Type Here to Get Search Results !

भ्रष्टाचारियों का सरगना सीईओ मनीष बागरी की भूमिका के बिना घंसौर जनपद की 19 ग्राम पंचायतों के द्वारा राशि का दुरूपयोग किया जाना संभव नहीं

भ्रष्टाचारियों का सरगना सीईओ मनीष बागरी की भूमिका के बिना घंसौर जनपद की 19 ग्राम पंचायतों के द्वारा राशि का दुरूपयोग किया जाना संभव नहीं 

आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक घंसौर में करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले में सांसद, विधायक व राजनैतिक दलों की भूमिका संदेहस्पद

अपनी घर की संपत्ति समझकर जनपद सीईओ, एसडीओ, एपीओ, उपयंत्री और पंचायत के जिम्मेदारों ने कर लिया बंदरबांट

आदिवासी क्षेत्रों में विकास के लिये आने वाली धनराशि में खुलेआम डाका डालने वाले डाकुओं पर कब होगी कार्यवाही 


सिवनी/घंसौर। गोंडवाना समय। 

आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश में आदिवासी विकासखंडों में आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिये आने वाली शासकीय धनराशि में खुलेआम डाका डालने का कार्य डाकुओं के द्वारा किया जा रहा है। आदिवासी बाहुल्य विकासखंड में जनपद पंचायत घंसौर वर्तमान की स्थिति में भ्रष्टाचारियों का सुरक्षित अड्डा बनी हुई है। जनपद पंचायत घंसौर के सीईओ मनीष बागरी भ्रष्टारियों के सरगना बनकर भूमिका निभा रहे है। वहीं तकनीकि कार्यक्षेत्र देखने वाले एसडीओ, एपीओ सहित उपयंत्री तो भ्रष्टाचार के खेल में सीईओ मनीष बागरी के साथ मिलकर अपनी तिजोरी भरने में लगे हुये है।


शासकीय धनराशि को जनपद पंचायत घंसौर में इस तरह उपयोग कर व्यय किया जा रहा है जैसे अपने घर की संपत्ति हो इस तरह समझकर लूटपाट करते हुये बंदरबांट किया जा रहा है।

आदिवासी विकासखंड में आने वाली धनराशि पर होने वाले खुलेआम व नियम विरूद्ध भ्रष्टाचार के मामले में सांसद व केंद्रीय मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, क्षेत्रिय विधायक श्री योगेन्द्र सिंह बाबा व सत्ताधारी दल को छोड़ दिया जाये तो विपक्षी राजनैतिक दलों के मुखिया से लेकर नीचे तक मौन स्वीकृति की स्थिति ही समझ आ रही है जो कि इनकी भी कार्यप्रणाली पर संदेहस्पद स्थिति बयां कर रही है। 
            

हालांकि इस मामले में जनपद पंचायत के कुछ जनप्रतिनिधियों ने जरूर शिकायत करने की हिमाकत जरूर दिखाया है लेकिन खुलकर विरोध करते हुये भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही के लिये सड़कों पर उतरने के लिये कोई भी तैयार नहीं है। सबसे अहम बात तो यह है कि देश के प्रधानमंत्री कहते है कि न खाऊंगा न खाने दुंगा लेकिन घंसौर जनपद पंचायत में तो स्थिति है कि अधिकांश मिल बांटकर खा रहे है। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने तो शासकीय धनराशि में गड़बड़ी करने वालों को यह तक कह दिया है कि ये भी माफिया के ही समान है इसके बाद भी जनपद पंचायत घंसौर सीईओ, एसडीओ, एपीओ और उपयंत्री सहित कार्यालयीन कर्मचारी माफिया बनकर अपनी भूमिका अदा कर रहे है। 

कार्ययोजना के बिना कोई भी राशि आहरित न करने के निर्देश भी जनपद सीईओ को दिये गये थे 

14 वां वित्त आयोग (परफार्मेंस) वर्ष 2017-18 में जनपद पंचायत घंसौर की 19 ग्राम पंचायतों में प्राप्त राशि के कार्यों पर प्रतिबंध के पश्चात भी नियम विरूद्ध कार्य कराये जाने को लेकर जनपद पंचायत घंसौर के सीईओ मनीष बागरी को कारण बताओं सूचना पत्र जारी किया गया है। बकायदा इस मामले में पंचायतराज संचालनालय मप्र भोपाल द्वारा 14 वें वित्त आयोग (परफार्मेंस ग्रांट) वर्ष 2017-18 अंतर्गत जारी राशि से कार्य संपादित किये जाने के संबंध में विस्तृत निर्देश दिये गये थे। प्रत्येक निर्माण कार्यों का मनरेगा योजना के साथ प्रभावी कन्वर्जेंस सुनिश्चित करने के निर्देश भी प्राप्त थे वहीं कार्ययोजना के बिना कोई भी राशि आहरित न करने के निर्देश भी जनपद पंचायत सीईओ मनीष बागरी को दिये गये थे।

19 ग्राम पंचायत में न शासन के निर्देशों का पालन हुआ और न ही कराधान का आडिट कराया गया

पंचायत राज संचानालय मप्र भोपाल के अनुसार कराधार एवं करारोपण की शिकायत होने के कारण समस्त कलेक्टर मप्र को कराधान की जांच हेतु निर्देशित किया गया था। इसके लिये जांच दल का भी गठन किया गया था। जिसमें सिवनी जिले के अंतर्गत जनपद पंचायत घंसौर की 19 ग्राम पंचायतों स्वकराधान से संबंधित अभिलेखों के परीक्षण में यह पाया गया था कि किसी भी ग्राम पंचायत ने शासन के निर्देश का पालन नहीं हुआ था। यहां तक स्वकराधान की राशि के कोई भी दस्तावेज प्राप्त नहीं हुये। जनपद पंचायत घंसौर की 19 ग्राम पंचायतों द्वारा कराधान का आॅडिट नहीं कराया गया है एवं कराधान से संबंधित सुसंगत अभिलेख प्राप्त नहीं हुये है। 

19 ग्राम पंचायतों में परफार्मेंस ग्रांट की राशि नियम विरूद्ध प्राप्त हुई थी

हम आपको बता दे कि ग्राम पंचायतों में परफार्मेंस की राशि ग्राम पंचायत द्वारा अर्जित स्वकराधान की राशि के अनुपात में प्राप्त होती है। वहीं जनपद पचांयत घँसौर्र  अंतर्गत 19 ग्राम पंचायतों की इस संंबंध में जांच कराई गई थी। जांच में यह पाया गया कि स्वकराधान की राशि अर्जित नहीं होने से इन 19 ग्राम पंचायतों में परफार्मेंस ग्रांट की राशि नियम विरूद्ध प्राप्त हुई थी। जिसके मार्गदर्शन के लिये पत्र प्रेषित किया गया था, जिसकी मार्गदर्शन अभी तक अप्राप्त है। इन सब तथ्यों के उपरांत भी जनपद पंचायत घंसौर की 19 ग्राम पंचायतों में परफार्मेंस ग्रांट से बड़े पैमाने पर राशि आहरित कर नियम विरूद्ध कार्य प्रारंभ कराने की शिकायत प्राप्त होने पर जांच दल गठित किया गया था। 

नियम विरूद्ध ग्राम पंचायतों ने बड़े पैमाने पर राशि कर लिया आहरित 

अब सवाल यही उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर जनपद पंचायत सीईओ के संरक्षण, एसडीओ, एपीओ, संबंधित ग्राम पंचायत के उपयंत्री व ग्राम पंचायतों के जिम्मेदारों की सांठगांठ से आर्थिक रूप से गड़बड़ी कर बंदरबांट कर लिया गया है। सबसे अहम बात यह है कि इन ग्राम पंचायतों में नियम विरूद्ध तकनीकि स्वीकृति व प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई है। जनपद पंचायत सीईओ मनीष बागरी व तकनीकि अमला के अगुवाई में बड़े पैमाने पर राशि ग्राम पंचायतों ने नियम विरूद्ध आहरित कर लिया। इस संबंध में कारण बताओं नोटिस जारी करने के बाद अब जवाब मिलने के बाद क्या लीपापोती जनपद पंचायत घँसौर के सीईओ, तकनीकि अमला व 19 ग्राम पंचातयों के जिम्मेदार करते है यह आने वाला भविष्य ही बतायेगा लेकिन मध्यप्रदेश में सुशासन की बात करने वाली शिवराज सरकार पर सवाल खड़े जरूर हो रहे है।  


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.