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कृषि विभाग सिवनी में हुये फर्जीवाड़ा में क्यों नहीं दर्ज कराई गई एफआईआर

कृषि विभाग सिवनी में हुये फर्जीवाड़ा में क्यों नहीं दर्ज कराई गई एफआईआर 

सिवनी जिले में विभागों में होने वाली अनियमित्ता पर कार्यवाही में हो रही भिन्नता


सिवनी। गोंडवाना समय। 

सिवनी जिले में की जा रही विभागीय व कानूनी कार्यवाही को लेकर सवाल खड़े हो रहे है। शिक्षा विभाग में उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य के द्वारा छेड़छाड़ की गई तो उन्हें अटैच कर दिया गया वहीं घंसौर विकासखंड के शिक्षक ने छेड़छाड़ किया तो उन्हें निलंबित कर दिया गया जो अपने आप में कार्यवाही में भिन्नता को दर्शाता है।
            


इसी तरह केवलारी राजस्व विभाग में राहत राशि को लेकर लगभग 11 करोड़ रूपये से अधिक के घोटाला में एफआईआर दर्ज कराई गई है लेकिन वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग कार्यालय सिवनी में हुये में भी किसानों के नाम पर राशि फर्जी खातों में डालने के नाम लाखों रूपये का फर्जीवाड़ा घोटाला हुआ है लेकिन कृषि विभाग कार्यालय सिवनी के जिम्मेदारों पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की गई है यह मामला भी अपने आप में विभागीय व कानूनी कार्यवाही को लेकर भिन्नताएं मध्य प्रदेश शासन पर ही सवाल खड़े कर रहे है। 

ट्रेजरी शाखा की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल

केवलारी मुख्यालय में राजस्व में राहत राशि के प्रकरणों में लगभग 11 करोड़ रूपये से ऊपर का घोटाला किया गया है। जिसमें संबंधित लिपिक को निलंबित किया जाकर उस पर एफआईआर भी दर्ज की गई और वह अभी पुलिस के गिरफ्त से बाहर है। वहीं इस मामले में एसडीएम व तहसीलदार पर भी कार्यवाही की गई है। केवलारी राजस्व विभाग में हुये इतने बड़े घोटाले में सिर्फ राजस्व विभाग का ही हाथ या जिम्मेदार हो इस पर जानबकार सवाल खड़ा कर रहे है क्योंकि शासकीय धनराशि एवं राहत राशि के प्रकरणों में राशि जारी करने में ट्रेजरी शाखा का भी प्रमुख रूप से जवाबदारी रहती है। लंबे समय तक केवलारी राजस्व विभाग से फर्जी राहत के प्रकरणों पर राहत राशि के प्रकरण स्वीकृत होते रहे लेकिन न तो प्रमुख अधिकारियों ने कोई संज्ञान लिया और न ही ट्रेजरी शाखा ने कोई रोक लगाया और न ही कोई ध्यान दिया। 

जिला शिक्षा अधिकारी और सहायक आयुक्त ने एक ही घटना के लिये किया अलग-अलग कार्यवाही

शिक्षा विभाग व जनजाति विकास विभाग के अंतर्गत संचालित शासकीय स्कूल में कार्यरत शिक्षक के द्वारा की गई स्कूली छात्रा के साथ छेड़खानी के मामले में विभाग द्वारा अलग अलग कार्यवाही की गई है। जनजाति विकास विभाग के सहायक आयुक्त के द्वारा उनके विभाग के अंतर्गत शिक्षक के द्वारा की छेड़छाड़ के मामले में कार्यवाही करते हुये शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है।
            वहीं दूसरी ओर जिला शिक्षा विभाग सिवनी के अंतर्गत उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य के द्वारा की गई छेड़खानी की घटना में उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा अटैच कर दिया गया था, उन पर निलंबन की कोई कार्यवाही नहीं की गई। दोनो ही घटनायें लगभग एक जैसी ही है लेकिन दोनों में कार्यवाही अलग अलग की गई है जो कि विभागीय कार्यवाही में भिन्नताएं को स्पष्ट प्रदर्शित कर रही है हालांकि यह विभागीय अधिकारियों का स्वविवेक पर निर्भर करता है लेकिन जनता के सामने यह भिन्नताएं पैदा करने वाली कार्यवाही है। 

कृषि विभाग के कर्मचारियों ने अपने रिश्तेदारों व परिवारिक सदस्यों के खाते में डाल दिया राशि

कृषि विभाग प्रमुख कार्याल्य सिवनी में पदस्थ कुछ अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से किसानों के नाम पर दी जाने वाली राशिओं को फर्जी तरीके से गैर किसानों के खातों में डाला गया है। कृषि विभाग सिवनी के अधिकारियों व कर्मचारियों के द्वारा लाखों रूपये का घोटाला इस मामले में किया गया है। यहां तक कि कृषि विभाग के कर्मचारियों ने अपने अपने परिवारजनों व रिश्तेदारों के खातों में किसानों की दी जाने वाली लाखों रूपये की राशि को डाल दिया है।
                सरकार व शासन के द्वारा किसानों के हितों में चलाई जा रही योजनाओं का लाभ वास्तविक किसानों को न देकर फर्जी तरीके से फर्जीवाड़ा करके बैँक खाता नंबर लेकर लाखों रूपये की राशि डाल कर आर्थिक गड़बड़ी को अंजाम दिया गया है। इस मामले में ट्रेजरी शाखा की भूमिका पर जानबकार सवाल खड़ा कर रहे है।
            कृषि विभाग सिवनी कार्यालय के कुछ अधिकारी व कर्मचारियों के द्वारा शासकीय राशि में की गई आर्थिक अनियमितता के मामले में विभागीय कार्यवाही की गई है लेकिन एफआईआर दर्ज कराने की कार्यवाही नहीं की गई है। वही इसी तरह का केवलारी राजस्व विभाग में हुये घोटाले पर एफआईआर दर्ज की गई है। दोनो विभागों की कार्यवाही में भिन्नताएं दिखाई दे रही है जो कि कई सवाल खड़े कर रहे है। 

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