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रिश्वत लेते गिरफ्तार महिला क्लर्क उर्मिला अग्रवाल को 4 वर्ष की सजा

रिश्वत लेते गिरफ्तार महिला क्लर्क उर्मिला अग्रवाल को 4 वर्ष की सजा


सिवनी। गोंडवाना समय। 

प्रार्थी महेश प्रसाद पिता पूरनलाल सनोडिया निवासी ग्राम सागर थाना बंडोल ने लोकायुक्त जबलपुर को एक लिखित आवदेन दिया था कि वह दिनांक 31 अगस्त 2016 को अधोवाषिकी आयु पूर्ण होने के उपरांत शास. उन्नयन माध्य. शाला बकौड़ी संकुल केन्द्र शा. उ.मा. शाला बखारी से उच्च श्रेणी शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हो चुका है।

500 रुपए रिश्वत ले ली थी और मोलभाव करने पर 5000 रुपए  लेने को तैयार हो गई थी 


माननीय न्यायालय में हुई उक्त प्रकरण की सुनवाई व निर्णय के संबंध में जानकारी देते हुये श्री प्रदीप कुमार भौंरे एडीपीओ मीडिया सेल प्रभारी सिवनी ने बताया कि सेवानिवृत्त के पश्चात उसके स्वत्वों कुल 950000 रु का भुगतान नहीं होने के कारण वह विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय सिवनी में पदस्थ मुख्य लिपिक उर्मिला अग्रवाल मेडम से संपर्क किया तो उन्होंने उससे कुल टोटल बिल में से 1 प्रतिशत अर्थात 9,500 रुपए रिश्वत की मांग की थी एवं बातचीत के दौरान मुख्य लिपिक अग्रवाल मेडम 500 रुपए रिश्वत ले ली थी और मोलभाव करने पर 5000 रुपए  लेने को तैयार हो गई थी। 

नवलकिशोर सिंह सहायक जिला अभियोजन अधिकारी ने साक्ष्य न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये

माननीय न्यायालय में हुई उक्त प्रकरण की सुनवाई व निर्णय के संबंध में जानकारी देते हुये श्री प्रदीप कुमार भौंरे एडीपीओ मीडिया सेल प्रभारी सिवनी ने बताया कि उक्त सूचना के आधार पर लोकायुक्त पुलिस जबलपुर ने महिला क्लर्क को प्रार्थी महेश से 5000 रु लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था।
            लोकायुक्त पुलिस ने उसके विरुद्ध अपराध क्रमांक 391/2016,  धारा 7, 13()ि, 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर माननीय श्रीमान खालीद मोहतरम अहमद प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सिवनी के न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें शासन की ओर से श्री नवलकिशोर सिंह विशेष लोक अभियोजक/सहायक जिला अभियोजन अधिकारी ने साक्ष्य न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये।
            अभियोजन के साक्ष्यों से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय ने आरोपी उर्मिला अग्रवाल  उम्र 60 वर्ष सिवनी को धारा 07 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रुपए अर्थदंड, धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया।

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