25 लाख रूपये मुआवजा देने का आदेश जारी करें मध्यप्रदेश सरकार
जंगली जानवरों के हमले में मृतकों को मुआवजा राशि 25 लाख रूपये दिये जाने की मांग
सामाजिक कार्यकर्ता वंश धुर्वे ने मुख्यमंत्री से की मांग
सिवनी। गोंडवाना समय।
सामाजिक कार्यकर्ता वंश धुर्वे ने जानकारी देते हुये बताया कि जंगली पशुओं से होने वाली जनहानी के लिये मुआवजा राशि 25 रूपये मध्यप्रदेश सरकार को तत्काल करना चाहिये। जबकि वहीं मध्यप्रदेश की सीमा से लगे हुये महाराष्ट्र राज्य में 25 लाख रूपये मुआवजा दिया जा रहा है। वहीं मध्यप्रदेश सरकार कैबीनेट में भी 25 लाख रूपये दिये जाने का प्रस्ताव पारित किया गया है।
इसकी घोषणा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी किया है लेकिन इसके बाद भी बाघ, तेंदुआ व अनरू जंगली जानवरों के हमले से मृतक व्यक्तियों को 8 लाख रूपये ही मुआवजा दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री ऐसे संवेदनशील मामले में तत्काल संज्ञान लेकर 25 लाख रूपये मुआवजा देने का आदेश जारी करें।
कुरई वनांचल में बढ़ रही जंगली जानवरों से हमले से मृत्यू की संख्या
मध्यप्रदेश में ही नहीं अपितु पुरे भारत देश के वन क्षेत्रों में निवास करने वाले आदिवासी वन परम्परागत वन निवासी पर जंगली जानवरों के हमले से मृत्यु की घटनाएं आये दिन सुनने मिलती है। सिवनी जिले के तहसील कुरई, बरघाट इत्यादि क्षेत्रों में पिछले दो वर्षों में लगभग 8 से 10 बाघ के हमले से मृत्यु की घटनाएं कुरई तहसील में हो चुकी है।
भोले भाले लोगों के व्दारा इन घटनाओं के बाद आक्रोश में आके अपनी सेवा दे रहे वन विभाग के कर्मचारियों पर हमला किया जाता है या विरोध प्रदर्शन किय जाता है, यह घटनाएं क्षेत्र के लिये जनहानी के साथ गंभीर होती जा रही है। कुरई तसहील के बिछुआ में बीते दिनों ही बाघ के हमले में मृत्यू हो गई थी वहीं 16 मई को भी कछार क्षेत्र में मृत्यू हो गई है जो कि दुखद है।
कैबीनेट में 25 लाख क्षतिपूति राशि की प्रस्तावित हुई थी
क्षेत्र के लोगो की यह मांग है कि मध्यप्रदेश शासन ने जंगली जानवरों के हमले से मृत व्यक्तियों के लिए मानदेय राशि 8 लाख रुपये रखा गया है। वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने केबिनेट में यह प्रस्तावित किया था कि जंगली जानवरों के हमले के मृत व्यक्तियों को 25 लाख रुपये की सहायता राशि दिया जायेगा। जिस पर आज दिनांक तक सम्बंधित विभाग के पास आदेश नहीं आया है।
47 आदिवासी विधायक नहीं निभा रहे अपनी जिम्मेदारी
सिवनी जिले के तहसील कुरई में लगभग 8 से 10 मामले पिछले कुछ वर्षों में हो चुके है। जिनमें प्रशासन का जबाब मुआवजे के सम्बन्ध में शासन के आदेश पर टिका हुआ है। क्या मध्यप्रदेश शासन आदिवासी अन्य वन परम्परागत वन निवासियों की जान की कीमत अब भी मात्र 8 लाख रुपये मानती है। वन क्षेत्रों में बहुतायत में आदिवासी समुदाय निवास करता है। मध्यप्रदेश में आरक्षित 47 आदिवासी विधायक क्षेत्रों से जीतकर जाते हैं। क्या इनका कोई दायित्व नहीं बनता की मध्यप्रदेश कैबिनेट के 25 लाख वाले मुआवजे के प्रस्ताव को लिखित आदेश वन विभाग के कार्यालयों व अधिकारियों तक कानून की शक्ल दिलाया जाकर वैधानिक रूप से पहुंचाया जाये। ताकि वनो में निवास करने वाले लोगों को जंगली जानवरों से मृत्यु उपरांत 25 लाख रूपये मुआवजा राशि मिल सके।
बाघ तेंदुआ इत्यादि पर ट्रैकिंग डिवाइस लगाया जाये
वन विभाग व्दारा जंगल में कार्य हेतु ले जाने वाले कामगारों का रजिस्ट्रेशन व बीमा वन विभाग व्दारा प्रत्येक व्यक्ति जो काम पर जाता है उनका किया जाये। खतरनाक जंगली जानवर जैसे बाघ तेंदुआ इत्यादि पर ट्रैकिंग डिवाइस लगाया जाये। जिसकी जानकारी बीट गार्ड, नाकेदार इत्यादि को हो ताकि जब कभी भी जंगली जानवर ग्रामो के समीप आये तो कार्य करने वाले भोले भाले ग्रामीणों को सूचित कर सजग सतर्क किया जा सके ताकि ऐसी दुर्घटनाएँ न हो।