संविधान में बदलाव या बचाव की चर्चा आखिर क्यों होते रहती है ?
संविधान बचाव देश बचाव सहित संविधान की रक्षा करने आदि अनेकों अभियान आखिर आजाद भारत में क्यों चलाया जा रहा है। संविधान को बचाने के लिये अभियान चलाने वाले क्या अपना व्यक्तिगत या राजनैतिक स्वार्थ सिद्ध करने के लिये इस तरह के अभियान चला रहे है या फिर भारतीय संविधान वास्तव में खतरे में है या भारतीय संविधान असुरक्षित है तो किससे और किसके कारण है।
वहीं कई बार संविधान में बदलाव किया जाने वाला इस बात को लेकर भी अफवाह खूब चलती रहती है। कई बार मंचों से अति उत्साह में कुछ लोग संविधान में बदलाव की चर्चा भी करने लग जाते है जो धीरे धीरे वाद-विवाद का स्वरूप भी लेता नजर आता है।
संविधान बचाने के लिये ज्ञापन, धरना, रैली, प्रदर्शन जैसी स्थिति भी कई बार निर्मित होती है। इस तरह के अनेक सवाल उठना भी जरूरी है क्योंकि भारत में 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया गया था लगभग 73 वर्ष पूर्ण होने जा रहे है। अंग्रेजों से आजादी के बाद संविधान को बाबा डॉ साहब भीमराव अंबेडकर जी ने बड़ी मेहनत से लिखा था, जिसे पूरी दुनिया में सम्मान आज भी दिया जाता है।
क्या यह कोई राजनैतिक एजेंडा है
आजाद भारत देश में संविधान को बचाने के लिये अभियान चलाने की कवायद आखिर क्यों हो रही है। क्या कारण है, क्या यह कोई राजनैतिक एजेंडा है, क्या कोई संविधान बचाने के बहाने अपनी राजनीति करना चाहता है तो कोई संविधान में बदलाव की बात करके राजनैतिक माहौल को हमेशा गर्म रखना चाहते है।
भारत में हम देखते है कि संविधान को बचाने के लिये कोई रैली निकाल रहा है, कोई संगोष्ठी कर रहा है, कोई धरना दे रहा है, कोई प्रदर्शन कर रहा है, कोई ज्ञापन सौंप रहा है, कोई संविधान को बचाने और जानने के लिये प्रशिक्षण दे रहा है।
अब आजाद भारत देश में आखिर ऐसा क्यों हो रहा है यह चिंतनीय विषय है वैसे भी संविधान को अपनाने के लगभग 73 वर्ष पूर्ण होने जा रहे है। इसके बाद भी संविधान में बदलाव या बचाव की चर्चा आखिर क्यों हो रही है दोनो ही परिस्थिति देश के लिये विचारणीय है।
संविधान को शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन कराने की आवश्यकता है
स्कूलों में यदि प्राथमिक स्तर से प्रारंभ कर उच्च स्तर तक अनिवार्य विषय के रूप में संविधान की शिक्षा शैक्षणिक संस्थानों में प्रदान की जाती तो भारत का प्रत्येक नागरिक संभवतय: संवैधानिक अधिकारों व संविधान की विशेषता को बहुत अच्छे से समझ सकता था। भारतीय नागरिकों को यदि ऐसी सुविधा सरकार उपलब्ध कराती तो अधिकांश भारतीय नागरिक संविधान में लिखित बातों-वाक्यों को जान समझकर देश के विकास में अपनी भूमिका निभाते। हालांकि संविधान के ज्ञान और जानकारी के लिये विशेष प्रयाास तो सरकारों के द्वारा नहीं किये गये है लेकिन फिर भी अपने अपने स्तर अनेक संस्थान संविधान की जानकारी प्रदान करने हेतु आज भी निरंतर प्रयास कर रहे है।
भारत की शान, दुनिया में महान है भारतीय संविधान
भारतीय संविधान को अपनाए जाने की याद में प्रति वर्ष 26 नवंबर को देश में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1949 में संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को 26 नवंबर को ही अपनाया गया था। हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू किया गया था। वहीं, केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 19 नवंबर 2015 को घोषणा की थी कि 26 नवंबर को प्रति वर्ष संविधान दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसके बाद से प्रति वर्ष संविधान दिवस को इस दिन मनाया जाता है।
395 अनुच्छद वाले भारतीय संविधान में अब हैं 470 अनुच्छेद है
भारतीय संविधान को बनाए जाने में संविधान सभा को 167 दिन लगे जिसके लिए 11 सत्र आयोजित किए गए। अपने मूल रूप में भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 खण्ड और 8 अनुसूचियां हैं। हमारे संविधान में कुल 1,45,000 शब्द हैं, जो कि पूरे विश्व में सबसे लंबा अपनाया गया संविधान है। हालांकि, इस समय हमारे संविधान में 470 अनुच्छेद, 25 खण्ड और 12 अनुसूचियों के साथ-साथ 5 परिशिष्ट भी हैं।
संविधान के प्रति जागरूकता एवं समझ को बढ़ावा मिले
हालांकि, संविधान दिवस कोई अवकाश का दिन नहीं है, बल्कि इस अवसर पर विभिन्न सरकारी विभागों, संगठनों और शिक्षा संस्थानों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों एवं कॉलेजों की बात करें तो संविधान दिवस के अवसर पर विभिन्न भाषणों, संवाद, वाद-विवाद प्रतियोगिता, क्विज, आदि का आयोजन किया जाता है, ताकि छात्र-छात्राओं में हमारे संविधान के प्रति जागरूकता एवं समझ को बढ़ावा मिले।
'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के लिये 19 नवंबर 2015 को अधिसूचित किया
भारत का संविधान अपनाने के उपलक्ष्य में हमारे देश में प्रति वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस को मनाया जाता है। भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया था, जो 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। नागरिकों के बीच संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए प्रति वर्ष 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के लिये भारत सरकार के निर्णय को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को अधिसूचित किया।