी वेतन लेते है वे भी भूल जाते है। बड़वानी जिले में आदिवासी शहीद संतोष सिंह चौहान की शहादत को सम्मान देने में सरकार, शासन-प्रशासन, क्षेत्रिय जनप्रतिनिधि द्वारा भेदभाव किये जाने को लेकर भी ग्रामीणजन व क्षेत्रियजन सवाल उठा रहे है।
रिपोर्टर/मोहन मोरी-9977979099
बड़वानी। गोंड़वाना समय।
देश की सुरक्षा के लिए शहीद होने वाले ग्राम बघाड़ी (बरुफाटक) तहसील ठीकरी जिला बड़वानी मध्यप्रदेश के वीर सपूत शहीद संतोष जी चौहान पिता हीरालाल जी चौहान सीआरपीएफ में तैनात थे। जो कि 8 मई 2010 में शहीद हो गए थे लेकिन लगभग 10 वर्ष होने के बाद भी उनकी स्मारक पर शहीद संतोष जी चौहान की प्रतिमा नहीं लगाई गई है।
कच्चे मकान में रह रहे माता पिता
परिवारजनों को भी आर्थिक मदद नहीं मिली है। आज भी उनके माता पिता पीथमपुर में रहकर मजदूरी कर रहे है और घर की आर्थिक स्थिति भी बहुत खराब है। सरकार की आवास योजना होने के बाद भी शहीद का परिवार घास-फूंस, कच्ची मिट्टी के मकान में जीवन यापन करने को मजबूर है।
सरकार, शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की शहीदों को सम्मान देने की खुली पोल
शहीद संतोष जी चौहान के परिजन आज भी टूट मकान में ही रहने को मजबूर है। परिवार के लोगो से चर्चा करने पर पता चला कि आज तक सरकारी योजना के तहत उन्हें आवास योजना का तक लाभ नहीं मिल पाया है। इस मामले में सरकार, शासन, प्रशासन सहित बड़वानी जिले सभी जनप्रतिनिति जिनमें से अधिकांश आदिवासी समाज से ताल्लुक रखते है वे भी कुछ नहीं कर पाये है। भाजपा के बाद कांग्रेस और फिर भाजपा सरकार इन 10 साल में सत्ता में काबिज रही है और भाजपा तो कर ही रही है। वहीं बड़वानी जिले को हर सरकार ने दो-दो मंत्री व सासद दिए मगर किसी भी जन प्रतिनिधि ने इस ओर ध्यान नही दिया।
3 वर्ष हॉस्टल में प्रतिमा पर जम रही धूल
वहीं हम आपको बता दे कि आदिवासी समाज के शहीद संतोष चौहान की शहादत को 10 साल हो गए और आज तक स्मारक नहीं बनाया गया है। वहीं पिछले तीन साल से उनकी मूर्ति होस्टल के बरामदे में धूल मिट्टी में पड़ी हुई है।
26 जनवरी को साामजिक संगठन, ग्रामीण व क्षेत्रवासी करेंगे प्रतिमा की स्थापना
वहीं अब सरकार की राह देख देखकर थक चुके समाज सेवक शहीद संतोष सिंह जी चौहान के परिवारजनों व उनके गृह ग्राम में 17 जनवरी 2021 के बीच में पहुंचकर और गांव के वरिष्ठ लोगो ने निर्णय लिया कि अब हमें सरकार के भरोसे नही रहना है हम अपने खर्चे से शहीद स्मारक में 26 जनवरी राष्ट्रीय पर्व पर शहीद संतोष सिंह चौहान की प्रतिमा स्थापित करेंगे। वहीं ग्रामीणों व क्षेत्रवासियों ने यह भी निर्णय लिया है कि हमारे इस कार्यक्रम में जनप्रतिनिधि हस्तक्षेप न करे यह कार्यक्रम गांव के वरिष्ठ लोगो के ओर समाजिक संगठनों के नेतृत्व में होगा।