Type Here to Get Search Results !

5 लीटर की कुप्पी में 7 लीटर का कैस बनाकर आदिवासियों को कानूनी शिंकजा में फंसा रहा आबकारी व पुलिस प्रशासन

5 लीटर की कुप्पी में 7 लीटर का कैस बनाकर आदिवासियों को कानूनी शिंकजा में फंसा रहा आबकारी व पुलिस प्रशासन 

सर्वाधिक आदिवासियों पर धारा 34 (1) व 34 (2) के अंतर्गत हो रहे अपराध पंजीबद्ध

सर्वाधिक आदिवासियों पर प्रकरण दर्ज कर जेल में ठूंसने का कर रहे इंतजाम 

आदिवासी जनप्रतिनिधि, संगठन व राजनीतिक संगठन भी नहीं उठाते आवाज 


सिवनी। गोंडवाना समय। 

देशी विदेशी शराब को बेचने के लिये सरकार, शासन व प्रशासन द्वारा लाईसेंस देकर ठेकेदार को दुकान से बेचने के लिये अनुमति दी गई है जहां से नियमों को कुचलते हुये तो शराब ठेकेदार शराब बेचने का काम करते है वहीं शराब ठेकेदारों पर नकेल कसने वाला विभाग आबकारी व पुलिस प्रशासन भी शराब ठेकेदारों पर मेहरबान रहकर अपना कर्तव्य निभाते है।
                 देशी विदेशी शराब जब लाईसेंसी दुकान से बेचने के लिये अनुमति दी जाती है तो इसके बाद गांव-गांव में शहरी क्षेत्रों के करीबी इलाकों में कैसे आसानी से देशी विदेशी शराब उपलब्ध हो जाती है। इसका पता आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन को अधिकांशतय: तभी चलता है जब निर्वाचन आयोग या शासन स्तर पर अभियान चलाया जाता है उस दौरान शहरी क्षेत्र के हॉटल, ढाबो, गांव-गांव में शराब पकड़ते हुये आबकारी और पुलिस विभाग नजर आता है। इससे स्पष्ट होता है कि बाकी समय में भी इन स्थानों पर एवं इसके अलावा भी अन्य स्थानों पर देशी विदेशी शराब बेरोकटोक बिकती है या आबकारी विभाग या पुलिस प्रशासन के संरक्षण में बिकती है। 

आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी में देशी विदेशी शराब लाईसेंसी दुकानों के अलावा गांव-गांव बिक रही

लाईसेंसी शराब दुकानों के अलावा गांव-गांव में देशी विदेशी शराब दुकान बड़ी आसानी से मिल जाती है। जिससे ग्रामीण क्षेत्र के सयानों के साथ युवा वर्ग और नाबालिग भी नशा के शिकार हो रहे है। शराब विक्रय के लिये लाईसेंसी दुकानों के अलावा बिकने वाली देशी विदेशी शराब अवैधानिक रूप से बेची जाती है। यह सब आबकारी और पुलिस प्रशासन के संरक्षण में शराब ठेकेदारों के द्वारा पैकारी के माध्यम से कराया जाता है।
                    इसके लिये गांव-गांव सहित हॉटल, ढाबों में भी शराब ठेकेदारों के दारू आसानी से उपलब्ध करवाई जाती है। शराब का कारोबार देशी विदेशी दारू का शासन प्रशासन के संरक्षण में चल रहा है। वहीं दूसरी ओर शराब पकड़ने के लिये सतत अभियान आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन के द्वारा चलाया जाता है। जिसमें कच्ची शराब सबसे ज्यादा आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन के द्वारा पकड़ी जाती है और कागजी खानापूर्ति की जाती है।
                यहां तक कागजी खानापूर्ति करने के लिये अधिकांशतय: यह देखने में आता है कि सर्वाधिक आदिवासियों पर ही आबकारी व पुलिस प्रशासन प्रकरण बनाता है। कई बार देखा जाता है कि 5 लीटर की कुप्पी में शराब पकड़ा जाता है तो आबकारी व पुलिस प्रशासन द्वारा 7 लीटर का केस बनाया जाता है क्योंकि आदिवासियों को 5 लीटर तक की छूट का प्रावधान है इसी के कारण आबकारी व पुलिस प्रशासन अपनी कागजी खानापूर्ति करने के लिये 5 लीटर की कुप्पी में शराब पकड़ने के बाद भी 7 लीटर का कैस बनाती है। इसके साथ ही शराब ठेकेदारों के इशारों में भी आदिवासियों पर सर्वाधिक प्रकरण आबकारी व पुलिस प्रशासन के द्वारा बनाया जाकर आदिवासियों को कानूनी शिकंजा में फंसाया जा रहा है।  

जामूनटोला में आबकारी की कार्यवाही को फर्जी बता रहे गांव के जागरूक युवा 


आबकारी विभाग सिवनी ने नशे के कारोबारियों के विरुद्ध की कार्यवाही करने के नाम पर वाहवाही लूटने के लिये और आदिवासी को जेल में ठूंसने के लिये जो कार्यवाही किया है, उसको लेकर सवाल खड़े हो रहे है। हम आपको बता दे कि आबकारी विभाग ने वृत लखनादौन में 5 मार्च 2023 को राजकुमार सैयाम पिता गिरम सैयाम, उम्र लगभग 36 वर्ष, जाति-गोंड निवासी-जामुनटोला थाना छपारा के समीप मकान के आसपास की तलाशी लेने पर आरोपी के कब्जे से कुल 60.00 बल्क लीटर हाथ भट्टी मदिरा जप्त कर आरोपी के विरुद्ध मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 संशोधन 2000 की धारा 34(1) व 34(2) के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
            वहीं आरोपी को मौके पर गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया। इस दौरान जप्त मदिरा की अनुमानित कीमत लगभग 14400 रुपये है। कार्यवाही के दौरान वृत्त लखनादौन के प्रभारी अधिकारी वर्षा डोंगरे, आबकारी उपनिरीक्षक एवं स्टाफ उपस्थित रहे। इस मामले में संबंधित ग्राम के जागरूक आदिवासियों ने गोंडवाना समय को सूचना देते हुये बताया कि आबकारी विभाग द्वारा की गई कार्यवाही फर्जी है। जिस युवक को आबकारी विभाग द्वारा पकड़ा गया है जिस दिन कार्यवाही हुई है उसके एक दिन पहले ही आदिवासी युवक राजकुमार सैयाम अपने गांव आया था।
                इसलिये वह शराब का निर्माण नहीं कर सकता है वहीं जानबकार बताते है कि कच्ची शराब बनाने में कम से कम 5 दिन का समय लगता है तो फिर जब आदिवासी युवक राजकुमार सैयाम एक दिन पहले ही गांव में आया था तो वह 60 वल्क लीटर हाथ भट्टी शराब कैसे बना सकता है। आबकारी विभाग के द्वारा आदिवासी युवक पर मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 संशोधन 2000 की धारा 34(1) व 34(2) के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध करने के कारण उसे जेल में भेज दिया गया है। आबकारी विभाग द्वारा की गई कार्यवाही से आदिवासी युवक जेल की सजा काटेगा वहीं उसके परिजनों को जमानत लेने आदि की कार्यवाही में बिना कारण के ही परेशान होना पड़ेगा। 

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.