Type Here to Get Search Results !

जनजाति मान्यतायें और उनके नामों का समावेश इतिहास संकलन में छूट गया है, उसका समावेश होना चाहिये-के के चतुर्वेदी

जनजाति मान्यतायें और उनके नामों का समावेश इतिहास संकलन में छूट गया है, उसका समावेश होना चाहिये-के के चतुर्वेदी

इतिहास संकलन को लेकर मध्य प्रांत में अनेक संभावनायें


सिवनी। गोंडवाना समय।

इतिहास संकलन का उद्देश्य यही है कि जो आजादी के 75 वर्षो में विलुप्त हो गये है, उनका संकलन कर आगामी पीढ़ी को उस इतिहास से अवगत कराया जाये। इतिहास की बात करें तो यह सर्वस्पर्शी एवं सर्वव्यापी होनी चाहिए। हम भले ही कहते है कि हजारों वर्ष से हम गुलाम रहे, अगर हम गुलाम होते तो स्वतंत्र रूप से आज बैठ कैसे पाते। मुगलों एवं अंग्रेजों के गुलामी की दास्तां को तो हमने पढ़ा है लेकिन अगर हम गुलाम रहें होते तो यूनान मिश्र जैसी हमारी दशा होती। हम हारे मगर हार नही मानी और संघर्ष जारी रखा।


जिसका परिणाम है कि आज हम स्वतंत्रता के साये में सांस ले रहे है। आज हम यह मानते है कि हवाई जहाज का आविष्कार किसी अंग्रेज ने किया लेकिन कल्पना करें की रामायणकाल में पुष्पक विमान भी था, यह इस बात का प्रतीक है कि हमारे शास्त्रों में वह सब कला थी, जो विदेशियों ने अध्ययन कर उपयोग की उक्त उद्गार आरएसएस के प्रभारी कृष्णकुमार द्वारा डीपीसी महाविद्यालय में आयोजित इतिहास संकलन मध्य प्रांत संगोष्ठी के अवसर पर व्यक्त किये।

तीन जिलों के नामकरण को लेकर हुई संगोष्ठी


इस अवसर पर इतिहास संकलन के प्रमुख डॉ. के. के. चतुवेर्दी ने कहा कि हमारे देश का गौरवशाली इतिहास रहा है। हमारे देश में सभ्यता और संस्कृति को मानने वाले रहे है। जनजाति मान्यतायें और उनके नामों का समावेश इतिहास संकलन में छूट गया है, उसका समावेश होना चाहिये। वर्तमान में कोविड 19 के चलते हमारे देश में वैक्सीन का सबसे पहले आना इस बात का प्रमाण है कि आज भी हमारा देश हर क्षेत्र में अग्रणी है। छिंदवाडा न्यूटन से आये रमेश चौहान ने कहा कि छिंदवाड़ा का नामकरण को लेकर यह मान्यता है कि यहां पर छींद के वृक्ष अधिक होने के कारण कालातंर में यहां पर इसका नाम छिंदवाड़ा पड़ा। यहां पर अनेक पर्यटन स्थल है जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर पातालकोट में आज भी अनेक जनजातियाँ तथा अनेक गांव है। जहां पर रहने वाले लोग इन सब चीजों से बेखबर है। 

दोनों के संगम से बालाघाट नाम होने की संभावना 


बालाघाट के प्रभारी डीपीसी श्री ग्वालवंशी ने कहा कि वैनगंगा नदी के तट पर होने के कारण अक्सर बालायें वैनगंगा के घाट से पानी ले जाती थी। जो कालातंर में दोनों के संगम से यह बालाघाट नाम पड़ा होने की संभावना है। इस जिले में रामपायली एक ऐसा क्षेत्र है। जहां पर भगवान राम ने कुछ समय बिताया था, जिसके कारण इसका नाम रामपायली पड़ा इसी तरह हट्टा की बावली में सैनिकों के रूकने का स्थान था। 

सिवनी में साहित्यकला एवं इतिहास को लेकर अनेक कड़ी जुड़ी हुई है

इसी कड़ी में अर्चना तिवारी ने सिवनी जिले के पर्यटन स्थलों को लेकर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संकलन एवं उनके परिवारों के संबंध में संकलन की बात कही। साहित्यकार-इतिहासकार रघुवीर अहिरवार ने कहा कि सिवनी को अनेक कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां पर साहित्यकला एवं इतिहास को लेकर अनेक कड़ी जुड़ी हुई है। किसी भी जिले का नामकरण एवं उसकी भौगोलिक स्थिति के आधार पर ही वहां का इतिहास हुआ करता है। निश्चित ही अनेक कारण है जो जिले के महत्व को बढ़ाते है। छपारा के एलीकजेण्डर ने कहा कि छपारा में चाहे हम विश्व प्रसिद्ध ठगों की बात करें या इतिहास की सभी क्षेत्र में अनेक दुर्लभ सांस्कृतिक विरासत शामिल है। कार्यक्रम के दौरान इतिहासकार दुगार्शंकर श्रीवास्तव, प्रदीप बैस, गजेश ठाकरे, संजय जैन सहित अनेक विद्वान शामिल हुये। कार्यक्रम के अंत में श्री दुर्गाप्रसाद चतुवेर्दी ने आभार व्यक्त किया।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.