दपु खान मिरासी अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार मूमल गीत गाने वाले अब नहीं रहें
उन्होंने राग पहाड़ी, राणा और मल्हार में स्व-संगीतबद्ध गीत प्रस्तुत किए
ब्यूरो चीफ कमलाशंकर विश्वकर्मा
नीमच/जैसलमेर। गोंडवाना समय।
जिले के ख्यातनाम अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकार दपु खान मिरासी का बीते दिवस निधन हो गया। जैसलमेर की गलियों से लेकर इन्टरनेट पर उनकी आवाज में मूमल गीत गूँज रहा है, मगर आज वो जगह खाली है जहां एक टाट की बोरी पर कमायचा लेकर दपु खान बैठे रहते थे। दपु खान मिरासी के निधन की खबर आते ही हिन्दू-मुस्लिम सभी की आँखे नम हो गयी गयी, जैसलमेर रो पपइयो नाम से मशहूर दपु खान की वो मीठी आवाज भी उन्ही के साथ चली गयी।
दपू खान 30 वर्षों से दुनिया भर के लोगों का मनोरंजन कर रहे थे
जानकारी के अनुसार भाड़ली गाँव के मूल निवासी दपु खान मिरासी को दिल का दौरा पड़ा था और वो जोधपुर के निजी अस्पताल में भर्ती थे। वंही शनिवार दोपहर उन्होंने अंतिम साँस ली। जैसलमेर किले के ऊपर और कलाकारों के बीच में पुराने समय से एक वाध यंत्र कमायचा की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए दपू खान तीस वर्षों से दुनिया भर के लोगों का मनोरंजन कर रहे थे। दपु खान मिरासी पिछले 30 वर्षों से जैसलमेर में रह थे और भाड़ली नाम के एक छोटे से गाँव में इनका घर हैं।
कलेक्टर के अनुरोध पर विश्व के पर्यटको को मूमल सुनाते थे
दपु खान ने सीखना शुरू किया जब वह अपने छोटे भाई के साथ एक बच्चे थे। वे अपने पिता के साथ कमायचा लेकर बैठे रहते थे और वहीं से वे वाद्य यंत्र सीखने और खेलने लगे। उन्होंने राग पहाड़ी, राणा और मल्हार में स्व-संगीतबद्ध गीत प्रस्तुत किए हैं। शुरू में जब उन्होंने अपने घर पर बैठकर गाना शुरू किया तो पूरा मोहल्ला उनके घर के आस-पास इकट्ठा हो गया और उन्हें खेलते हुए सुना, जिससे उन्हें जीवन में एक मकसद मिला और वह थी अपने पूर्वजों की इस महान कला को आगे बढ़ाना।
दपु खान हर दिन जैसलमेर के किले में रानी के महल में बैठते थे और कमायचा पे पूरे विश्व के पर्यटको को मूमल सुनाते थे। उन्होंने इस जगह को तब से फिक्स कर लिया था जब कई साल पहले जिला कलेक्टर ने उनसे प्रसिद्ध कमायचा दिखाने और जैसलमेर किले में प्रवेश करने वाले मेहमानों का स्वागत करने का अनुरोध किया था। वह पिछले 25 सालों से इस जगह पर बैठे थे और यह उनके और उनके परिवार के लिए जीवन यापन का एक हिस्सा प्रदान करता है।
तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के लिए व्हाइट हाउस में भी गाया है
दपु खान ने भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों में प्रदर्शन किया है। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के लिए व्हाइट हाउस में भी गाया है, जो कुछ साल पहले जोधपुर आए थे और दपु खान को अपने समूह के साथ गाते हुए सुना था। रेत के बीच में दपु खान और उनके समूह ने अपने शक्तिशाली आत्मीय संगीत में 1500 साल पुरानी विरासत को संभाला। वर्तमान में इनके समूह में चार सदस्य हैं जो शुभ अवसरों पर मंदिरों और शाही दरबार में विभिन्न अवसरों पर गाते है।
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