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बड़वानी कलेक्टर से सम्पूर्ण परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मांग करेगें पर किसी भी भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत का एक रुपया नही देंगे

बड़वानी कलेक्टर से सम्पूर्ण परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मांग करेगें पर किसी भी भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत का एक रुपया नही देंगे

उच्च श्रेणी शिक्षक की मृत्यु के पश्चात 16 महीनों से नहीं मिल रही पेंशन, न मिली शासकीय राशि न ही अनुकंपा नियुक्ति 

परिवार के सदस्यों को करनी पड़ रही हैं मजदूरी

बड़वानी। गोंडवाना समय। 

मध्यप्रदेश के ईमानदार मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मार्निंग मीटिंग लेकर सुबह सुबह संदेश देते है, इसके साथ ही मंचों से भाषण में कहते है अनेकों बार वरिष्ठ अधिकारियों को वी सी के माध्यम से संदेश देते हुये कहते है कि मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति है। गरीब का पैसा खाने वालों को शासकीय सेवा में रहने का अधिकार नहीं है। उन्हें सेवा से पृथक किया जाए।
             


राज्य सरकार, जन-कल्याण और विकास कार्यों में बेहतर कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर सम्मानित करेगी। प्रदेशवासियों की जिन्दगी बदलने के उद्देश्य से व्यापक स्तर पर विकास और जन-कल्याण गतिविधियाँ जारी हैं। जन-प्रतिनिधि, प्रशासकीय अधिकारी और कर्मचारी टीम भावना से इन्हें संचालित कर आदर्श प्रस्तुत करें।
        

मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान का उद्देश्य यही है कि आम आदमी को शासकीय कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ें। प्रत्येक पात्र व्यक्ति को योजनाओं का लाभ सरलता और सुगमता से प्राप्त हो। माफियामुक्त मध्यप्रदेश बनाने भी अपनी भूमिका निभाये, इस तरह की अनेक बाते मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान कहते है लेकिन उसके बाद पता नहीं क्या कारण है कि शिवराज सरकार के अफसरों पर मुख्यमंत्री की बातों, संदेशों, आदेशों, निर्देशों का असर ही नहीं होता है।

शिक्षक अर्जुन सिंग पटेल का 29 जून 2021 को हो गया था आकस्मिक निधन 


मामला हैं मध्यप्रदेश बड़वानी जिले के पानसेमल तहसील ग्राम आमझिरी के स्व. अर्जुन जाम सिंग पटेल का जो कि शासकीय माध्यमिक स्कूल बँधारा बुजुर्ग में उच्च श्रेणी शिक्षक के रूप में पदस्थ थे। जिनका आकस्मिक निधन 29 जून 2021 को हो गया था। इसके बाद से उनके परिजनों को आज दिनांक तक निधन के पश्चात मिलने वाली शासकीय राशी, पेंशन व अनुकम्पा नियुक्ति आज तक प्रदान नहीं की गई है।  

शिक्षा विभाग है या भ्रष्टाचार की दुकान

संबंधित विभागों की भ्रष्टाचारयुक्त कार्यप्रणाली के चलते आज पीड़ित परिवार मजदूरी करने पर मजबूर हैं। किसी भी राशी को निकालने के लिए या सम्बंधित किसी कागज को जिला स्तर पर पहुंचाने के लिए अधिकारियों को साइन करने का भी पैसा देना पड़ता हैं। जहाँ शिक्षा विभाग बच्चों को स्कूल में सत्य अंहिसा ईमानदारी का पाठ पढ़ाने की बात करतें हैं, वही उसके विपरीत छोटे से बड़े स्तर के अधिकारी सिर्फ रिश्वत की पैसों की मांग करतें हैं। 

कागजो की कमी बता कर पेंशन प्रकरण को रोक दिया जाता हैं

संबंधित पीड़ित परिवार लगभग ढेड़ वर्ष से अधिक समय से आर्थिक तंगी की मार झेल रहा हैं, जिस कर्मचारी ने अपनी पूरी जिंदगी ईमानदारी से अपने विभाग की सेवा देने में लगा दिया आज वही विभाग पीड़ित परिवार की सुध भी नहीं ले रहा हैं। विकास खंड अधिकारी से लगाकर जिला शिक्षा अधिकारी, पेंशन अधिकारी के समक्ष पूरा परिवार 2 या 3 बार जाकर अपना प्रमाण व कागजों का सत्यापन कर चुका हैं। फिर भी आज दिनांक तक कागजो की कमी बता कर पेंशन प्रकरण को रोक दिया जाता हैं। 

जेबर, जमीन तक रख दिये गिरवी, कर्ज वाले कर रहे परेशान 

इसके साथ ही निधन के पश्चात सम्बंधित मिलने वाली शासकीय राशी नहीं मिलने से परिवारजन आर्थिक तंगी की हालत से गुजर बसर कर रहे है। पीड़ित परिवार, अपना पालन पोषण करने के लिए परिवारजनों के जेबर बेच चुका हैं, जमीन गिरवी रख दी है। यहां तक कि दो पहिया बाइक तक गिरवी रखी पड़ी है, अन्य कर्जदार जैसे बैंक व कार लोन वाले घर आकर परिवारजनों को अपशब्दों का प्रयोग कर धमकाते है। पीड़ित परिवार का मानसिक, शारीरिक, आर्थिक रूप से हर जगह शोषण हो रहा हैं। 

रिश्वत की मांग की जाती है तब ही फाईलों को आगे बढ़ाने की बात की जाती हैं

जहाँ पीड़ित परिवार के पास अपना गुजर बसर करने के लिए भी पैसे नही हैं, वहाँ विभाग के द्वारा बार बार रिश्वत की मांग की जाती है तब ही फाईलों को आगे बढ़ाने की बात की जाती हैं। रिश्वत की कहानी फिल्मो में सबने बहुत सुनी होंगी पर जब सम्बंधित अधिकारी ही अपने छोटे कर्मचारी व उनके परिवार का शोषण करें और उनकी मृत्यु के पश्चात की राशी को निकालने के लिए भी रिश्वत मांगे उससे बड़ी शर्म की बात और उस विभाग के लिए क्या होंगी। यह तो बस एक गाँव और कस्बों में रहने वाले एक ही परिवार की आप बीती हैं, ऐसे हजारों और पीड़ित परिवार होगें, जो सामने आना नही चाहतें और ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की सच्चाई समाज व देश में लाना नही चाहतें है। 

हमारी आवाज अब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ही उठाये 

चेतन इंदिरा पटेल ने अपनी आपबीती बताते हुये कहा है कि पीड़ित परिवार की ओर से हमारी आवाज अब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ समाचार पत्र ही उठाये इसके बाद हमें फिर भी न्याय नहीं मिला तो हम बड़वानी जिला कलेक्टर सम्पूर्ण परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मांग करेगें पर किसी भी भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत का एक रुपया नही देंगे। वहीं यदि किसी को हमारी समस्या पर संदेह है तो वह ग्रह निवास आमझिरी आकर वास्तविक में आकर देख ले की आज हमारा परिवार किन कठिनाइयों और परिस्थितियों से गुजर रहा है। 

सांसद गजेन्द्र सिंह पटेल व विधायक चंद्रभागा किराड़े है गैर जिम्मेदार जनप्रतिनिधि


विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 189 पानसेमल की विधायक विधायक, चन्द्रभागा किराड़े और लोकसभा क्षेत्र क्रमांक 27 खरगोन-बड़वानी के सांसद ,गजेंद्र सिंह पटेल के क्षेत्र में शासकीय सेवा में कार्यरत अधिकारी कर्मचारी जिनका आकस्मिक निधन हो गया है उनके परिजनों को निधन के पश्चात मिलने वाली राशि, पेंशन व अनुकंपा नियुक्ति का लाभ ढेड़ वर्षों के बाद भी नहीं मिल पाया है।
        

जब शासकीय विभागों में पदस्थ कर्मचारियों की स्थिति यह है तो वह शासकीय योजनाओं का लाभ पाने वाले हितग्राहियों को कितना संघर्ष करना पड़ता होगा। इसकी धरातल पर पड़ताल करने की आवश्यकता शायद सांसद गजेन्द्र सिंह पटेल और विधायिका चंद्रभागा किराड़े ने कभी महसूस ही नहीं किया होगा।
        इस तरह की स्थिति है कि पीड़ित परिवार प्रताड़ित होकर कलेक्टर के सामने परिवार सहित इच्छामृत्यू की मांग करने को विवश हो रहा है। विधानसभा क्षेत्र पानसेमल की क्षेत्रिय विधायक चंद्रभागा किराड़े और सांसद गजेन्द्र सिंह पटेल की कार्यप्रणाली जनसेवक होने के नाते गैर जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने की ईशारा करती है वहीं जिनको इस तरह के प्रकरणों की जानकारी मिल रही है वे पानसेमल की विधायक चंद्रभागा किराड़े व सांसद गजेन्द्र सिंह पटेल के जनसेवक होने पर सवाल खड़े रहे है। 

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