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पर्यावरण संरक्षण के प्रमाण बने शासकीय कर्मचारी रम्मु सिंह मरावी, निजी भूमि पर लगाये 2000 पौधे

पर्यावरण संरक्षण के प्रमाण बने शासकीय कर्मचारी रम्मु सिंह मरावी, निजी भूमि पर लगाये 2000 पौधे 

2000 पौधे अब पेड़ बनकर दे रहे आक्सीजन, पर्यावरण का संदेश दे रही रम्मू सिंह मरावी की मेहनत 




संवाददाता, काशीराम बरकड़े 
नारायणगंज/मंडला। गोंडवाना समय। 

आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला शांत और पर्यावरण का संरक्षण माना जाता है क्योंकि यहां पर बड़ी संख्या में आदिवासी वर्ग निवास करते हैं। आदिवासी वर्ग पुरखो से ही प्राकृतिक पूजक रहा है जो जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए अपनी जान तक देने को तैयार रहता है परंतु वर्तमान दौर में जिस प्रकार से पर्यावरण संतुलन और सरकार की कूटनीति और जंगलों को निजीकरण कर निजी हाथों में देने का वर्तमान सरकार की नीतियां चल रही है, उस दौर में आज एक मिसाल बन कर हमारे ही नारायणगंज जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत मजगांव के निवासी श्री रम्मू सिंह मरावी ने पेश किया है। 

2 एकड़ भूमि में वर्ष 2013 में लगाये थे 2000 पौधे


श्री रम्मु सिंह मरावी उन्होंने अपनी निजी 2 एकड़ भूमि पर 2000 पौधे लगाकर एक मिसाल पेश किया है। वह बताते हैं कि मुझे बचपन से ही पेड़ पौधे लगाने का बड़ा शौक रहा है, पर जैसे ही हमने पढ़ लिख कर साउथ की चित्रों में काम करना शुरू किया है, उसे हमारे हौसले बढ़े और हमने अपने परिवार के साथ अपनी निजी भूमि पर 2000 पौधे लगाने का फैसला लिया और परिवार सहयोग से मेरी पत्नी और बच्चे ने मिलकर हमारे वर्ष 2013 पौधारोपण किया।

सागौन, खमरे और आंवला के लगाए पौधा


रम्मू सिंह मरावी ने अपनी भूमि पर सबसे अधिक सागौन और फिर अमीर और आंवले का पौधा लगाएं है। उन्होंने बताया कि मुझे बचपन से ही सागौन, खमीर और आंवले का पौधे बहुत पसंद आते हैं। इसीलिए मैंने अपने परिवार के साथ फैसला किया कि हम अपने निजी भूमि पर इन्हीं तीन ही पौधों को रोपण करेंगे और हमने 2013 में या रोपण किया। आज यह बड़े-बड़े पेड़ बनकर तैयार हो गए हैं, हमने बच्चों की तरह इन पौधों को पानी देकर और रोज देख भाल करके बड़ा किए है। हमको यह परिवार के अहम हिस्से लगते हैं, मुझे जब भी परिवार और कर्तव्य क्षेत्र से समय मिलता है। मैं हमेशा ही इन वृक्षों के नीचे आकर समय बिताना पसंद करता हूं क्योंकि इन्हें मैंने अपने बच्चों की तरह ही ने पाल पोस कर इतना बड़ा किया हूं।

मार्च से जून तक प्रतिदिन पौधों को पौधों को किया जाता है सिंचित

रम्मू सिंह मरावी ने बताया कि सबसे अधिक पौधों को पानी की आवश्यकता गर्मी के सीजन यानी 5 मार्च से जून तक होता है क्योंकि पौधे इन्हीं महीनों में अपना विकास नहीं कर पाते हैं। हमने अपने निजी जमीन पर नहर के माध्यम से और हमने एक अपनी छोटी सी जगह पर एक कुआं भी खुदवाया हैं, जहां गर्मी के सीजन में भी प्रकृति के सहयोग से वहां पानी 12 महीने रहता है। जिससे हम एक मशीन लगाकर पौधों को सिंचित करते हैं, जिससे यह जमीन और हमारे पौधों बिल्कुल जो भी 12 माह हरा भरा रहते हैं।

रामू सिंह मरावी से सभी को लेनी चाहिए प्रेरणा

वर्तमान में जिस प्रकार कोरोना जैसे वैश्विक महामारी के दौर में लोग आॅक्सीजन की कमी के कारण जहां लाखों लोग अपनी जान गवाई और जिस प्रकार सरकार ने पौधारोपण के लिए आम जनता को प्रेरित किया है तो हम सब की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम अब आने वाले समय में या अपने जन्म दिन में किसी भी अवसर पर पौधारोपण अवश्य करें। यह सभी जानते है कि बिना आॅक्सीजन के जीवन संभव नहीं है और जिस प्रकार मौसम परिवर्तन कर रहा है उसमें सबसे अधिक हमें आॅक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही है। हम सभी को पौधारोपण करना चाहिए ज्यादा तो नहीं अपनी जमीन पर 10 पौधा अवश्य लगाना ही चाहिए। रामू सिंह मरावी ने कहा कि मैं सभी अधिकारियों को और कर्मचारियों को जब भी समय मिलता है उन्हें पौधारोपण के बारे में बताता हूं और कहता हूं कि आप अपने निजी जमीन या घर के आसपास पौधारोपण अवश्य करें ताकि वातावरण में संतुलन बना रहे।

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