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शब्दों में बड़ी ताकत होती है, सोच समझ कर बोलिए

शब्दों में बड़ी ताकत होती है, सोच समझ कर बोलिए


नरविजय यादव,
पत्रकार, लेखक एवं स्तम्भकार,
पूर्व वरिष्ठ पत्रकार: दैनिक भास्कर, राष्ट्रीय सहारा,
कुबेर टाइम्स, दिल्ली प्रेस, फ्री प्रेस जर्नल 

शब्दों में बड़ी ताकत होती है। तभी तो मंत्रों, श्लोकों, भजन आदि का आदि काल से ही इतना महत्व है। शब्द बोले हुए हों अथवा लिखे हुए, दोनों में अपार शक्ति होती है। ऐसा न होता तो उद्योगपति आनंद महिंद्रा और अभिनेत्री श्वेता तिवारी इस वक्त सुर्खियों में न होते। पहले बात करते हैं आनंद महिंद्रा की, जिनके बारे में मशहूर है कि वह आम भारतीय की 'जुगाड़' करने की आदत पर बहुत गौर करते हैं और अक्सर अपनी ट्वीट्स में उनका जिक्र करते हैं। परंतु यह मामला कुछ अलग है। दरअसल, कुछ दिन पूर्व कर्नाटक का एक किसान अपने मित्रों के साथ महिंद्रा के एक शोरूम में दस लाख रुपए कीमत की एक कार बुक करने पहुंचा था। उसकी वेशभूषा देखकर स्टोर के एक सेल्समैन ने मजाक में ही बोल दिया कि तुम्हारी जेब में तो 10 रुपए भी नहीं होंगे और गाड़ी लेने आए हो 10 लाख की। इस टिप्पणी पर बात बिगड़ गयी और कहासुनी शुरू हो गयी। झगड़ा सुलझाने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी और घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। कुछ लोगों ने वीडियो में कंपनी के चेयरमैन को टैग कर दिया।

आनंद महिंद्रा को जब इस घटना का पता चला तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए ट्वीट किया कि "व्यक्तिगत गरिमा को बनाए रखना उनकी कंपनी के मूल सिद्धांतों में से एक है। इसलिए किसी भी तरह की गड़बड़ी को तत्परता से देखा जाएगा।" बाद में किसान कैम्पेगौड़ा से माफी मांगते हुए महिंद्रा ग्रुप ने घटना पर खेद जताया और उन्हें उनकी पसंद की कार दे दी गयी। मजाक में कहे गए अनुचित शब्दों की वजह से बात का बतंगड़ बन गया। ऐसे ही अभिनेत्री श्वेता तिवारी हंसी-हंसी में कुछ शब्द बोल कर परेशानी में फंस गयी हैं। मध्य प्रदेश पुलिस ने हाल ही में श्वेता पर धर्म का अपमान करने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया है। श्वेता एक वेब सीरीज के प्रचार के लिए भोपाल में एक प्रेस कांफ्रेंस में अनजाने में ही एक बात बोल गईं और समस्या सिर ले ली। अभिनेत्री ने अपने अंत:वस्त्रों और भगवान का जिक्र करते हुए एक टिप्पणी कर दी थी। हालांकि, उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में ऐसा कहा था, जो पुलिस और कानूनी कार्रवाई की वजह बन गया। श्वेता की टिप्पणी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और संस्कृति बचाओ मंच के सदस्यों ने भोपाल में विरोध प्रदर्शन कर दिया। बाद में एक व्यक्ति ने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी।

ऐसा नहीं कि इन दिनों पुलिस बहुत एक्टिव हो गयी है या लोग बड़े चौकस हो गए हैं। पहले के समय में भी बहुत कुछ बोला जाता था, लेकिन तब हर किसी को उस बात का पता नहीं चल पाता था और बात वहीं के वहीं दब जाती थी। अब सोशल मीडिया का युग है और छोटे-बड़े हर किसी व्यक्ति के पास स्मार्टफोन रहता है। कब कौन किसका वीडियो बना ले और सोशल मीडिया पर कुछ भी लिख कर डाल दे, कुछ पता नहीं। इसलिए, बोलते समय सावधानी रखना जरूरी है और बोलने में जल्दबाजी न की जाए। जो बोला या लिखा जाए उसके बारे में तनिक सोच भी लिया जाए कि उसका परिणाम क्या हो सकता है। शब्दों का प्रयोग जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए।  



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