जल गंगा संवर्धन अभियान को बरघाट मुख्यालय में किया जा रहा मटियामेट
सरकार की मंशा पर पानी फेरने वालों पर प्रशासन क्यों है मेहरबान
ग्राम सेवक महेश दत्त नायक और केमिकल व्यवसायी सच्चिदानंद पांडे दे रहे चुनौती
बरघाट। गोंडवाना समय।
निजी एवं शासकीय भूमि पर बनीं जल संरचना को दर्ज करने के ताजा निर्देश को धता बताते हुए बरघाट नगर के प्रसिद्ध गांधी बाग और बुद्धा गार्डन के मध्य में बने प्राचीन इंदिरा सरोवर नामक तालाब के जल संग्रहण क्षेत्र की तेजी से मिट्टी से पुराई (भराई) करने का कार्य कृषि विभाग में पदस्थ ग्राम सेवक महेश दत्त नायक और केमिकल व्यवसायी सच्चिदानंद पांडे द्वारा धड़ल्ले से जारी है।
धार्मिक कार्यक्रम में अवरोध कर रहे उत्पन्न
तालाब के समीपस्थ कालोनी वासियों और बुद्धा गार्डन का पर्यटन करने वाले सैकड़ों लोगों के साथ ही भगवान गणेश जी और देवी दुर्गा र्जी की प्रतिमाओं के विसर्जन हेतु आवागमन के लिए तालाब पार (वॉल) पर नगर परिषद बरघाट द्वारा 10 वर्ष पूर्व बनाए गए सार्वजनिक रास्ते को भी बलपूर्वक मिट्टी का पहाड़ खड़ा करके अवरूद्ध कर दिया गया है। धार्मिक कार्यक्रम में अवरोध आने वाले समय में उत्पन्न होगा इसका जिम्मेदार कौन होगा।
एसडीएम और तहसीलदार से संज्ञान लेने की जनअपेक्षा
जनचर्चा के अनुसार यह सब नगर परिषद बरघाट के उपाध्यक्ष-पति के संरक्षण में एवं कई वर्षों से बरघाट में अंगद की तरह पैर जमाए हुए पटवारी अभय तिवारी के प्रश्रय से कतिपय रिश्तेदारों को नाजायज फायदा पहुँचाने के लिए किया जा रहा है। यह बेहद अफसोसजनक है कि बरघाट के एसडीएम और तहसीलदार की नाक के नीचे सरेआम की जा रही इस अंधेरगर्दी पर प्रशासन और नगर परिषद बरघाट मूकदर्शक बने हुए हैं।
पक्की नाली भी मिट्टी पूरकर बंद कर दी गई है
जबकि इस अंधेरगर्दी से नगर परिषद द्वारा राजीव गांधी स्टेडियम की जल निकासी के लिए लाखों रूपयों से बनाई गईं पक्की नाली भी मिट्टी पूरकर बंद कर दी गई है। क्या जल संरचना और तालाबों से न्यूनतम 30 मीटर दूर तक आवासीय या व्यावसायिक निमार्णों को प्रतिबंधित करने के राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण और न्यायालयों के नियम और आदेश भी रसूखदारों के सामने बौने साबित हो रहे हैं ? मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम के अनुसार निजी भूमि में सार्वजनिक पथ और नाली बनाने की नगर पालिका की शक्ति कहाँ खो गई ? यदि राजस्व अधिकारी बरघाट में कई वर्षों से जमे हुए पटवारी अभय तिवारी से हितबद्ध नहीं हैं तो उसका ट्रांसफर क्यों नहीं करते ?